कोरोना वायरस के संकट के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर की चपत लग सकती है। यदि ऐसा होता है तो यह वैश्विक अर्थव्यवस्था से जापान के बाहर होने जैसा होगा। वॉल स्ट्रीट बैंक्स की रिपोर्ट के मुताबिक अगले दो सालों में दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर का बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक 1930 की मंदी के बाद दुनिया के ऊपर यह सबसे बड़ा आर्थिक संकट है। हालांकि अनुमान है कि अर्थव्यवस्था में लॉकडाउन की यह स्थिति अगले कुछ दिनों में खत्म हो सकती है। लेकिन अर्थव्यवस्थाओं को उसके बाद संभलने में काफी वक्त लगेगा।

रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के संकट से पहले दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं की जो जीडीपी की रफ्तार थी, उसे वापस पाने में 2022 तक का वक्त लग सकता है। आर्थिक जानकारों के मुताबिक एक दशक पहले भी आर्थिक संकट आया था, लेकिन तब संभलने में ज्यादा वक्त नहीं लगा था। इस बार स्थिति उससे काफी बदतर है। ऐसी स्थिति में सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं के पॉलिसी मेकर्स को संकट से उबरने का प्लान तैयार करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है।

जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक दुनिया की अर्थव्यवस्था को कोरोना के संकट के चलते 5.5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान झेलना पड़ सकता है। यह रकम दुनिया की जीडीपी के 8 फीसदी हिस्से के बराबर है। मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक 2021 की तीसरी तिमाही तक विकसित देश उस स्थिति में पहुंच पाएंगे, जो कोरोना वायरस के अटैक से पहले थी। इसी तरह डोएचे बैंक का अनुमान है कि कोरोना के संकट से पहले अमेरिका और यूरोपियन यूनियन की अर्थव्यवस्थाओं का जो अनुमान था, उसमें 1 ट्रिलियन डॉलर की बड़ी कमी आ जाएगी।

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