‘आंकड़ों पर सवाल’ संपादकीय में उल्लेख है कि सरकार आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों की संख्या छिपाना चाहती है, ताकि मुआवजा न देना पड़े, जबकि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने आंकड़े का खुलासा किया है। हरियाणा ने मुआवजा तथा नौकरी देकर राहत प्रदान की है। मृतकों को मुआवजा देना चाहिए। उप्र में किसानों की हत्या पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है।

एमएसपी पर कानून की मांग पुरानी है। सरकार समिति गठन कर चर्चा के माध्यम से हल करना चाहती है और किसानों ने भी सदस्यों के नाम दे दिए हैं, किंतु दोनों पक्षों के बीच अविश्वास कायम होने से आंदोलन समाप्त नहींं हो रहा है। अच्छा हो कि इसी सत्र में एमएसपी कानून पास हो जाए या अध्यादेश जारी हो।
’बीएल शर्मा ‘अकिंचन’, तराना, उज्जैन

सबक लें

खुफिया एजेंसी की गलत जानकारी या किसी चूक का परिणाम इतना घातक हो सकता है, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। नगालैंड में सुरक्षा बलों ने चौदह निर्दोष नागरिकों को मार दिया। सुरक्षा बल उस गाड़ी का पीछा कर रुकवा सकते थे, मगर खुफिया एजेंसी की सूचना में जिस रंग की गाड़ी बताई गई और गाड़ी को रोकने के लिए कहने के बाद जिस रफ्तार से गाड़ी गुजरी, उससे सुरक्षकर्मियो का शक बढ़ गया। दरअसल, गाड़ी में ग्रामीण सफर कर रहे थे। उग्रवादी नहीं थे।

निर्दोष गरीबों की मौत से उनका परिवार टूट चुका है। सरकार की तरफ से कोई अनुग्रह राशि मुहैया नहीं कराई गई है। केंद्र सरकार को सांत्वना देना और सहायता राशि घोषित करनी चाहिए। जो निर्दोष लोग गोली से मर चुके हैं, उनका जीवन वापस मिलने से रहा। सरकार लाख जांच करा दे, सुरक्षा बलों की इस भूल का प्रायश्चित के सिवा कुछ नहीं मिलने वाला है।

राह चलते किसी को बिना कसूर मारना गलत है। उग्र भीड़ ने पुलिस की गाड़ी को आग के हवाले कर दिया। राज्य सरकार ने पांच-पांच लाख देने की घोषणा की है। केंद्रीय गृहमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि एक महीने के भीतर जांच रिपोर्ट आ जाएगी। केंद्र सरकार को फायरिंग में मरने वाले परिवारों को अनुग्रह राशि दी जानी चाहिए।
’कांतिलाल मांडोत, सूरत

नाहक बाधा

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। इस लोकतंत्र की शक्ति भारत की जनता से आती है। मगर जब ये चुने हुए सदस्य देशहित की न सोच कर दलगत राजनीति करने लगते हैं तो देश का विकास बाधित होता है। जिस प्रकार विपक्षी दल संसद से बारह सदस्यों के निष्कासन को मुद्दा बना कर मूल मुद्दों पर होने वाली चर्चाओं को प्रभावित कर रहे हैं, वह विपक्ष की नाकामी को दर्शाता है। जब देश की जनता टीवी पर यह देख रही हो कि संसद की कार्यवाही बाधित करके उनके द्वारा दिए गए टैक्स के पैसे का दुरूपयोग किस प्रकार हो रहा है, तो दुखी होती है।
’अंकित सिंह, भोपाल</p>