सरकार की बैंकिंग नीतियों और अर्थव्यवस्था को लेकर अगले बजट में प्रस्तावित सुधारों का बैंकिंग सेक्टर में विरोध शुरू हो गया है। इसकी वजह से अगले दो दिन तक आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। बैंक ऑफिसर्स और कर्मचारी यूनियंस हड़ताल पर जा रहे हैं। यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के विरोध में 16 व 17 दिसंबर को बैंक कर्मचारी देशव्यापी हड़ताल करेंगे।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के प्रदेश संयोजक महेश मिश्रा ने विज्ञप्ति जारी कर बताया की इस हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्र की 4,000 से भी अधिक शाखाओं में कार्यरत 25,000 अधिकारी व कर्मचारी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार संसद के मौजूदा सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लेकर आ रही है, जिससे भविष्य में किसी भी सरकारी बैंक को निजी क्षेत्र में देने का रास्ता साफ हो जाएगा। बैंक कर्मचारी व अधिकारी सरकार के इस निर्णय के खिलाफ लामबंद होकर 16 व 17 दिसंबर की दो दिन की देशव्यापी हड़ताल करेंगे।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सहित ज्यादातर बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचित किया है कि हड़ताल की वजह से चेक समाशोधन और कोष हस्तांतरण जैसी बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी) के महासचिव सौम्य दत्ता ने कहा कि बुधवार को अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त के समक्ष सुलह-सफाई बैठक विफल रही और यूनियनों ने हड़ताल पर जाने के फैसले को कायम रखा है।
वहीं दूसरी तरफ किसानों की लड़ाई जीतकर अपने घर पहुंचे राकेश टिकैत ने अब बैंक कर्मियों की आवाज में अपनी आवाज मिलाई है। हड़ताल का समर्थन करते हुए राकेश टिकैत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कू पर लिखा कि बैंकों के निजीकरण के खिलाफ दो दिवसीय बैंकर्स की देशव्यापी हड़ताल का मैं पूर्ण समर्थन करता हूं। साथ में सभी देशवासियों को बैंकों को निजीकरण से बचाने का अनुरोध और इस लड़ाई में शामिल होने की अपील करता हूं ।

सरकार ने बजट 2021-22 में इस साल के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव किया था। दो दिन की हड़ताल (16 और 17 दिसंबर) का आह्वान यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक्स यूनियन (यूएफबीयू) ने किया है।