इस भेंट के गहरे निहितार्थ फलित हो सकते हैं, बशर्ते दोनों पक्ष के पूर्वाग्रही और दुराग्रही तत्त्व व्याप्त रंजिश एवं मनभेद के दारुण दरिया से निकलकर स्वतंत्र मन से अमन-चैन के सूत्र तलाशें। शायद अभी तक संघ के किसी प्रमुख ने ऐसी पहल नहीं की थी।

चूंकि दोनों पक्षों के बीच मतभेद के घनत्व वृद्धि में दोनों ओर का राजनीतिक आचरण मुख्य रूप से उत्तरदायी रहा है, इसलिए जरूरत इस बात की है कि यह पहल अपने सृजनात्मक लक्ष्य को पाने में उपस्थित हर मुद्दे को गंभीरतापूर्वक विमर्श करे। साथ ही यह भी विचार हो कि समाधान के सूत्र तलाशने में विवादास्पद राजनीतिक नेताओं के प्रवेश पर विराम भी लगे।

अगर पूर्व में प्रबल राजनीतिक इच्छा होती तो भातृत्व भाव की लक्ष्मण रेखा इतनी खंडित नहीं होती। उल्लेखनीय है कि ज्ञानव्यापी मामले में भी मोहन भागवत ने हिंदू धर्मावलंबियों को हिदायत दी थी कि वे हर मस्जिद में मंदिर ढूंढ़ने से परहेज करें। उनकी पहल अत्यधिक सार्थक हो सकती है अगर वे भविष्य में दोनों धर्मों के विशिष्ट व्यक्तियों को आमने-सामने बिठाकर मतभेद के मुद्दे पर खुले मन से विचार-विमर्श कराएं।

ज्यादा जरूरी है कि भाजपा में जो नेता जहरीले बोल और कुटिल व्यवहार में प्रवीण हो गए हैं और शांति-सद्भाव को खंडित करने में मशगूल हैं, उन्हें नियंत्रित करने के उपाय भी संघ करे, क्योंकि संघ भाजपा की मातृ संस्था के रूप में विद्यमान है। उसी प्रकार मुसलिम धर्मावलंबी के मान्यता प्राप्त विशिष्ट लोग भी अपने राजनीतिक संगठन के बयान-बहादुरों पर भी नकेल कसने का प्रभावी यत्न करें।

कई दशकों से जारी दोनों पक्ष के बीच दुराव और अविश्वास को विसर्जित करने की रणनीति अगर सफल हुई तो इसका वैचारिक प्रभाव ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की पुनर्स्थापना में एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। मतभेद और मनभेद से उपजी हिंसा ने देश में मानवता को असीमित लहूलुहान करते हुए अपूरणीय क्षति की है। उम्मीद की जानी चाहिए कि नई पहल विषैली धर्मांधता को धूल-धूसरित करके भाईचारे के भाव को स्वर्णाक्षरों से पुनर्लेखन करा सकेगी।

भारत के निर्माण में सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है धड़कते दिल को आपसी स्नेह, सद्भाव और समन्वय क्रिया शक्ति से विश्वास के बादल घनीभूत किए जाएं। तभी विकास की यात्रा सफलता प्राप्त कर सकेगी और आशा की किरणों से मंदिर-मस्जिद विवाद की गुत्थी भी सुलझ सकेगी। विश्व के सभी धर्मों का उद्देश्य है मानव शांति और प्रगति की सतत् गतिशीलता को बनाए रखना।
अशोक कुमार, पटना, बिहार।