Adani Group Row And Crisis On Indian Industries : अडानी ग्रुप (Adani Group) ने वर्ष 1985 में छोटे पैमाने की कंपनियों के लिए बेसिक पॉलिमर (Basic Polymers) का आयात (Import) करना शुरू किया। वर्ष 1988 में अडानी ने अडानी एक्सपोर्ट्स (Adani Exports) की स्थापना की, जिसे वर्तमान में अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) के नाम से जाना जाता है। यह फर्म कृषि और ऊर्जा से संबंधित वस्तुओं में काम करती है।
अडानी ग्रुप की सभी कंपनियों पर लोन पर उठे सवाल
अडानी समूह कोयला व्यापार, कोयला खनन, तेल एवं गैस खोज, बंदरगाहों, एयरपोर्ट, मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक, बिजली उत्पादन एवं पारेषण, मीडिया और गैस वितरण में फैले कारोबार को संभालने वाला विश्व स्तर का एकीकृत बुनियादी ढांचा है। गौतम अडानी पर अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप के सभी कंपनियों के लोन पर भी सवाल खड़े किए हैं।
अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप से कुल 88 सवाल पूछे
रिपोर्ट में दावा किया गया कि अडानी ग्रुप की सात प्रमुख लिस्टेड कंपनियां 85 फीसदी से अधिक ओवरवैल्यूज हैं। फर्म ने अडानी ग्रुप से एकाध नहीं, कुल 88 सवाल किए हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च के उस रिपोर्ट में कई सवालों के बीच एक सवाल यह भी अडानी ग्रुप से पूछा गया है कि गौतम अडानी के छोटे भाई राजेश अडानी को ग्रुप का एमडी क्यों बनाया गया है? उनके ऊपर कस्टम टैक्स चोरी, फर्जी इम्पोर्ट डॉक्यूमेंटेशन और कोयले का अवैध इम्पोर्ट करने का आरोप है।
हिंडनबर्ग ने पूछा है कि गौतम अडानी के बहनोई समीरो वोरा का नाम डायमंड ट्रेडिंग स्कैम में आने के बाद भी उन्हें अडानी ऑस्ट्रेलिया डिवीजन का एक्जीक्यूटिव डायेरक्टर क्यों बनाया गया है? ऐसे कई सवाल हैं, जिनका जवाब अब तक अडानी ग्रुप ने नहीं दिया है। हिंडनबर्ग रिसर्च की स्थापना वर्ष 2017 में नाथन एंडरसन ने की थी।
हिंडनबर्ग एयरशिप हादसे के नाम पर रखा फर्म का नाम
हिंडनबर्ग ने अबतक कई कंपनियों का पर्दाफाश किया है। इस कंपनी का नाम 6 मई, 1937 में हुए हाई प्रोफाइल हिंडनबर्ग एयरशिप हादसे के नाम पर रखा गया है। यह दुर्घटना अमेरिका में न्यू जर्सी के मैनचेस्टर टाउनशिप में हुई थी। हिंडनबर्ग रिसर्च किसी भी कंपनी में हो रही गड़बड़ी का पता लगाती है और फिर उसके बारे में रिपोर्ट प्रकाशित करती है।
हिंडनबर्ग ने वर्ष 2020 के बाद से 30 कंपनियों की कलई खोली
यह एक फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च फर्म है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स को एनालाइज करती है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंडनबर्ग ने वर्ष 2020 के बाद से 30 कंपनियों की कलई खोली है और रिपोर्ट रिलीज होने के अगले ही दिन उस कंपनी के शेयर 15 प्रतिशत तक गिर गए, जबकि तीन कंपनियों के शेयर तो 90 प्रतिशत तक गिर गए।

हिंडनबर्ग-अडानी विवाद को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले सप्ताह 7 फरवरी को संसद में और संसद के बाहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी संसद में अडानी मुद्दे पर चर्चा को टालने की पूरी कोशिश करेंगे।
दिल्ली में मीडिया से बातचीत में कांग्रेस नेता ने कहा कि देश को पता होना चाहिए कि अडानी के पीछे कौन सी शक्ति है। इसका कारण आप जानते हैं? मैं चाहता हूं कि अडानी मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए और सच्चाई सामने आनी चाहिए। लाखों-करोड़ों का जो भ्रष्टाचार हुआ है, वह सामने आना चाहिए।
राहुल गांधी ने पूछा- अडानी के पीछे कौन सी शक्ति है?
कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘मैं सरकार के बारे में काफी समय से बोल रहा हूं कि ‘हम दो, हमारे दो’ की यह सरकार है। सरकार डरी हुई है और संसद में अडानी पर चर्चा नहीं करना चाहती है। सरकार को इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की अनुमति देनी चाहिए।’ राहुल गांधी ने कहा कि भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जो कब्जा किया गया है, उसकी भी जांच हो और अडानी के पीछे कौन सी शक्ति है, वह भी देश को पता चले।’

लोकसभा में बजट सत्र में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अडानी की तस्वीर पीएम मोदी के साथ दिखाकर सरकार पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने कहा कि वर्ष 2014 में दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में जिसका नाम 609वें नंबर पर था, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि दूसरे नंबर पर पहुंच जाते हैं। एक ओर जहां सदन में राहुल गांधी ने तस्वीर दिखाई, तो वहीं सदन के बाहर भी कुछ ऐसा ही दिखा।
कांग्रेस प्रवक्ता की ओर से तस्वीरों को दिखाया गया। इन तस्वीरों के जवाब में भाजपा भी तस्वीरों के साथ आई और पूछा कि ये रिश्ता क्या कहलाता है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए संसद के दोनों सदनों में कार्यवाही ठप करा दी। उन्होंने एलआईसी को ‘बचाने’ का निमंत्रण भी दिया।

कम-से-कम 16 विपक्षी दलों ने अपनी रणनीति बनाने के लिए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के कक्ष में बैठक की। संसद भवन में बात करते हुए खरगे ने कहा कि वे संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन पहली इच्छा यह है कि पीएम मोदी अडानी मुद्दे पर जवाब दें।
सरकार ने राहुल गांधी से कहा कि वे सबूत के साथ दें नोटिस का जवाब
लोकसभा में उद्योगपति गौतम अडानी को संरक्षण देने का आरोप लगा चुके कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भाषण को असंसदीय मानकर कार्यवाही से हटा दिया गया है और सांसद के खिलाफ संसद की विशेषाधिकार समिति ने कार्यवाही शुरू कर दी है और 15 फरवरी तक राहुल गांधी से नोटिस का जवाब मांगा गया था। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि राहुल गांधी सबूतों के साथ जबाव दे। इधर अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड में राहुल गांधी ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से डरता नहीं और मैने स्पीकर को हर एक बात जो रिकॉर्ड से हटाया गया है , उसके संबंध में साक्ष्यों के साथ पत्र लिखा है।
अबू धाबी ने दी राहत, अडानी समूह के FPO में 3,260 करोड़ का निवेश
हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद से अडानी समूह के संस्थापक गौतम अडानी की नेटवर्थ में भी गिरावट आई है। इसकी वजह से वह दुनिया के पांच सबसे अमीर लोगों की सूची से भी बाहर हो गए हैं। हालांकि, इस पूरे एपिसोड में अडानी समूह के लिए अबू धाबी से राहत की खबर आई है। अबू धाबी के शाही परिवार से जुड़ी इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी ने अडानी समूह के एफ़पीओ में 3,260 करोड़ रुपये का निवेश करने का एलान किया है।
अडानी समूह की छाप भारत में हर जगह है, चाहे इसके किसी प्रकार के उत्पाद हों या बंदरगाह या एयरपोर्ट में निवेश हो। संकट से पहले अडानी समूह खुंद को 260 अरब डॉलर का समूह बताता था, लेकिन इसकी जिन मौजूदा योजनाओं पर काम चल रहा है या इसकी आने वाली योजनाओं पर अगर अमल हुआ तो विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ ही साल में समूह का आकार दोगुना हो सकता है। सिंगापुर में भारतीय मूल के स्टॉक मार्केट और करेंसी बाज़ार के विशेषज्ञ वैष्णव वशिष्ठ कहते हैं कि संकट के बादल केवल अडानी समूह पर ही नहीं छाये हैं, बल्कि मोदी सरकार की कई बड़ी योजनाएं भी खतरे में है।
अडानी समूह के संस्थापक और चेयरमैन गौतम अडानी ने एक बयान में कहा था कि एफपीओ वापस लेने से उनके समूह के मौजूदा कारोबार और भविष्य की योजनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अडानी ने कहा था, ‘हमारी बैलेंस शीट अच्छी स्थिति में है और संपत्तियां मजबूत हैं। हमारी नकद आमदनी भी काफी अच्छी है और उधारी की देनदारियां चुकाने का हमारा रिकॉर्ड भी बेदाग रहा है।’
सच तो यह है कि राहुल गांधी द्वारा खुल्लम-खुल्ला प्रधानमंत्री पर अडानी के संबंधों का जो आरोप संसद में लगाया गया, उसका कोई भी उत्तर न तो प्रधानमंत्री द्वारा और न ही सरकार द्वारा दिया गया। स्पष्ट है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सरकार द्वारा महत्वहीन मानते हुए उनके द्वारा जब आरोप लगाए जा रहे थे, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षामंत्री संसद में उपस्थित नहीं थे।
भारतीय उद्योगपतियों के तेज विकास से विश्व समुदाय के मन में जलन
बाद में प्रधानमंत्री ने लगभग 90 मिनट के अपने भाषण में राहुल गांधी के आरोपों का कोई जिक्र नहीं किया और न ही कोई इशारा किया। हां, अडानी समूह के वरिष्ठ एडवोकेट हरीश साल्वे ने जरूर कहा है कि भारत की और भारतीय उद्योगपतियों की तीव्र गति से हो रहे विकास ने विश्व समुदाय के मन में जलन पैदा कर दिया है और इसलिए यह उनके द्वारा भारत पर हमला है।
इधर, प्रधानमंत्री के धुर विरोधी रहे भाजपा के ही वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि प्रधानमंत्री को अडानी समूह की सारी संपत्तियों को नीलाम कर देना चाहिए। अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के खिलाफ अदालत जाने की बात कही है, लेकिन अभी तक कोई त्वरित प्रतिक्रिया समूह की ओर से नहीं आने के कारण, जिन्होंने इस समूह को लोन दिया है, वे हतोत्साहित हैं और सरकार के किसी निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
24 जनवरी को आए जलजले का नुकसान क्या होगा, अब समय ही बताएगा और अर्थशास्त्री ही प्रतिक्रिया दे सकेंगे कि निकट भविष्य में इसके कारण भारतीय अर्थ व्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा; क्योंकि हम यदि भगवद-गीता को मानें तो भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि ” सब कुछ एक कारण या अच्छे कारण से होता है, लेकिन धर्मराज! आपने तो होने वाले आगामी युद्ध में आज पांडवों की विजय सुनिश्चित कर दी है।”

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)