आगामी कुछ ही दिनों में हरियाणा में ग्राम पंचायत की प्रक्रिया चुनाव आयोग द्वारा घोषित की जाने वाली है। बढ़ती राजनीतिक चहल-पहल के चलते ग्रामीण अंचलों में पंचों, सरपंचों प्रखंड विकास समिति के सदस्यों, जिला पार्षदों की उम्मीदवारी के लिए ताल ठोंकने वाले भावी प्रतिनिधियों ने कमर कस ली है। हरियाणा के मतदाता अब काफी बुद्धिमान, जागरूक और राजनीतिक सूझ-बूझ रखने वाले हैं।

वे पुराने प्रतिनिधियों का तो आकलन कर ही रहे हैं, साथ में नए दावेदारों से भी अपेक्षाएं रख रहे हैं। भावी उम्मीदवारों से यह अपेक्षा है कि वे समाज सेवा का जज्बा रखते हों, विगत में उन्होंने सामाजिक जनकल्याण के कार्यों में अपना धन निवेश किया हो, उनको संविधान, पंचायती संस्थाओं, देश-प्रदेश के कानूनों का ज्ञान हो, शिक्षित भी हों और उनकी मतदाताओं के बीच स्वीकार्यता हो।

लेकिन ऐसा लगता है कि पंचायतों से धन कमाने की लालसा रखने वाले, टांग खिंचाई, जग हंसाई करने वाले कुछ लोग ग्रामीण अंचलों में योग्य व्यक्तियों की उपेक्षा कर चुनाव में उतरने का मन बना रहे हैं। कोशिश रहनी चाहिए कि जिनको जनता स्वीकार करती हो, जिनके विगत में कोई भ्रष्ट आचरण न रहे हों और जो आगे चल कर ग्रामीण अंचलों के लिए विकास का मानक रचे, वे अवश्य राजनीति में आएं। मतदाता ही चुनाव का मुख्य कारक होता है। उसकी जन आकांक्षाओं पर खरा उतरने की अवश्य भावी उम्मीदवारों से अपेक्षा की जाती है।
’युगल किशोर शर्मा, फरीदाबाद, हरियाणा