अपशब्दों के प्रयोग पर माफी मांगने के बाद भी असम पुलिस ने हवाई जहाज में बैठे खेड़ा को नीचे उतारा और गिरफ्तारी की। गिरफ्तारी के तरीके ने भी मर्यादा की हदें तोड़ दी। अच्छा हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर तुरंत सुनवाई कर खेड़ा को रिहा किया।
सियासत में संयम बरतना जरूरी है। मतभेद हो सकते हैं, बोलने, आचरण, व्यवहार आदि में गलती संभव है, किंतु यह भी देखना जरूरी है कि वास्तव में अपराध गंभीर किस्म का है, अन्यथा उस पर बदला लेने के भाव से कार्रवाई या जवाब ही नहीं दिया जाए। अगर कोई कार्रवाई न हो, तो उसका मतलब यह भी नहीं कि व्यक्ति मनमाफिक या अपने ढंग से किसी के बारे में कुछ भी बोले, यह भी अपने आप में गैरजिम्मदारी और उदंडता ही होगी, जिसका नाजायज फायदा नहीं उठाया जाए, क्योंकि जो जैसा कहता है वैसा उसमें सुनने की क्षमता भी होना चाहिए।
बीएल शर्मा ‘अकिंचन’, तराना, उज्जैन
झूठ पर झूठ
कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री और भाजपा-आरएसएस ने हर संस्था पर कब्जा कर उसे नष्ट कर दिया है। खामोश की जा रही है विपक्ष की आवाज। साथ ही एक बार फिर दोहराया कि देश में नफरत फैलाई जा रही है और दलित, अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।
जबकि असलियत यह है कि जब आपकी पार्टी की सरकार थी, तब सभी संस्थाओं पर कांग्रेसियों का कब्जा हुआ करता था और आपकी सासू मां ने जून 1975 में आपातकाल लगा कर समूचे विपक्ष तथा मीडिया की आवाज को खामोश कर दिया था। मोदी सरकार के राज में आप और आपकी पार्टी के कई नेता खुलेआम पीएम को न सिर्फ गालियां दे रहे हैं, बल्कि उनकी मौत की कामना करते हुए कब्र खुदने के नारे लगा रहे हैं। पार्टी की और ज्यादा फजीहत कराने से अच्छा तो यही होगा कि झूठ उतना ही बोलें, जितना देशवासियों के गले उतर सके।
वसंत बापट, भोपाल
जल प्रदूषण
पानी में हानिकारक पदार्थों, जैसे सूक्ष्म जीव, रसायन, औद्योगिक, घरेलू और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से उत्पन्न दूषित जल आदि के मिलने से जल प्रदूषित हो जाता है। देश के 639 में से 158 जिलों के कई हिस्सों में भूजल खारा हो चुका है। भूजल के दूषित जल को शुद्ध करना बेहद कठिन कार्य है। नदी-तालाब जैसे भूजल का सत्तर फीसद प्रदूषित हो चुका है।
सरकारी आंकड़े के अनुसार अठहत्तर फीसद ग्रामीण और उनहत्तर फीसद शहरी घरों तक स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं है। देश में लगभग 3.77 करोड़ लोग प्रति वर्ष दूषित पानी के इस्तेमाल से बीमार पड़ रहे हैं। देश में लगभग 1.4 लाख बच्चे हर साल गंदे पानी से उपजी बीमारियों के चलते मर जाते हैं। जल प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार और समाज को मिलकर प्रयास करने चाहिए।
हिमांशु शेखर, केसपा, गया
सेवा बनाम मेवा
कांग्रेस के पचासीवें महाधिवेशन में सोनिया गांधी ने राजनीति से संन्यास लेने की मंशा जताई। राहुल गांधी ने कहा कि हमारी पार्टी ‘सत्याग्रही’ है, जबकि भाजपा ‘सत्ताग्रही’। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कमजोर होती पार्टी को मजबूत करने का कार्यकर्ताओं से आ’’ान किया। एक तरफ सोनिया गांधी संन्यास ले रही हैं, दूसरी तरफ राहुल गांधी सत्याग्रही बन रहे हैं, तीसरी तरफ खड़गे कमजोर होती पार्टी को मजबूत करने का आह्वान कर रहे हैं।
जबकि राहुल गांधी को तो सत्ता से मोह होना ही नहीं चाहिए। ‘भारतमाता की सेवा’ में जुट जाना चाहिए और कांग्रेस को मल्लिकार्जुन खड़गे के हाल पर छोड़ देना चाहिए, जिन्होंने ‘नई कांग्रेस का आगाज’ भी किया और कहा कि नई कांग्रेस भारत का नया इतिहास रचेगी।
शकुंतला महेश नेनावा, गिरधर नगर, इंदौर</p>
सकारात्मक वातावरण
स्कूली बच्चों की परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। इस समय उन्हें सफलता पाने के लिए भरसक मेहनत करनी होती है। माता-पिता की भी इच्छा होती है कि उनके बच्चे उनके सपने साकार करें। पर इस सोच के साथ माता-पिता को बच्चों की मानसिकता और अन्य पहलुओं का भी ध्यान रखना होगा कि बच्चे किसी भी प्रकार से दबाव में न रहें। एक रपट के मुताबिक अस्सी फीसद बच्चों को यह चिंता रहती है कि परीक्षा परिणाम बिगड़ा तो अभिभावक दुखी हो जाएंगे। ऐसी परिस्थिति में बच्चों की कोमल मानसिकता को समझ कर बातचीत करते रहें और बताते रहें की आप खुश हैं।
कुछ माता-पिता बच्चों से इतनी उम्मीद लगा लेते हैं कि वे उनकी क्षमता और मानसिकता का आकलन नहीं कर पाते! परीक्षा के समय अभिभावकों को बच्चों के साथ मित्रतापूर्ण व्यवहार और शांति का वातावरण देना होगा। सकारात्मक वातावरण निर्मित करना चाहिए। अपने बच्चों की तुलना अन्य बच्चों से नहीं करनी चाहिए। यह समझना होगा कि सभी बच्चे एक सामान नहीं होते। बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतन जरूरी है, पर सकारात्मक भाव के साथ।
योगेश जोशी, कंवर कालोनी, बड़वाह
कड़ाई की जरूरत
पंजाब के अजनाला थाने में अमृतपाल के नेतृत्व में खालिस्तानी समर्थकों ने जो उत्पात मचाया उससे अस्सी के दशक में हुए खालिस्तानी आंदोलन की पुनरावृत्ति का भय उत्पन्न हो गया है। इस पर राज्य सरकार उदासीनता दिखाई पड़ती है। खालिस्तानी समर्थकों का अजनाला थाने पर हिंसक प्रदर्शन आने वाले तूफान का न केवल संकेत, बल्कि भगवंत सिंह मान के लिए भी एक चुनौती है।
यह सब पाकिस्तान और कनाडा में बैठे मुट्ठी भर अलगाववादी सिखों और आइएसआइ के षड्यंत्र का नतीजा है। अमृतपाल की देश के गृहमंत्री और पंजाब के मुख्यमंत्री को खुली धमकी देना और स्वयं को भारत का नागरिक न बताना सीधे देशद्रोह नहीं तो क्या है? इसलिए इस फन को उठने से पहले ही कुचलना होगा।
इसके लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अगुवाई में देशभक्त सिख समुदाय को आगे आकर ऐसे देश-विरोधी तत्वों से निपटने में सरकार का सहयोग करना चाहिए और केंद्र सरकार को भी राज्य सरकार के भरोसे न रह कर यथाशीघ्र कठोर कदम उठाना चाहिए।
नरेंद्र टोंक, मेरठ