कोरोना वायरस के संकट के चलते एशिया की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ पर 60 सालों में पहली बार ब्रेक लग सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपने अनुमान में कहा है कि एशिया महाद्वीप में सर्विस सेक्टर और एक्सपोर्ट चेन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। इससे अर्थव्यवस्था में ठहराव की स्थिति पैदा हुई है। आईएमएफ के एशिया पैसिफिक विभाग के डायरेक्टर चांगयोंग ने कहा कि सभी देशों के पॉलिसीमेकर्स को ट्रैवल बैन, सोशल डिस्टेंसिंग पॉलिसी एवं अन्य उपायों के चलते प्रभावित सेक्टर्स को मदद करने के लिए उपाय करने चाहिए। चांगयोंग ने कहा, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यह बेहद चुनौतीपूर्ण और अनिश्चित समय है। एशिया-पैसिफिक रीजन भी अछूता नहीं है और विपरीत असर पड़ा है।’

चांगयोंग ने कहा कि कोरोना के संकट के चलते एशिया-पैसिफिक रीजन की ग्रोथ भी प्रभावित हुई है। यह कारोबार के लिए सामान्य दौर नहीं है। एशियाई देशों को अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए प्रयास किए जाने की जरूरत है। एशिया की अर्थव्यवस्था में इस साल जीरो ग्रोथ देखने को मिल सकती है। 60 सालों में यह पहला मौका होगा, जब एशिया की अर्थव्यवस्था में ठहराव की स्थिति पैदा होगी। हालांकि आईएमएफ ने यह भी कहा है कि दुनिया के अन्य हिस्सों के मुकाबले एशिया की अर्थव्यवस्था फिर भी बेहतर स्थिति में होगी।

गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने फाइनेंशियल ईयर 2021 में भारत की अर्थव्यवस्था के 1.9 फीसदी की ग्रोथ करने का अनुमान जताया है। यदि ऐसा होता है तो 1991 के बाद यह पहला मौका होगा, जब भारत की आर्थिक ग्रोथ इतने निचले लेवल पर पहुंच जाएगी। हालांकि आईएमएफ के अनुमान में ही भारत के लिए एक बड़ी उम्मीद जताते हुए कहा गया है कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.4 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ सकती है। यदि ऐसा होता है तो यह बड़ी छलांग होगी। आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि हेल्थ इमरजेंसी के चलते बड़ा संकट पैदा हो सकता है और तमाम देशों को बड़ा नुकसान होने की आशंका है।

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