इन दिनों नशाखोरी मामले में शाहरुख खान के बेटे को पकड़े जाने की खबर पूरे देश में फैली हुई है। यह दो चार दिनों की मीडिया मस्ती है, जो शुरू में खूब शोर मचाती है, फिर धीरे-धीरे सब ‘चंगा सी’ हो जाता है। बालीवुड में ये घटनाएं आम हैं। उनमें से कुछ ही घटनाएं हमारे सामने आ पाती हैं। फिर भी हम फिल्मों में ही अपना हीरो खोजते हैं, फिल्मों में ही जीतना चाहते हैं, फिल्मों की तरह ही अचानक सफल होना चाहते हैं, जबकि हकीकत यह है कि वह सिर्फ तीन घंटे की एक फिल्म है और जिंदगी बस तीन घंटे की नहीं होती। अभिनेता को बस अभिनेता ही रहने दीजिए। भगवान मत बनाइए। अगर हम उन्हें अपना आदर्श मानते हैं, तो उन्हें भी ऐसा आचार-व्यवहार समाज में, आम जीवन में उतारने होंगे।
आखिर क्या कारण है कि हम युवाओं को इस गंदे खेल से दूर नहीं कर पा रहे हैं? नशा मुक्ति की बातें तो बहुत हो रही हैं, पर कभी पूर्ण शराबबंदी की बात नहीं होती है। सिगरेट, गुटका अब भी खुलेआम बाजारों में बिक रहा है। सरकार बस डिब्बे पर चेतावनी संदेश और फोटो चिपका कर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर ले रही है? नशा चाहे कैसा भी हो, अंतत: वह हमें नुकसान ही पहुंचाता है। इसलिए जहां तक संभव हो, नशे से दूर रहिए। इससे पहले नशा आपको आप के जीवन से छुड़ाए, आप नशा को छोड़ें।
’देवानंद राय, दिल्ली</p>
हादसों में मदद
भारतीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने गुड सेमेरिटन स्कीम यानी नेक आदमी योजना लागू की है। इससे निश्चित ही लोग सड़क दुर्घटनाओं के प्रति जागरूक बनेंगे। इस योजना में सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति की सहायता कर उसे अविलंब अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति को सरकार उचित इनाम तो देगी ही, उसकी जागरूकता के लिए सम्मानित भी करेगी।
अब घायलों के लिए लोगों के मन में सजगता भी जागेगी और घायल को त्वरित उपचार भी मिल सकेगा। ऐसे उपायों की बहुत जरूरत थी! देश में सबसे अधिक मौतें सड़क दुर्घटना में होती हैं। आए दिन दिल दहला देने वाले हादसे अखबार की सुर्खियों में बने रहते हैं। सड़कों पर तड़पते लोगों की मदद करने के लिए कोई भी कानून के डर से आगे नहीं आता। फिर घायल को उपचार मिलने में देरी होती है। मगर नेक आदमी योजना से इन समस्याओं का समाधान होगा और सड़क हादसों में कमी आएगी! केंद्र सरकार की इस योजना को देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश शासन ने लागू कर उदाहरण प्रस्तुत किया है। बाकी राज्यों को भी इस जनहितैषी योजना में भाग लेना चाहिए।
’शुभम दुबे, इंदौर, मध्यप्रदेश