कोरोना संकट के चलते टाटा ग्रुप के इतिहास में यह पहला मौका है, जब टाटा संस के चेयरमैन और समूह की सभी कंपनियों के सीईओ ने सैलरी में 20٪‌ कटौती का फैसला लिया है। कोरोना संकट से कारोबार पर पड़े असर से निपटने के लिए टाटा समूह लागत में कमी की नीति अपना रहा है। इसके तहत ही समूह की सभी कंपनियों के सीईओ 20 फीसदी कम सैलरी लेने को तैयार हुए हैं। एक आंतरिक सूत्र ने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है कि टाटा ग्रुप के कर्मचारी प्रोत्साहित हों और संगठन को मजबूती मिले। टाटा समूह की सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली कंपनी टीसीएस ने सीईओ राजेश गोपीनाथन की सैलरी में कटौती का ऐलान किया था।

इसके अलावा इंडियन होटल्स की ओर से पहले ही कहा जा चुका है कि उसकी सीनियर लीडरशिप सैलरी का कुछ हिस्सा छोड़ेगी ताकि संकट के इस दौर से कंपनी को उबारने में मदद मिले। ग्रुप की कंपनियों टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, ट्रेंट, टाटा इंटरनेशनल, टाटा कैपिटल, वोल्टाज के सीईओ और एमडी की सैलरी में कटौती की गई है।

कंपनी के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि यह कटौती इस साल के लिए है। ग्रुप के एक सीईओ ने कहा कि टाटा समूह को अपने इतिहास में कभी भी इस तरह के समय का सामना नहीं करना पड़ा। इसलिए हमें कुछ कठिन फैसले लेने पड़ रहे हैं। सीईओ ने कहा कि हम पूरी कोशिश करेंगे, जो एक अच्छी लीडरशिप करती है। लेकिन हमारे समूह की संस्कृति रही है कि जितना संभव हो सकता है, हम अपने कर्मचारियों का संरक्षण करते हैं।

टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कुछ दिनों पहले कहा था कि कोरोना के संकट में सभी कंपनियां अपनी एचआर पॉलिसी को देखेंगी और उसके मुताबिक रेवेन्यू और कैश फ्लो मैनेजमेंट की प्लानिंग करेंगी। उन्होंने कहा था कि हर कंपनी कारोबार की स्थिरता और ग्रोथ को ध्यान में रखते हुए फैसले लेगी। हालांकि समूह की सबसे बड़ी कंपनी टीसीएस ने पिछले दिनों कहा था कि उसकी ओर से किसी भी कर्मचारी की सैलरी में कटौती नहीं होगी और जिन लोगों को नए जॉब ऑफर दिए गए हैं, उनका सम्मान किया जाएगा। गौरतलब है कि टाटा ग्रुप की उन कंपनियों को ज्यादा संकट का सामना करना पड़ रहा है, जो हॉस्पिटैलिटी, होटल एवं टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़ी हैं।

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