मौजूदा तेज रफ्तार में भागते समाज में बहुत सारे वृद्ध लोग परिजनों का तिरस्कार झेल रहे हैं। जिसकी मुख्य वजह जैसे आधुनिकीकरण, कामकाजी लोगों का स्थानांतरण और युवाओं का शहरों की ओर पलायन आदि से बुजुर्गों की अनदेखी हो रही है। साथ ही अपने बड़ों के प्रति सम्मान भी घटता जा रहा है। वृद्ध माता-पिता स्वास्थ्य ठीक न होने से अपने बच्चों से देखभाल की उम्मीद करते हैं।

अगर उनके बच्चे अपने माता-पिता के प्रति अनदेखी करेंगे तो भविष्य में बच्चों के बच्चे भी उसी तरह अनुसरण करेंगे। ऐसे में माता-पिता के मन में आ रहे युवाओं में इस तरह के बदलाव से भविष्य में उनके प्रति चिंतनीय प्रश्न उठने लगे हैं। युवाओं को चाहिए कि माता-पिता के लिए इलेक्ट्रॉनिक युग की भाग-दौड़ भरी दुनिया में से माता-पिता के लिए भी कुछ समय निकालें। परिजनों को चाहिए कि वे वृद्धों की अनदेखी न करें, बल्कि उनका सम्मान करें क्योंकि उनके सामने भी उनका भविष्य मुंह बाए खड़ा है।
’संजय वर्मा ‘दृष्टि’, मनावर, धार, मप्र

रोग से दूर

विश्व में करीब एक दर्जन बड़ी दवा कंपनियां हैं, जिन्हें अपनी दवाइयां विश्व भर में बेचनी होती है। भारत इस मामले में दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। भारतीय लोग शुरू से ही विदेशी चीजों के कायल रहे हैं। इसलिए इन विदेशी दवाई कंपनियों ने भारत के पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी, धनाढ्य, डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को अपने प्रचार की जद में लेकर अपनी दवाइयों की मांग पैदा करने के लिए डर और दहशत का माहौल खड़ा कर रखा है।

कम से कम जानकारी के स्तर पर भी यह बताना जरूरी नहीं समझा जाता कि हवा में फैलने वाला वायरस पशु-पक्षियों, गरीब मजदूरों में फैल सकता है तो उसकी प्रक्रिया क्या है! क्यों बहुत साफ-सफाई में रहने वाले लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है? नजला जुकाम, खांसी, बुखार सिर दर्द, पेट दर्द, बदन दर्द और छींक जैसी स्थितियां बारहों महीने चलने वाले रोग हैं। रोग तब होते हैं, जब हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति कम होती है। अगर हम अपना आहार-विहार ठीक कर लें तो रोग होगा ही नहीं। नित्य योग और प्राणायाम किया जाए और संतुलित आहार लिया जाए तो रोगों से बचा जा सकता है।
’चंद्र प्रकाश शर्मा, रानी बाग दिल्ली</p>