ब्राजील के राष्ट्रपति बोलसेनारो को अभी से अगले वर्ष होने वाले चुनावी पराजय की आहट सुनाई देने लगी है। शायद इसीलिए अभी से उन्होंने कहना शुरू कर दिया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से धांधली होती है। इसलिए वे अगर हारे तो उस नतीजे को नहीं मानेंगे। इनसे पूछा जाना चाहिए कि यही बात उन्होंने एक जनवरी 1919 को क्यों नहीं कही, जब इसी मशीन ने उन्हें ब्राजील का राष्ट्रपति बना दिया था? अगर वे कहते कि चूंकि दुनिया के बड़े-बड़े लोकतंत्र मशीन के स्थान पर बैलट पेपर से चुनाव करा रहे हैं, इसलिए ब्राजील को भी वापस उसी पद्धति पर लौटना चाहिए, तब लोगों को उन पर थोड़ा ऐतबार होता। सिर्फ ब्राजील ही नहीं, दुनिया के हर लोकतंत्र को बैलट पेपर से चुनाव कराना चाहिए, क्योंकि एलेक्ट्रोंसिस और डिजिटल माध्यम कभी भी सुरक्षित नहीं हो सकती है। पेगासस मामले में हमने देखा किस तरह आपके फोन के माध्यम से किसी की जासूसी की जा सकती है।
’जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड
संवाद का सदन
संसद में हंगामे के कारण पिछले कई दिनों संदन में कोई विशेष चर्चा नहीं हो पाई और जनता के टैक्स का करोड़ों रुपए बर्बाद हो गए। विपक्ष को विरोध करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि संसद ही न चलने दी जाए। संसद करोड़ों भारतीयों के विश्वास का केंद्र है। सांसद लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं। एक सांसद लाखों लोगों द्वारा चुना जाता है और वह उनकी आवाज बन कर संसद में पहुंचता है और उसका कार्य लोगों की समस्याओं को उठाना होता है। अगर संसद ही नहीं चलेगी तो जन समस्याओं का समाधान कैसे होगा। कागज फाड़ कर अध्यक्ष की ओर फेंकना और धक्कामुक्की करना संसद की गरिमा को गिराना है। यही कारण है कि जनता का विश्वास राजनीतिकों से उठ रहा है। अगर संसद ठीक ढंग से चलेगी तो पक्ष और विपक्ष कई समस्याओं निदान कर पाएंगे।
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जिसे हमारे पूर्वजों ने बड़ी मेहनत और कुर्बानियों से स्थापित किया है। इसकी गरिमा को बनाए रखना हमारा परम कर्तव्य है। लोकतंत्र में संवाद ही एकमात्र विकास का मार्ग है। हमारे देश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन अगर सार्थक और प्रतिबद्धता पूर्ण संवाद होगा, तभी तो इन प्रतिभाओं को निखारने का मार्ग प्रशस्त होगा।
’नरेंद्र कुमार शर्मा, मंडी, हिप्र
खत्म होते रोजगार
उद्योग, धंधे और कारोबार देश की आर्थिक व्यवस्था की रीढ़ तो होते ही हैं। साथ ही यह देश के करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी और रोजगार का सहारा भी होते हैं। अगर कोई उद्योग धंधा या इनकी कोई इकाई या फिर कोई शाखा किसी कारण भी बंद होता है तो यह बहुत से लोगों की जिंदगी भी बर्बाद कर सकता है, क्योंकि इससे लोगों का रोजगार भी छिन जाता है। कुछ लोग तो उम्र की उस दहलीज पर होते हैं, जिन्हें फिर से कहीं रोजगार मिलना भी मुश्किल हो जाता है।
’राजेश कुमार चौहान, जलंधर, पंजाब</p>