एक साल से भी ज्यादा समय हो चला, वैश्विक महामारी कोरोना में हमने खराब से खराब हालात देखे और उनका डट कर सामना किया। आज भी तीसरी लहर के खौफ का भी डट कर सामना कर रहे हैं। लेकिन इस कोरोना काल में हममें से बहुत सारे लोगों को एक चीज कतई सहन नहीं हो रही है और वह है टेलीफोन या मोबाइल पर लगी कोरोना की कॉलर ट्यून। आप जल्दी में हैं या फिर कोई आपात संदेश देना चाहते हैं, लेकिन कहीं भी बात शुरू होने के पहले एक लंबी-सी कोरोना की कॉलर ट्यून परेशान कर देती है, ऊब पैदा कर देती है। पहले अमिताभ बच्चन की आवाज में कोरोना से बचाव का जागरूकता ज्ञान खूब सुना, अब टीका लगाने की अपील सुनना मजबूरी है। पिछले माह दिल्ली हाई कोर्ट ने कोरोना टीके वाली कॉलर ट्यून पर तीखी टिप्पणी की थी। लोगों को जागरूक करने के लिए बहुत से अच्छे और प्रभावी विकल्प मौजूद हैं।
’प्रदीप कुमार दुबे, देवास, मप्र

प्रकृति का चक्र

‘आसमानी आफत’ (संपादकीय, 13 जुलाई) पढ़ा। निर्धारित समय के अनुसार मौसम का चक्र बदलता रहता है। मानसून के मौसम में लोगों को बारिश का इंतजार रहता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम का चक्र बिगड़ता जा रहा है। बरसात के मौसम में प्रतिवर्ष जान-माल का नुकसान होता है। बारिश के समय बिजली चमकना और गिरना एक सामान्य घटना है, लेकिन पिछले कुछ समय से बिजली गिरने से देश के विभिन्न हिस्सों में होने वाली लोगों की मौतों ने चिंता पैदा कर दी है। ऐसा लगता है कि तबाहियों का बढ़ता मंजर ग्लोबल वार्मिंग और प्रकृति के दोहन का परिणाम है। हम अपनी जागरूकता और सावधानियों से इन तबाही को कम कर सकते हैं। बारिश के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल से भी बिजली गिरने पर मौत की घटनाओं में वृद्धि हो रही है। मौसम विभाग द्वारा जारी सूचनाओं को हमें गंभीरता से लेना चाहिए। मानसून का मौसम पिकनिक मनाने के लिए उपयुक्त नहीं है। इस मौसम में अधिक समय घरों के अंदर रहना चाहिए। खुले में बरसात का सामना बिजली गिरने की स्थिति में घातक हो सकता है। प्रकृति हमें बार-बार संकेत दे रही है कि अगर हम अपनी आदतों में सुधार नही लाएंगे तो हमें और अधिक तबाही का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
’हिमांशु शेखर, केसपा, गया, बिहार</p>

भारी पड़ती महंगाई

पहले ही स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन कोरोना संकट के दौरान लोगों का जीना मुहाल हो गया है। पेट्रोल, डीजल, सीएनजी, पीएनजी गैस और रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी के अलावा, खाद्य तेलों और किराने के सामान की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। दवाइयां भी महंगी हुई हैं। बैंको ने भी सरचार्ज बढ़ा दिए हैं। पिछले एक साल में किराना के सामान में चालीस फीसदी तक बढ़ोतरी की गई हैं। अब दूध भी दो रुपए प्रतिकिलो तक बढ़ चुके हैं। दूसरी ओर, बेरोजगारी तो इस कदर बढ़ी है, मानो जंगल मे लगी आग। गरीबों की तो दूर, अब मध्यम वर्ग के लोगों के लिए तो घर चलाना भी मुश्किल हो गया है।
’कल्पना झा, फरीदाबाद, हरियाणा