क्या किसी भी व्यक्ति के साथ ‘राष्ट्रद्रोही’ या ‘आतंकवादी’ शब्द जोड़ देना इतना आसान हो गया है, वह भी तब जब उसका कोई ठोस आधार नहीं हो? हाल ही में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की घटना के बाद वहां के छात्रसंघ के अध्यक्ष को मीडिया और सोशल मीडिया में बहुत सारे लोगों ने ‘आतंकवादी’ कह कर संबोधित किया।
दिल्ली पुलिस ने भी उन्हें आनन-फानन में गिरफ्तार कर लिया। देश विरोधी गतिविधियों का कतई समर्थन नहीं किया जा सकता। लेकिन बिना जांच के किसी को ‘आतंकवादी’ या ‘राष्ट्रद्रोही’ की संज्ञा देने को भी सही नहीं कहा जा सकता। अभी तक ऐसे कोई प्रमाण सामने नहीं आए हैं जिनसे यह साबित हो कि गिरफ्तार किए गए छात्रसंघ के नेता ‘देशविरोधी’ गतिविधियों में शामिल थे!
यह ध्यान रखने की जरूरत है कि किसी भी व्यक्ति के साथ ऐसे शब्द जुड़ने के बाद उसे और उसके परिवार को जिस पीड़ा और अपमान से गुजरना पड़ता है, उसकी कल्पना मात्र की जा सकती है। कुछ लोगों को यह भी लग रहा है कि वाम-राजनीति का केंद्र होने के कारण ही यह संस्थान निशाने पर है। जो हो, देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में अगर ऐसी घटना हुई है तो यह वाकई चिंता का विषय है। कुछ लोगों की वजह से पूरे परिसर को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। जो भी दोषी हो उसे कठोर सजा दी जाए, लेकिन बिना आधार के किसी पर दोष न मढ़ा जाए।
’वंदना सिंह, दिल्ली</strong>