सब जानते हैं कि पुराने चलन आसानी से समाप्त नहीं होते। इन्हें समाप्त करने के लिए कड़े संघर्ष और आंदोलनों की आवश्यकता पड़ती है। पर आंदोलन करती है जनता और रेवड़ी संस्कृति जो विकसित हुई है, वह इसी जनता जनार्दन का मुंह बंद करने की एक प्रभावी योजना रही है। पहले भी एक राज्य में महिला वोटरों को लुभाने के लिए जूसर मिक्सर आदि बांटकर एक राजनेता ने अन्य राज्यों के नेताओं को चकित कर दिया था। दिल्ली में तो पति-पत्नी में बिजली बिल को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ, महिला बिजली मुफ्त वाली सरकार के पक्ष में थी और पुरुष अपने व्यावसायिक बिल से परेशान होकर किसी अन्य दल के पक्ष में था।

इन रेवड़ियों का स्वाद जनता को इतना प्रिय लगने लगा है कि वे आवाज उठाना ही नहीं चाहते। लोकतंत्र में जब तक किसी मसले को लेकर सड़क पर प्रदर्शन न हो, तब तक बात कुछ जमती नहीं है, इसलिए हाल-फिलहाल इस समस्या से छुटकारा मिलता दिखाई नहीं पड़ रहा। किसी चमत्कार द्वारा राजनेताओं का जमीर जाग जाए तो बात अलग है।
मनोज, मेरठ</p>

राजनीति में शुचिता

राजनीति में भले ही कोई ऊंचा मुकाम हासिल कर ले, लेकिन उसके अंदर राजनीतिक शुचिता नही है, तो वह व्यर्थ है। आज सांसदों, विधायकों की खरीद-फरोख्त होती है। राजनेताओं के घर से इतने नोट बरामद हो रहे हैं कि नोट गिनने वाली मशीन भी हांफ रही है। जब ईडी, विजिलेंस, राजनेताओं को पकड़ती है, तो सीधे आरोप सरकार पर लगता है कि उन्हें तंग, बदनाम किया, बदला लिया जा रहा है और उनके समर्थक ऐसा मान कर हंगामा खड़ा करते हैं। यह भी सही है कि सत्ता पक्ष के भ्रष्ट नेताओं पर भी शिकंजा कसना चाहिए, इससे जांच संस्थाओं की साख बनी रहेगी। यक्ष प्रश्न है कि कुछ राजनेताओं के पास राजनीति उद्योग से इतना पैसा हो गया है कि हर रोज दोनों हाथों से ऐयाशी में लुटा रहे हैं, मगर राजनेता बनाने वाले कार्यकर्ताओं को दो जून की रोटी मयस्सर नहीं हो रही है।

राजनीतिक शुचिता के लिए जरूरी है आमूल सफाई। यह वर्तमान स्थिति में संभव नहीं लगता। तो फिर? कोई पूरी पार्टी में राजनीतिक शुचिता का संकल्प करा ले तब भी ऐसा नहीं होने वाला। हमारे ज्यादातर राजनीतिक दल इस अवस्था में जा चुके हैं, जहां से उन्हें जनसेवा, देशसेवा जैसे उदात्त लक्ष्यों और उसके अनुसार मूल्य निर्धारित करने की स्थिति में नहीं लाया जा सकता। वास्तव में इसके लिए व्यापक संघर्ष, रचना और बलिदान की आवश्यकता है।
प्रसिद्ध यादव, बाबूचक, पटना</p>