इस देश के लिए यह बेहद अफसोसनाक नहीं तो और क्या है कि हमारे देश के उज्ज्वल भविष्य कहे जाने वाले युवा आज मानसिक रोगियों की दौड़ आगे निकलते जा रहे हैं। एक अध्ययन रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में पंद्रह करोड़ से अधिक लोग मानसिक परेशानियों से जूझ रहा है। पिछले कई दशकों में मानसिक बीमारी ने अपना एक समाज तैयार कर लिया है। यह बात भी सत्य है कि कोरोना के दौर में ये मुश्किलें और भी जटिल हो गर्इं। पहले ऐसे रोगी बड़े-बड़े शहरों में उच्च आय वर्ग के लोगों के बीच हुआ करते थे, लेकिन अब इसने छोटे शहर, गांव-कस्बे में भी पैठ बना लिया है। शुक्र अब इस बात का है कि लोग चिंतित और परेशान लोगों को समझ कर सही सलाह देने का प्रयास कर रहे हैं, न कि उसे असामान्य होने की पहचान दे देते हैं।

कोई व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ कई बुनियादी परिस्थितियों के चलते हो सकता है, जिसकी बारीक से परख करना जरूरी है। यह एक अनुवांशिक कारण भी हो सकता है। बचपन का अच्छा अनुभव न होना भी मानसिक रूप से ग्रसित होने का सबब बन सकता है। समाज में लोगों से अच्छा व्यवहार न मिलना भी एक अहम कारण हो सकता है। कार्यालय का तनाव, अपमान झेलना भी मानसिक विकार की आशंका बढ़ा देती है।

जरूरत इस बात की है कि शारीरक बीमारी के साथ-साथ मानसिक बीमारी को परख कर छोटे-छोटे गांव-कस्बों में लोगों को जागरूक कर इलाज किया जाए। बच्चों को नैतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान भी दिया जाए और साथ ही स्वास्थ्य कार्यक्रम में शामिल भी किया जाए। स्कूलों में शरीर को लेकर टिप्पणी करने से बचना चाहिए। मानसिक अस्पतालों को सामान्य अस्पतालों का हिस्सा बना देना चाहिए, ताकि लोगों के भीतर यह धारणा न कि मानसिक अस्पताल में सिर्फ मानसिक रोगियों का इलाज होता है। अच्छे परिवेश में रहा जाए और अच्छा परिवेश लोगों को उपलब्ध कराया जाए।

संसाधन के सबक

क्या आप ‘आनलाइन गेमिंग’ के शिकार हो रहे हैं? क्या आप अपना पूरा दिन फोन की स्क्रीन निहारते हुए बिता देते हैं? अगर हां तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। यह एक सोचने का विषय है कि भारत में न जाने कितनी बच्चे हैं जो अपना अधिकतर समय आनलाइन गेम खेलने या सोशल मीडिया पर बिता देते हैं। यह सोचने की जरूरत है कि एक तरफ कोरोना की वजह से बच्चों की पढ़ाई ठप पड़ गई है, वहीं बच्चे अपना पूरा दिन फोन में बिता देते हैं।

अगर बच्चे पढ़ाई पर ध्यान नहीं देंगे तो ‘पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया’ के नारे का क्या होगा? फोन का इस्तेमाल करने में कोई बुराई नही है, लेकिन किसलिए और कितनी देर इस्तेमाल करना चाहिए, यह सोचना जरूरी है। आनलाइन गेमिंग के फायदे कम और नुकसान अधिक हैं। इसकी वजह से कई बच्चे आत्महत्या और चोरी जैसी चीजें करने लगे हैं। मां-पिता बच्चों को मोबाइल फोन तो दे देते हैं, लेकिन उसका सही इस्तेमाल सिखाना भूल जाते हैं। क्या आपने अपने बच्चों को फोन का सही इस्तेमाल करना सिखाया है?