स्वास्थ्य मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा तो उनके लिए पद्म पुरस्कार मांगा। शिक्षा मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा तो उनके लिए भारत रत्न की मांग कर दी। आजादी के बाद से जांच एजंसियों और सत्ता के संबंध को समझने का यह सबसे उपयुक्त समय है। इस संबंध के साथ ही उस आम आदमी पार्टी की राजनीति का भी माडल समझा जा सकता है जिसने भ्रष्टाचार के आरोप लगा सत्ता पाने के बाद भ्रष्टाचार को राजनीति का सामान्य व्यवहार मान लिया। एक समय में भ्रष्टाचार के आरोप लगते ही मंत्रियों की बर्खास्तगी के लिए आंदोलन करने वाली आम आदमी पार्टी चाहती है कि उसकी सत्ता के दायरे में सभी जांच एजंसियां अनिश्चतकालीन अवकाश पर चली जाएं। ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ की बुनियाद से सत्ता की इमारत खड़ी करने वाली आम आदमी पार्टी के नेता भ्रष्टाचार के आरोपों पर इस्तीफा देना तो दूर की बात जिस तरह पुरस्कारों की मांग कर रहे हैं उस विडंबना पर बेबाक बोल

AAP Government of Delhi and Political Controversy: ‘मैं महाराणा प्रताप का वंशज हूं, राजपूत हूं। सिर कटा लूंगा लेकिन भ्रष्टाचारियों-षड्यंत्रकारियों के सामने झुकूंगा नहीं। मेरे खिलाफ सारे केस झूठे हैं। जो करना है कर लो।’ न्यूयार्क टाइम्स के पत्रकारों ने अगर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का यह ट्वीट देखा होता तो उन्हें सरकार, भ्रष्टाचार व जाति के संबंध पर अलग से अनुसंधान करना पड़ता। शिक्षा में जाति की उपयोगिता, कौन सा मंत्री किसका वंशज है जैसी बातें पता करने के बाद ही दिल्ली सरकार के शिक्षा ढांचे पर लेख लिखा जाता। जिस शिक्षा मंत्री को अपने बचाव के लिए जाति का तर्क के अलावा कुछ नहीं सूझा, उनके लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री भारत रत्न की मांग कर रहे हैं

वैसे विरोधाभासी बातों को सीना चौड़ा कर, खुद को सबसे अच्छा, सबसे सच्चा साबित करने के लिए किसी पुरस्कार की व्यवस्था होगी तो भारतीय राजनीति में उसके पहले दावेदार अरविंद केजरीवाल ही होंगे। वे दावा कर रहे थे कि सिसोदिया के घर सीबीआइ के छापे में कुछ नहीं निकला। हम उन्हें याद दिला सकते हैं कि सत्येंद्र जैन और उनसे जुड़े लोगों के यहां छापे में सोने के बिस्किट तक मिले।

उसके पहले तक केजरीवाल जैन साहब को भी कट्टर ईमानदार ही कह रहे थे और उनके लिए पद्म पुरस्कार की मांग कर रहे थे। सत्येंद्र जैन ने जांच एजंसी के सामने कहा कि कोरोना के कारण उनकी याददाश्त कमजोर हो गई है। सत्येंद्र जैन दुनिया के पहले ऐसे जागरूक मरीज हैं जो एजंसी के दर पर जाते ही स्मृति-लोप की अपनी बीमारी को स्व-सत्यापित कर लेते हैं।

वैसे, स्मृति की बात पर एक घटना का स्मरण कर लिया जाए। यूपीए की सरकार में कानून मंत्री थे सलमान खुर्शीद और इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने को तैयार खड़े थे अरविंद केजरीवाल। अरविंद केजरीवाल शारीरिक चुनौतियां झेल रहे लोगों के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास के सामने प्रदर्शन करते हैं और सलमान खुर्शीद की बर्खास्तगी व उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद की गिरफ्तारी की मांग करते हैं।

सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी पर एक ट्रस्ट चलाने में अनियमितता के आरोप लगे थे। आज खुर्शीद पर लगे उस आरोप का क्या हाल है, क्या किसी को उस मामले में सजा हुई, यह जानने की आम आदमी पार्टी को शायद कोई रुचि नहीं होगी।

CBI बोली- हमने कोई लुकआउट नोटिस जारी नहीं किया

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया पर सिर्फ आरोप नहीं लगे हैं, बल्कि जांच एजंसी की कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है। उस मामले में कई लोगों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी हो चुके हैं। अगर आपको लोकतांत्रिक व्यवस्था में यकीन है तो फिर इतना डरने का क्या मतलब है कि मनीष सिसोदिया को सपना आता है कि उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी हो चुका है। उनके ट्वीट के जवाब में सीबीआइ कहती है कि हमने ऐसा कोई नोटिस जारी नहीं किया है। अरविंद केजरीवाल महीना भर पहले से मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की आशंका का रोना रोने लगते हैं।

आम आदमी पार्टी का अवतार आरोपवीर के रूप में ही हुआ था, और राजनीतिक मकसद हासिल होते ही बिना किसी झिझक आरोप-वापसी भी कर ली। अमृतसर की अदालत में जब अरविंद केजरीवाल ने विक्रमजीत सिंह मजीठिया पर लगाए आरोपों पर अपना माफीनामा दिया था तो आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई के नेता भगवंत सिंह मान ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

तब पंजाब से जुड़े आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कहा था कि केजरीवाल के इस माफीनामे से पंजाब के लोगों का सिर नीचा हो गया है। वैसे, अरविंद केजरीवाल को नैतिक रूप से सिर नीचा होने का कोई मलाल नहीं था क्योंकि इन्हीं आरोपों की वजह से दिल्ली की राजनीति में उनका कद ऊंचा हो गया था।

अरविंद केजरीवाल ने भाजपा नेता अरुण जेटली और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। अरुण जेटली ने आरोपों को झूठा बताते हुए अदालत में मानहानि का केस किया तो केजरीवाल का माफीनामा अदालत पहुंचा जिसमें उन्होंने कहा-अब मुझे पता चल गया है कि जो भी जानकारी मुझे मिली थी वह सही नहीं थी और उन गलत जानकारियों के आधार पर मैंने आपके ऊपर आरोप लगाए थे। इसलिए मेरे द्वारा जो भी आरोप आपके ऊपर लगाए गए थे, उन सभी को वापस लेना चाहता हूं।

भारत में यह राजनीति का ऐतिहासिक और अनूठा ढांचा था जहां दिल्ली के मुख्यमंत्री अलग-अलग अदालतों में माफीनामा प्रस्तुत कर रहे थे। अरविंद केजरीवाल गलत जानकारियों के आधार पर आरोप लगाने के लिए माफी मांग रहे थे। यानी, आजादी के बाद जो देश का सबसे बड़ा सत्ता परिवर्तन हुआ वह एक झूठ की बुनियाद पर हुआ जिसका कबूलनामा अदालती दस्तावेजों में सुरक्षित है।

कांग्रेस-भाजपा के कई नेता वैसे आरोपों के शिकार हुए जो अदालत में साबित नहीं हो पाए। आज आप पर सिर्फ आरोप नहीं प्रक्रिया शुरू हुई है तो थोड़ा इंतजार कीजिए। आप जब पहले ही गिरफ्तारी के डर का हल्ला मचा देते हैं तो खुद ही आरोपों के कठघरे में खड़े हो जाते हैं। आपको ऐसा क्यों लगता है कि आपकी सत्ता आने के बाद सारी अदालतें और जांच एजंसियां अनिश्चितकालीन अवकाश पर चले जाएं।

चलिए आप पर लगाए आरोप आगे चलकर गलत साबित होते हैं तो आपके साथ जैसे का तैसा होगा। आप हर जगह की अदालतों में माफी मांग चुके हैं तो फिर एक बार आपसे भी माफी मांग ली जाएगी। वैसे भी अभी गुजरात के चुनाव आने वाले हैं तो इस बार आरोपों की बल्लेबाजी दूसरा पक्ष कर रहा है तो आपके लिए बेहतर है कि क्षेत्ररक्षण में अपनी ऊर्जा झोंकिए।

बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस और वामदलों को किनारे कर खुद को तृणमूल के विकल्प और इकलौते प्रतियोगी के रूप में पेश किया था। आम आदमी पार्टी ने यही काम पंजाब में किया और उसी हिसाब से चुनाव के लिए प्रचार प्रबंधन हुआ। गुजरात में भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों ने कांग्रेस को किसी तरह की दावेदारी से बेदखल करने के लिए आरोपों के केंद्र में रखा है।

दूसरे दलों पर CBI कार्रवाई होने पर AAP चुप्पी साधे रही

आज की राजनीति का यह सबसे बड़ा सच है कि कांग्रेस अपने राजनीतिक ढलान पर है। तमाम दलों की कोशिश है कि वे राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का विकल्प बनें। आम आदमी पार्टी इस दौर में सबसे आगे है। लेकिन पिछले काफी समय से जब अन्य दलों के नेताओं पर सीबीआइ व अन्य जांच एजंसियों की ज्यादती के आरोप लगे तो उन्हें लेकर आम आदमी पार्टी ने चुप्पी साधे रखी।

कभी किसी दल के नेताओं के समर्थन में कोई बयान नहीं दिया कि उन्हें झूठे केस में फंसाया जा रहा है। कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं ने आम आदमी पार्टी की इस चुप्पी को केंद्र के साथ हां में हां मिलाने का अंदाज ही बताया था। विपक्षी एकता के मंच पर वह कोने में खड़े हो मेरी कमीज तो सबसे सफेद है दिखाने की कोशिश में जुट जाते हैं। हर मंच पर उनकी यही दिखाने की कोशिश होती है कि सब भ्रष्ट हैं और बस एक केजरीवाल ईमानदार हैं।

जाहिर है कि जब अन्य दलों पर भ्रष्टाचार के आरोप व जांच एजंसियों की कवायद को केजरीवाल अपने लिए राजनीतिक मौके की तरफ देखते हैं तो फिर इस तरह के मामले में उनके साथ कौन खड़ा होगा? कांग्रेस की ढलान में केजरीवाल 2024 की उम्मीद देख रहे हैं। लेकिन भाजपा तो यही चाहेगी कि 2024 में विकल्पहीनता की स्थिति हो, इसलिए अब आरोपों की बारी उसकी है।

आरोपवीर, माफीवीर के बाद आम आदमी पार्टी के नेता जातिवीर बन रहे हैं तो डर उन्हीं आरोपों का है जिसे लगा कर केजरीवाल स्मृति लोप के शिकार हो जाते थे। अपने मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते ही उन्हें महात्मा गांधी याद आए हैं। वे महात्मा गांधी जिन्हें दिल्ली में शराब के लिए नई आबकारी नीति बनाते वक्त केजरीवाल भूल गए थे। उन्होंने कभी गांधी के प्रतीक का इस्तेमाल दूसरे के भ्रष्टाचार पर शोर मचाने के लिए किया था तो आज उन्हीं का इस्तेमाल अपने पर लगे दाग पर मौन रहने के लिए कर रहे हैं।