तमाम कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद देश में किसानों की हालत में पिछले 60 साल में कोई सुधार नहीं होने पर चिंता जाहिर करते हुए लोकसभा में गुरुवार को सदस्यों ने कृषि और किसान के उत्थान के लिए कृषक आयोग बनाने की मांग की। दो दिन पहले देश में सूखे के कारण पैदा संकट पर नियम 193 के तहत सदन में चर्चा की शुरुआत की थी। भाजपा के एक सदस्य की विवादास्पद टिप्पणी पर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग पर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया है। इन दलों के सदस्यों की अनुपस्थिति में चर्चा आगे बढ़ी।

इस अधूरी चर्चा को गुरुवार को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के तारिक अनवर ने इस स्थिति को अफसोसजनक बताया कि फसल खराब हो जाए तो भी किसान बर्बाद और फसल अच्छी हो जाए तो भी किसान बर्बाद। उन्होंने भाजपा को उसके लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र की याद दिलाते हुए कहा कि राजग सरकार को अब स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना चाहिए, जिसमें कृषि और किसान को बदहाली से उबारने के लिए अहम सुझाव दिए गए हैं।

राकांपा नेता ने कहा कि डीडी किसान चैनल का प्रसारण क्षेत्रीय भाषाओं में भी किया जाए। भाजपा के हुकुमदेव नारायण यादव ने किसानों की बदहाली के लिए पिछली कांग्रेस सरकारों की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि गाय और बैल में फर्क नहीं समझने वाले अंग्रेजीदां लोगों ने किसानों के लिए नीतियां बनार्इं और उन्हीं गलत नीतियों का परिणाम हमारे सामने है कि किसान मर रहा है। उन्होंने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की चलाई गई मनरेगा योजना को मरेगा किसान योजना करार देते हुए ऐसी तमाम योजनाओं को बंद करके उनका पैसा और सबसिडी प्रधानमंत्री सिंचाई योजना में निवेश किए जाने की मांग की।

हुकुम देव ने कहा कि आज देश को कृषि वैज्ञानिकों नहीं बल्कि कृषक वैज्ञानिकों की जरूरत है। तेलुगु देशम पार्टी के मल्ला रेड्डी ने कहा कि आज कुशल भारत और ‘मेक इन इंडिया’ की तरह ही ‘किसान इंडिया’ आंदोलन की जरूरत है। उन्होंने किसानों को कर्ज देने के लिए मुद्रा बैंक की तर्ज पर विशेष बैंक खोलने और किसानों को बिना जमानत और ब्याज के कर्ज दिए जाने की मांग की। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अरुण कुमार ने कहा कि हमारे पूर्वज किसान आज के वैज्ञानिकों के मुकाबले कहीं अधिक बड़े वैज्ञानिक थे जिन्होंने कृषि की पारंपरिक तकनीकें विकसित की थीं।

उन्होंने आधुनिक कृषि तकनीक के साथ ही परंपरागत तरीकों को भी प्राथमिकता देने की मांग की। उन्होंने कहा कि कृषि का बाजारीकरण होने से किसान का शोषण हो रहा है। उन्होंने कृषि आयोग का गठन करने और उसमें किसानों के प्रतिनिधियों को शामिल करने का सुझाव दिया। राजद से निष्कासित राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने किसानों की बदहाली का जिम्मा पिछली कांग्रेस सरकारों पर डालने के लिए सरकार को आड़े हाथ लिया और कटाक्ष करते हुए कहा कि वक्त ने आपको इतिहास पुरुष बनने का मौका दिया है। लेकिन अगर आप पिछली गलतियों का रोना रोते रहेंगें तो इतिहास लिखने का अवसर आपके हाथ से निकल जाएगा।

उन्होंने कहा कि आज यह किसानों का देश नहीं बल्कि पूंजीपतियों, भ्रष्ट और दलालों का देश बनकर रह गया है और मोदी सरकार दुविधा में फंसी है कि किस रास्ते पर जाए। कृषि को उद्योग का दर्जा दिए जाने की मांग करते हुए राजेश रंजन ने कहा कि आज किसान खत्म हो रहे हैं और बंटाईदारों की संख्या बढ़ रही है। अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने कहा कि यह बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि जय जवान जय किसान का नारा देने वाला देश आज बाढ़ और सूखे की स्थिति से निपट नहीं पा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों की मदद के लिए राज्यों से केंद्र की ओर से दिए जाने वाले पैसे का पूरा हिसाब-किताब लिया जाना चाहिए।

भाजपा के गणेश सिंह ने सूखे से किसानों के समक्ष उत्पन्न समस्या का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्यों को सिर्फ राहत राशि मुहैया कराना ही पर्याप्त नहीं होगा। इस बारे में हमें एक ठोस नीति बनानी होगी साथ ही एक कारगर फसल बीमा योजना लागू करना होगा ताकि हम किसानों को मदद कर सकें। भाजपा के ही राव साहेब पाटील ने कहा कि महाराष्ट्र के 21 जिले सूखे से प्रभावित हैं और राज्य सरकार ने किसानों को राहत पहुंचाने के लिए जो चार हजार करोड़ रुपए की मांग की है वह राशि उसे तत्काल मुहैया कराई जानी चाहिए।

शिवसेना के प्रताप राव ने किसानों को कर्ज से सौ फीसद मुक्ति दिलाने की मांग की ताकि किसानों को राहत हो सके। भाजपा के अभिषेक सिंह ने कृषि अनुसंधान को राज्य सूची से निकाल कर समवर्ती सूची में शामिल करने की मांग की। एआइएमआइएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री को सूखे से प्रभावित राज्यों के साथ बैठक करनी चाहिए और बताना चाहिए कि सरकार क्या करने जा रही है। चर्चा में इंडियन नेशनल लोकदल के दुष्यंत चौटाला भाजपा की संतोष अहलावत और भैरो प्रसाद मिश्रा ने भी हिस्सा लिया। चर्चा अधूरी रही।