देश के दो सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी और गौतम अडानी लगातार अपने कारोबार का दूसरी कंपनियों के विलय और अधिग्रहण के जरिए विस्तार कर रहे हैं। इस पर इन्वेस्टमेंट फर्म बार्कलेज का कहना है कि बिलेनियर गौतम अडानी और मुकेश अंबानी भारत की ओर से विलय और अधिग्रहण का नेतृत्व करते रहेंगे।
बार्कलेज इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर और इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के प्रमुख प्रमोद कुमार ने बुधवार को ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में कहा कि हम अडानी और रिलायंस ग्रुप को कई नए व्यवसायों में जाते हुए देख रहे हैं। उनके पास पर्याप्त पूंजी हैं और वे नए अवसर तलाशते रहेंगे।
ब्लूमबर्ग के द्वारा एकत्रित किए गए डाटा के अनुसार, इस साल की दूसरी तिमाही में भारत में 82 अरब डॉलर के विलय और अधिग्रहण पूरे हुए हैं, जिसमें अडानी ग्रुप की ओर से किया गया 10.5 बिलियन डॉलर में होल्सिम ग्रुप के भारतीय सीमेंट करोबार का अधिग्रहण सबसे बड़ा है।
दूसरी तरफ अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड जर्मनी के बड़े रिटेलर मेट्रो एजी के भारतीय कारोबार के खरीदने की कोशिश कर रही है। दोनों कंपनियां आने वाले 5G स्पेक्ट्रम के लिए भी दावेदारी पेश कर रही है।
कुमार ने आगे कहा कि भारत में बैंकों की ओर से ब्याज दर बढ़ाने और रुपए की कीमत में गिरावट के कारण कंपनियों की विलय और अधिग्रहण की प्रक्रिया में धीमापन आ सकता है। आने वाले छह महीनों में कंपनियों के बीच होने वाले सौदों की संख्या में कमी देखने को मिल सकती हैं।
5G कारोबार पर दोनों लगा रहे दांव: अडानी ग्रुप के 5G स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाने के आवेदन के बाद टेलिकॉम सेक्टर में टक्कर कड़ी हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो 5G स्पेक्ट्रम पर 55 से 60 हजार करोड़ रुपए जबकि अडानी ग्रुप इस पर 13 से 15 हजार करोड़ रुपए खर्च कर सकता है।