पिछले दिनों प्रधानमंत्री की राज्यों के शीर्ष अधिकारियों के साथ हुई बैठक में यह बात सामने आई कि अधिकांश राज्यों की ओर से मुफ्त सुविधाएं देने के कारण आज कई राज्य गहन आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। वर्तमान समय में राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को विभिन्न लोकलुभावन योजनाओं द्वारा आकर्षित करने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ है। इनमें वे काफी हद तक सफल भी होते हैं, पर इसका दूसरा पहलू काफी डरावना है। मुफ्तखोरी के कारण और करों में छूट देने से देश की राज्य सरकारें आज कई लाख करोड़ रुपए के कर्ज में चल रही हैं। अपना राजनीतिक स्वार्थ पूरा करने के लिए जो राशि लोकलुभावन निशुल्क योजनाओं पर खर्च की जा रही है, उससे ईमानदारी से कर देने वाले लोगों में भी असहजता उत्पन्न होती है।

मुफ्त सुविधाएं और वस्तुएं देश के अत्यंत पिछड़े वर्ग को ही दी जाएं, जो आज भी सामाजिक-आर्थिक विकास से वंचित हैं और उन्हें राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता है। इन योजनाओं का लाभ लेने वाले अत्यंत निम्न वर्ग के लोगों में भी काम करने की प्रवृत्ति कम हो रही है तथा वे अब मात्र शराब, जुआ आदि व्यसनों पर खर्च भर का पैसा कमाते हैं। सरकार और चुनाव आयोग इस पर सख्त कदम उठाए।
रामबाबू सोनी, इंदौर</p>

सुधरते रिश्ते

पिछले कुछ सालों में भारत और नेपाल के रिश्तों में आई खटास अब अतीत की बात हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आमंत्रण पर नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की तीन दिन की यात्रा में परस्पर सहयोग और विश्वास बढ़ाने के लिए कई समझौते हुए, जिनमें दोनों देशों के बीच रेलगाड़ियां चलाना, रूपे भुगतान प्रणाली को नेपाल में लागू करना तथा उर्जा सहकार को विस्तार देना प्रमुख हैं। इस दौरे में नेपाल अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का हिस्सा भी बना।

भारत और नेपाल पड़ोसी देश होने तथा हिमालय पर्वत शृंखला से जुड़े होने के कारण एक समान जलवायु चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। आपसी सहयोग के अन्य उपायों के साथ स्वच्छ उर्जा के क्षेत्र में भागीदारी भविष्य के लिए शुभ संकेत हैं। भारत और नेपाल की मैत्री का आधार संस्कृति है। व्यापार और आवागमन बढ़ाने पर इसलिए भी जोर है कि बिम्स्टेक समूह के माध्यम से भी अरब की खाड़ी से जुड़े देशों के बीच यातायात बढ़ाने के लिए अनेक प्रयास हो रहे हैं। भारत और नेपाल इस समूह के सदस्य हैं तथा दोनों देशों ने हाल में कोलंबो में आयोजित इसके पांचवे शिखर बैठक में हिस्सा लिया था। भारतीय कंपनियों द्वारा नेपाल में जल विद्युत परियोजनाओं के विकास पर बनी सहमति भी अहम है, क्योंकि नेपाल की समृद्धि के लिए उर्जा की दरकार है।

कुछ समय पहले जब भारत और नेपाल के संबधों में तनाव उत्पन्न हो गया था, तब भी भारत ने सहयोग बढ़ाने के प्रयास किए थे। दोनों देश इस संबध में आगे वार्ता जारी रखने पर सहमत हो गए हैं और आशा की जाती है कि सीमा विवाद व्यापारिक और सांस्कृतिक सहकार की राह में अवरोध नही बनेंगे। हालांकि कोविड महामारी से भारत बहुत अधिक प्रभावित रहा, पर भारत ने पड़ोसी देशों को हर संभव मदद करने को प्राथमिकता दी थी। नेपाल को भी दवाओं के साथ आक्सीजन की आपूर्ति की गई थी। प्रधानमंत्री देउबा ने ऐसे संकट में नेपाल के साथ खड़ा होने के लिए भारत के प्रति आभार जताया। इस दौरे से यह भी इंगित हुआ कि नेपाल किसी अन्य देश के अलावा भारत पर अधिक विश्वास करता।
भूपेंद्र सिंह रंगा, पानीपत