बेबाक बोल
जयप्रकाश नारायण की अगुआई में जनता के प्रतिरोध की आंधी इंदिरा गांधी महसूस कर रही थीं। उस समय चंद्रशेखर ने उन्हें जेपी की ताकत...
अब तक इंदिरा गांधी को निज के परिवार से मिली लोक की सत्ता पर अहंकार होने लगा था। उनका यह अहंकार टूटा 1972 में...
दिल्ली की सीमाओं पर एक से दो डिग्री की कड़कड़ाती ठंड में जवान से लेकर बुजुर्ग किसान हौसले का अलाव तेज कर रहे थे...
फिलहाल कांग्रेस भाजपा की नीति का कोई विकल्प नहीं दे पाई है। उसकी सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि समस्या क्या है यह सभी...
2014 में कांग्रेस एक ऐसी कथा बन गई जिससे हर तरह की प्रेरणा तसल्लीबख्श ली जा सकती है। राजनीति में क्या करना चाहिए और...
राष्ट्रीयता और हिंदुत्व के आधार पर भाजपा अपनी जिस राष्ट्रीय पहचान को बनाने में जुटी थी उसमें वह लगातार कामयाब होती दिख रही है।...
"वर्तमान में चल रहा किसान आंदोलन जाति और सांप्रदायिक दीवारों को पार कर गया है, और इसलिए इसका ऐतिहासिक महत्व है।"
आज के समय में सबसे बड़ा निजी क्षेत्र कृषि ही है। नब्बे के दशक में जो निजीकरण का दौर चला उसने इस सबसे बड़े...
बंगाल अपनी राजनीतिक हिंसा के कारण भी जाना जाता रहा है। आम चुनावों के मसले के साथ यहां राजनीतिक पहचान की लड़ाई भी अहम...
ममता बनर्जी जुझारू नेता हैं और वो अपनी जमीन बचाए रखने की पूरी कोशिश करेंगी और भाजपा वहां के हिंदी भाषी प्रदेशों में अपनी...
कांग्रेस के साथ दो बड़ी दिक्कत दिख रही है। सवर्णों का वोट बैंक पूरी तरह से भाजपा में हस्तांतरित हो चुका है। ऐसे में...
सामूहिक असंतोष से निकले संघर्ष से पैदा हुए थे श्रीकृष्ण सिंह जिन्होंने नमक सत्याग्रह का रास्ता तैयार किया था। नमक की लड़ाई से तपा...
केंद्र की सत्ता का ताला आज भी उत्तर प्रदेश और बिहार की चाबी से खुलता है। इन दोनों राज्यों की सीटें उस जादुई आंकड़े...
भिखारी ठाकुर को अपनी जीविका के लिए कलकत्ता जाना पड़ा था। कलकत्ता यानी तब का विदेश। एक बिहारी को ‘बिदेशिया’ और ‘बिरहा’ बनाने वाली...
जगजीवन राम जैसे जुझारू नेता की जमीन को खाली छोड़ दिया गया। सीताराम केसरी का नाम भी किसी की जुबान से नहीं निकलता। कांग्रेस...
कांग्रेस से लेकर बसपा तक का उदाहरण है कि सांगठनिक ढांचे को बर्बाद कर चुके राजनीतिक दल अपने हित समूहों को खो देते हैं।...
जब आप बिहार में वर्दीवाला राजनेता पर चुप थे तो एक बार उत्तर प्रदेश में देख लीजिए कि आखिर किस तरह मजबूत जाति के...
बीसवीं सदी के अंत के साथ कांग्रेस शिक्षा से लेकर खेती को बाजार के हवाले करने के लिए कई तरह के कानून बनाने की...