Bharat Jodo Yatra And Impact On BJP Strategy For 2024: कन्याकुमारी से कश्मीर तक के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग-44 अपने पूरे फासले में केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश (कुछ जिले), दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जम्मू और कश्मीर (दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर) के राज्यों से गुजरता है। इसकी कुल लंबाई 3,745 किलोमीटर (2,327 मील) है। यह कई महत्वपूर्ण शहरों से गुजरता है, जिनमें (उत्तर से दक्षिण दिशा में) श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, जलंधर, लुधियाना, अंबाला, करनाल, दिल्ली, आगरा, ग्वालियर, झांसी, नागपुर, हैदराबाद, बेंगलुरु, धर्मपुरी, सेलम, करूर, मदुरई, तिरूनेलवेली और कन्याकुमारी शामिल हैं।
भारत की सबसे बड़ी सुरंग चेनानी-नाशरी सुरंग इसी राजमार्ग पर स्थित है। इसके अतिरिक्त जवाहर टनल, काजीगुंड बनिहाल सुरंग आदि भी उल्लेखनीय हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि इस समय कांग्रेस में जो कुछ भी हो रहा है, वह साइड शो है। मुख्य शो भारत जोड़ो यात्रा है।
इसका आशय यह है कि जो अस्पष्टता कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर है, वह उनकी वरीयता सूची में दूसरे-तीसरे स्थान पर है, कांग्रेस का पहला लक्ष्य पदयात्रा को अक्षुण्ण, निर्बाध गति से गंतव्य तक पहुंचाना है। इसलिए इस ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को बल देने के लिए श्रीमती सोनिया गांधी शामिल हो चुकी है और अब प्रियंका गांधी भी शामिल होगी।

सोनिया गांधी का मिला साथ तो भावुक हो गये राहुल गांधी, हर पल का ध्यान रखा। (PTI)
कई राजनीतिक कार्यकर्ता इस बात को लेकर परेशान हैं कि जिन राज्यों में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव होना तय है, उन राज्यों से होकर राहुल गांधी अपनी पदयात्रा क्यों नहीं निकाल रहे हैं? कमाल है। संभवतः उन्हें यह ज्ञात नहीं है कि भारत की यात्रा में उत्तर से दक्षिण या दक्षिण से उत्तर के मार्ग में वे राज्य नहीं आते, जिन राज्यों में इस वर्ष विधानसभा चुनाव होना है। लेकिन, हां यदि राहुल गांधी या यह कहिए कि कांग्रेस की संभावित दूसरी पदयात्रा, जो गुजरात से अरुणाचल प्रदेश की होगी, वह पश्चिम से पूर्व की ओर होगी, जिनमें इन राज्यों को सम्मिलित किया गया है।
सच तो यह है कि राहुल गांधी की यह पदयात्रा संभावित विधानसभा चुनावों को लक्ष्य मानकर निकाला ही नहीं गया है, बल्कि इस पदयात्रा का आयोजन तो 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया है, जिसमें गैर कांग्रेसी राज्यों के भी लोगों की भीड़ ने प्रमाणित कर दिया है कि इस पदयात्रा से राहुल गांधी का ग्राफ किस कदर बढ़ा है।

गुरुवार 6 अक्टूबर 2022 को यात्रा में सोनिया गांधी के शामिल हो जाने से पार्टी और कार्यकर्ताओं में दिखा जोश। (PTI)
ब्रिटिश भारत काल 1930 में नमक कानून को तोड़ने के लिए महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा करके अंग्रेजी शासकों को यह अहसास करा दिया था कि भारत अब तुम्हारे बनाए अमानवीय कानून को सहने के लिए तैयार नहीं है। ठीक है कि उसके बाद भी 17 वर्ष तक विभिन्न कानूनों को तोड़ते हुए, अंग्रेजी हुकूमत के जुल्मों को सहते हुए भारत को अंग्रेजी दासता से आखिरकार मुक्ति मिली जिसमें हजारों भारतीय की कुर्बानी, फांसी के फंदों पर झूलने और महात्मा गांधी के नेतृत्व का अहम योगदान रहा।
आज जिस प्रकार की महंगाई और बेरोजगारी देश में बढ़ी है, उससे त्रस्त होकर देश के आमलोगों में जीने का जो संकट उत्पन्न हो गया है, उसके विरोधस्वरूप भारत को दक्षिण से उत्तर तक देखने और उनकी बातों को सुनने का जो निर्णय कांग्रेस ने लिया है, उसका असर तो देश पर पड़ेगा ही।
बड़ी उम्मीदों के साथ जनता देख रही राहुल गांधी की यात्रा
इस पदयात्रा का जिस प्रकार अनाम लोगों द्वारा स्वागत किया जा रहा है, उससे तो यही लगता है कि सामान्य जनता आर्तमन से बेरोजगारी और गरीबी से निजात पाने के लिए तड़प रही है। वह उम्मीद से राहुल गांधी का स्वागत कर रही है कि उसका हित, उसके लिए कुछ करने का जज्बा लेकर कोई आज उनके पास आया है।
राहुल गांधी कुछ नहीं होते हुए भी जिस प्रकार लोगों से मिल रहे हैं, मूसलाधार बारिश में उनकी बात सुन रहे हैं, उसका प्रभाव लोगों पर दिखने लगा है। इसलिए बाबा रामदेव ने कहा है कि जिस कांग्रेस को राष्ट्रीय मीडिया में कोई स्थान नहीं दिया जाता था, आज वह हर राष्ट्रीय चैनल और राष्ट्रीय अखबारों में समाचारों की सुर्खियों में आने लगा है। अब इसका असर तो पड़ेगा।

तेज बारिश ने भी इरादों को नहीं डिगाया: डटे रहे राहुल गांधी और कार्यकर्ता। (Photo PTI)
वैसे, भाजपा द्वारा तो तरह-तरह के अनर्गल आरोप कांग्रेस तथा राहुल गांधी पर शुरू से ही लगाए जा रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी न तो उसके लिए कुछ कह रहे हैं, न आरोपों का खंडन कर रहे हैं। लेकिन, कांग्रेस का आईटी सेल जरूर सक्रिय हुआ है, तभी तो जब भाजपा द्वारा इस पदयात्रा को अथवा राहुल गांधी की तनिक भी आलोचना या उस पर तंज कसा जाता है तो उसका मुंहतोड़ जवाब कांग्रेस द्वारा तत्काल दिया जाता है।
इधर, महंगाई के संदर्भ में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि अगले वर्ष 2023 में मुद्रा स्फीति दर में गिरावट आएगी। इन दिनों मुद्रा स्फीति लगातार उच्च स्तर पर बने रहना आरबीआई के लिए नीतिगत चिंता का विषय बना हुआ है।
सामान्य बरसात और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान दूर होने से अगले वित्त वर्ष में इसका दबाव कम होने की संभावना है। वहीं, कांग्रेस का कहना हैं कि देश का हर छठा ग्रेजुएट बेरोजगार है। आठ साल में 22 करोड़ लोगों ने केंद्र सरकार की नौकरी के लिए आवेदन किया है, लेकिन मोदी सरकार एक प्रतिशत लोगों को भी नौकरी नहीं दे पाई है। अभी बेरोजगारी दर उच्च स्तर पर है और सिर्फ अगस्त 2022 में ही 20 लाख रोजगार घट गए हैं।
जाने-माने अर्थशास्त्री कौशिक बसु का कहना है कि भारत में जिस तेजी से ग्रामीण खपत में कमी आई है और देश भर में बेरोजगारी की दर बढ़ी है, उसे आपात स्थिति की तरह लिया जाना चाहिए। उनका मानना है कि रोजगार गारंटी जैसे अल्पकालीन उपायों के अलावा भारत को निवेश पर भी ध्यान देना होगा।
तिमाही विकास दर का आंकड़ा 4.5 प्रतिशत बना चिंता का विषय
उन्होंने कहा कि पिछले दो साल के आंकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था की हालत बिगड़ रही है। एक समय भारत की वार्षिक विकास दर नौ प्रतिशत के आसपास थी। आज सरकार का अधिकृत तिमाही विकास दर का आंकड़ा 4.5 प्रतिशत है। यह चिंता का विषय है। देश में बेरोजगारी की दर को कम करने के लिए केंद्र व भाजपा की राज्य सरकारें ठोस कदम उठाने की दिशा में बढ़ रही हैं। बेरोजगारी कई विधानसभा चुनावों में युवाओं के बीच गंभीर मुद्दा रहा है और अगले साल नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव तथा 2024 में लोकसभा चुनाव भी होने वाले हैं।
वर्ष के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे है। ऐसे में भाजपा की केंद्र व राज्य सरकारों ने युवाओं की सुध लेते हुए कुछ क्रांतिकारी कदम उठाकर एक साथ कई लक्ष्य साधने के प्रयास किए हैं। केंद्र सरकार ने बेरोजगारी की समस्या को कम करने के लिए सरकारी नौकरियों में बैकलाग भरने के निर्देश दिए हैं।
पीएम का निर्देश- डेढ़ साल में मिशन मोड में की जाएं 10 लाख भर्तियां
प्रधानमंत्री ने सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि डेढ़ साल में मिशन मोड में 10 लाख भर्तियां की जाएं। अनुमानित आंकड़ों के अनुसार 40 लाख केंद्रीय पदों में फिलहाल नौ लाख स्वीकृत पद खाली हैं। यह अब तक का सबसे बड़ा महाभियान होगा, क्योंकि दशकों से सरकार में इस पैमाने पर भर्तियां नहीं हुई हैं।
इस महाभियान में एससी, एसटी और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित पद भी भर दिए जाएंगे। इस महाभियान के अंतर्गत रेलवे भी अगले एक साल में 1,48,463 लोगों की भर्ती करेगा। इस महाभियान के माध्यम से युवाओं में छाई निराशा को काफी हद तक दूर किया जा सकेगा।
अभी तो राहुल गांधी की पदयात्रा को लगभग एक माह ही हुए हैं और सफर लंबा है, लेकिन जिस संकल्प के साथ इसकी शुरुआत की गई है, वह अविश्वसनीय लगता है। लेकिन, राजनीतिक इतिहास को देखें तो यह सहज ही समझा जा सकता है कि कांग्रेस के लिए आज ही ऐसा संक्रमण काल नहीं आया है, इसके प्रारंभिक दिन से ही कुछ-न-कुछ व्यवधान आते रहे हैं, लेकिन उसके समर्पित कार्यकर्ताओं और नेताओं के आत्मविश्वास ने उसे 135 वर्ष में भी समाप्त नहीं होने दिया।
विपक्षी अनुमान के अनुसार उसने इस सबसे पुरानी पार्टी को समाप्त ही कर दिया था, लेकिन उनकी यह मंशा कांग्रेस के वर्तमान नेता ने पूरा नहीं होने दी। अब जो अगला लक्ष्य 2024 कांग्रेस ने उचित समय पर रखा है, उसका परिणाम अगले आम चुनाव में क्या पड़ता है, यह देखना वाकई दिलचस्प होगा। इस यात्रा का जो असर अब — तक दिख रहा है, उसके लिए कांग्रेस के नेताओं के अनुसार वह उम्मीद से अधिक सकारात्मक है। अभी तो देश को पश्चिम से पूरब को जोड़ना कांग्रेस का लक्ष्य बाकी ही है। चाहे किसी की सरकार हो या बने, हम तो सरकार से ‘अच्छे दिन’ की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक है )