Budget 2022: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी, 2022 (मंगलवार) को बजट पेश करेंगी। यह आम बजट वित्त वर्ष 2022-23 के लिए होगा। खास बात है कि यह लगातार चौथा मौका रहेगा, जब वह बजट भाषण देंगी।

रोचक बात है कि उनके नाम देश का सबसे लंबा भाषण देने का रिकॉर्ड भी है। उन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए दो घंटे 42 मिनट लंबा भाषण दिया था। इस दौरान सीतारमण ने जुलाई 2019 में बनाए गए अपने ही दो घंटे और 17 मिनट वाले लंबे भाषण के रिकॉर्ड को तोड़ा दिया था।

यही नहीं, बजट को लेकर उनके नाम एक और रिकॉर्ड भी है कि वह देश में बजट प्रस्तुत करने वाली दूसरी महिला हैं। सीतारमण से पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी (1970-71 में) देश का बजट पेश कर चुकी हैं।

साल 2019 में सीतारमण ने पारंपरिक बजट सूटकेस/ब्रीफकेस को हटा दिया था। उन्होंने इसके बजाय भाषण और अन्य डॉक्यूमेंट्स को ले जाने के लिए राष्ट्रीय प्रतीक के साथ एक पारंपरिक ‘बही-खाता’ का इस्तेमाल किया। आइए जानते हैं देश के बजट से जुड़े ऐसे ही कुछ रोचक पहलू, जो शायद आप जानते हों:

  • जहां सबसे लंबा बजट भाषण देने का रिकॉर्ड निर्मला सीतारमण के नाम है। वहीं, सबसे छोटा बजट भाषण तत्कालीन वित्त मंत्री हीरुभाई मुलजीभाई पटेल का था। साल 1977 में उन्होंने सिर्फ 800 शब्दों वाला बजट भाषण दिया था।
  • वैसे, सबसे ज्यादा बजट भाषण देने का रिकॉर्ड पूर्व पीएम मोरारजी देसाई के नाम है। उन्होंने 1962-69 के बीच वित्त मंत्री रहते हुए सर्वाधिक 10 बार बजट पेश किया था। इसके बाद पी चिदंबरम (नौ), प्रणव मुखर्जी (आठ), यशवंत सिन्हा (आठ) और मनमोहन सिंह (छह) आते हैं।
  • देश में पहली बार बजट सात अप्रैल 1860 को पेश हुआ था। इसे ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़े स्कॉटिश अर्थशास्त्री और नेता जेम्स विल्सन ने ब्रिटिश साम्राज्ञी के सामने रखा था, जबकि आजाद भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को पेश किया गया। तत्कालीन वित्त मंत्री आर के षण्मुखम चेट्टी ने द्वारा यह पेश किया गया था।
  • अब तक के बजट भाषण में सबसे ज्यादा शब्द वर्ष 1991 में दिए गए बजट भाषण में थे। मनमोहन सिंह ने तब कुल 18,650 शब्द वाला बजट भाषण पढ़ा था। उसके बाद दूसरा स्थान दिवंगत अरुण जेटली का है, जिनके 2018 के बजट भाषण में 18,604 शब्द थे।
  • बजट भले ही अब सुबह पेश होता हो, कभी यह शाम को प्रस्तुत किया जाता था। दरअसल, साल 1999 तक बजट भाषण फरवरी के अंतिम कार्य दिवस को शाम पांच बजे पेश किया जाता था। लेकिन यशवंत सिन्हा ने 1999 में इसे बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया था।
  • साल 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में पेश होता था, मगर कांग्रेस सरकार ने इसे अंग्रेजी और हिंदी दोनों में ही पेश करना शुरू कर दिया था। पहले यह हार्डकॉपी मोड में पेश होता था, मगर कोविड-19 महामारी आने के बाद साल 2021-22 का बजट कागज-रहित पेश किया गया। 2022 का बजट भी पेपरलेस होगा।
  • 2017 तक रेल बजट और आम बजट अलग-अलग पेश होते थे। पर 2017 में रेल बजट को आम बजट में ही समाहित कर दिया गया और अब सिर्फ एक बजट ही प्रस्तुत किया जाता है।
  • साल 1950 तक बजट की प्रिंटिंग राष्ट्रपति भवन में होता थी। इसके लीक होने के बाद प्रिटिंग नई दिल्ली के मिंटो रोड स्थित प्रेस में होने लगी। फिर साल 1980 में वित्त मंत्रालय के भीतर ही सरकारी प्रेस में इसे प्रिंट किया जाने लगा। बजट से पहले एक हलवा सेरेमनी भी होती थी, पर इस बार कोरोना की वजह से बजट से जुड़े अफसरों और कर्मचारियों के बीच मिठाई का वितरण किया गया।