PM Fasal Bima Yojana: मार्च के महीने में हुई बेमौसम बरसात से नष्ट हुई फसल का बीमा क्लेम हासिल करने में किसानों के पसीने छूट रहे हैं। दरअसल लॉकडाउन के चलते फसलों की कटाई प्रभावित है और ऐसे में फसलों के नुकसान का सर्वे नहीं हो पा रहा है। यह प्रक्रिया फसलों की कटाई के दौरान ही होती है। दरअसल फसल की कटाई के आंकड़े पर ही नुकसान का आकलन किया जाता है। हालांकि कई राज्यों में लॉकडाउन के चलते यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है। ऐसे पीएफ फसल बीमा योजना के तहत किसानों को फसलों के नुकसान की भरपाई होने में लंबा वक्त लग सकता है। बड़े पैमाने पर गेहूं, सरसों जैसी फसलों की खेती करने वाले उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में अभी यह प्रक्रिया 10 से 20 पर्सेंट तक ही पूरी हो सकी है।

पीएम फसल बीमा योजना और वेदर बेस्ड क्रॉप इंश्योरेंस स्कीम के तहत बीमा कंपनियों ने किसानों से 2019-20 के रबी सीजन के लिए 7,500 करोड़ रुपये का प्रीमियम हासिल किया था। रबी की फसलों को लेकर आमतौर पर सिंचाई किल्लत नहीं रहती है, लेकिन कई बार बेमौसम बरसात या फिर कीटाणुओं के लगने से बड़ा नुकसान होने की आशंका रहती है। ऐसी स्थितियों में फसल बीमा योजना ही किसानों के लिए एकमात्र सहारा होती है।

नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद 2016 में लॉन्च की गई पीएम फसल बीमा योजना के तहत किसानों को रबी की फसल के लिए बीमा की कुल रकम के 1.5 पर्सेंट के बराबर प्रीमियम देना होता है। इसके अलावा खरीफ की फसल के लिए 2 फीसदी प्रीमियम देना होता है। यदि किसान ने नगदी फसल की खेती की है तो उसे प्रीमियम के तौर पर 5 फीसदी की रकम चुकानी होती है। इसके बाद बची हुई राशि को राज्य और केंद्र सरकार आधा-आधा वहन करती हैं।

मध्य प्रदेश में 20 और यूपी में सिर्फ 10 पर्सेंट सर्वे: चना और मूसर जैसी दालों के सबसे बड़े उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में अब तक पीएम फसल बीमा योजना के क्लेम के 20 फीसदी सर्वे भी नहीं हो पाए हैं। इसी तरह यूपी की बात की जाए तो यहां महज 10 फीसदी सर्वे ही हो सके हैं। बता दें कि राज्य में गेहूं की कटाई लॉकडाउन के चलते 15 दिन पीछे चल रही है।

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