मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव के अभिभाषण के साथ मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र मंगलवार यहां शुरू हुआ। राज्यपाल ने अभिभाषण में सरकार की चुनाव, सामाजिक और आर्थिक मोर्चे पर उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने राज्य के आर्थिक मोर्चे पर बेहतर प्रबंधन को लेकर संतोष जताया।

अधिक समय तक खड़े रहने में असमर्थ 87 वर्षीय राज्यपाल यादव ने 47 पृष्ठ के अभिभाषण का पहला और अंतिम पैरा सदन में पढ़ा जिसके बाद वह सदन से चले गए। विधानसभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा ने विषयसूची के मुताबिक मंगलवार के कामकाज पूरे करने के बाद सदन की कार्यवाही को बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया।

राज्यपाल के अभिभाषण के पूर्व मैहर विधानसभा क्षेत्र से नव निर्वाचित भाजपा के नारायण त्रिपाठी को विधानसभा की सदस्यता की शपथ दिलाई गई। राज्यपाल ने भाषण में कहा कि 2015 में प्रदेश में पंचायत राज संस्थाओं और नगरीय निकायों के चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हुए। इससे सरकार में जनता के पुख्ता विश्वास का प्रमाण मिला है। यादव ने कहा, ‘सरकार जनसंकल्प 2013 और विजन 2018 के क्रियान्वयन के लिए पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रही है। मुझे विश्वास है कि सरकार इस दिशा में कोई कोर-कसर नहीं छोड़गी।’ जनसंकल्प 2013 और विजन 2018 भाजपा सरकार का प्रदेश के विकास का रोडमेप है।

राज्यपाल ने कहा कि संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती और अंत्योदय के प्रणेता पं दीनदयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में प्रदेश में गरीब कल्याण वर्ष मनाया जा रहा है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत भूमिहीन परिवारों को आवासीय पट्टे देने तथा अन्य शासकीय योजनाओं का प्रभावी लाभ प्रदाय करने का अभियान चलाया जा रहा है। अनुसूचित जाति-जनजाति के भाई-बहनों के विकास के लिये वर्तमान योजनाओं के अलावा नई योजनाएं भी प्रारंभ की जाएंगी।

राज्यपाल यादव ने कहा कि राज्य की वित्तीय स्थिति का निरंतर संतोषजनक प्रबंधन किया गया। यह कुशल वित्तीय प्रबंध का ही परिणाम है कि राज्य पिछले ग्यारह वर्ष से राजस्व आधिक्य की स्थिति में है। 2003-04 में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद एक लाख दो हजार करोड़ रुपए था जो कि 2014-15 में अनुमानत: चार गुना बढ़कर 5 लाख 8 हजार करोड़ रुपए हुआ। उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 10.19 प्रतिशत रही जो देश में सबसे ज्यादा है। उन्होंने कहा कि 2003-04 में कुल राजस्व प्राप्तियों की 22.44 प्रतिशत राशि का ब्याज भुगतान में व्यय होता था। 2014-15 में यह घटकर 7.98 प्रतिशत रह गया है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।