BJP Leader Sushil Modi Comment on Bihar and Nitish Kumar politics: राज्यसभा के सदस्य और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी का कहना है कि जल्द ही बिहार में जद (एकी) का भविष्य खत्म हो जाएगा। सुशील मोदी का आरोप है कि नीतीश कुमार हीन भावना के शिकार हैं कि वे सिर्फ 45 विधायकों के मुख्यमंत्री हैं। 2025 में उनका वक्त खत्म हो जाएगा। फिलहाल बिहार में भाजपा का लक्ष्य लोकसभा चुनाव है। उन्होंने कहा कि 2014 में भाजपा को वायदे का वोट मिला था तो 2024 का वोट भरोसे का होगा। उन्होंने कहा कि जनता जागरूक है और वह दोबारा गठबंधन के दौर में नहीं जाएगी। बिहार में उलटफेर पर कहा कि 2022 की भाजपा अलग है। आज मंडल भी उसके साथ है और कमंडल भी उसके साथ है। जनसत्ता बारादरी की बातचीत का संचालन कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज ने किया।
मुकेश भारद्वाज : कांग्रेस ने महंगाई पर बड़ी हल्ला बोल रैली की है। केंद्र सरकार पर कांग्रेस का आरोप है कि वह देश को महंगाई और बेरोजगारी की ओर ले जा रही है। महंगाई से ध्यान हटाने के लिए भाजपा नफरत की राजनीति फैलाती है। महंगाई को लेकर लग रहे आरोपों पर आपका क्या जवाब है?
सुशील मोदी : महंगाई केवल भारत तक सीमित नहीं है। यह आयातित महंगाई है। अमेरिका और यूरोप में चालीस साल की महंगाई का रेकार्ड टूटा है। दुनिया के तमाम देश महंगाई के दौर से गुजर रहे हैं। भारत में महंगाई का मुख्य कारण रहा रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध। विपक्ष को प्रदर्शन के बजाए केंद्र सरकार की प्रशंसा करनी चाहिए थी। नरेंद्र मोदी की सरकार ने महंगाई को नियंत्रित किया है। यूपीए के समय में महंगाई की दर दोहरे अंक में चली गई थी। पेट्रोल-डीजल के दाम को नियंत्रित करने से लेकर कमजोर तबके को दिए जानेवाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत में कमी की। युद्ध के बावजूद कूटनीतिक रिश्तों की बदौलत हमने जनता को उसके असर से बचाया।
मृणाल वल्लरी : हाल ही में हैदराबाद में हुई भाजपा की कार्यकारिणी परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि अब हमारे लिए शक्ति प्रदर्शन नहीं स्नेह प्रदर्शन का समय है। लेकिन भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा बिहार में जाकर कहते हैं कि जल्दी ही सभी क्षेत्रीय दल खत्म हो जाएंगे। आपने कहा कि बिहार को जल्द ही जद (एकी) मुक्त कर देंगे। कांग्रेस-मुक्त करने की भाषा के इस विस्तार को क्या भाजपा के बढ़ते अहंकार के रूप में देखा जाए?
सुशील मोदी : अपने बयान में मैंने यह नहीं कहा था कि भाजपा जद (एकी) मुक्त कर देगी बिहार को। मैंने कहा कि लालू यादव बहुत जल्द जद (एकी) को तोड़ कर बिहार को जद (एकी) से मुक्त कर देंगे। हमारी ताकत नहीं कि हम ऐसा कर सकें। दूसरी बात जो नड्डा जी ने कही, वह तो आम तौर पर रैली में, भाषणों में कही जाती है। कोई कहता है कि सबका सफाया हो जाएगा, कोई मैदान में नहीं रहेगा। नीतीश जी का बयान आ गया कि 50 सीटों पर समेट देंगे भाजपा को। नड्डा जी की क्षेत्रीय दलों को लेकर न कभी ऐसी कोई मंशा थी और न यह भाव था कि सभी क्षेत्रीय दलों को खत्म कर देंगे। शब्द जो भी हों, लेकिन लोकतंत्र में कोई मिटा सकता है क्या? जब सहयोगी दल मेरे साथ हैं तो ये कैसे कह सकते हैं। यह तो एक कहने वाली भाषा होती है। लेकिन जब गठबंधन तोड़ना होता है तो कोई मुद्दा बना लिया जाता है। भेड़िये और मेमने की कहानी है न। भेड़िये को मेमना खाना था तो कहता है कि तुम्हारे दादा जी ने गाली दी। वो गाली आज याद आ रही है, जब खाने का समय हुआ। गठबंधन तोड़ने के लिए कोई बहाना चाहिए था।
पंकज रोहिला : विपक्ष कह रहा है जब-जब चुनाव नजदीक आते हैं तो आपके नीतीश कुमार के साथ रिश्ते टूट जाते हैं। ऐसा क्यों?
सुशील मोदी : 2013 में टूटा तो वे तोड़े। 2015 में, 2017 में टूटा तो वे तोड़े, उसके दो साल बाद चुनाव हुआ। चुनाव तो पांच साल में होते हैं न। इसका चुनाव से कोई संबंध नहीं है। 2013 में नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा नरेंद्र मोदी को अगुआ तय करेगी तो हम चुनाव में साथ नहीं आएंगे। फिर 2014 में चुनाव हुए। 2015 में लगभग दो साल के बाद चुनाव हुआ। दो चुनावों के बीच अंतर ही कितना होता है। अभी पौने दो साल बाद चुनाव हैं। चाहे हमारे साथ या लालू यादव के साथ, दोनों बार बिहार में गठबंधन नीतीश कुमार ने ही तोड़ा।
दीपक रस्तोगी : जीएसटी की रूपरेखा तय करने में आपकी अहम भूमिका रही। आयातित कारणों के इतर जीएसटी की दरों ने भी महंगाई को बढ़ाया है। महंगाई बरक्स जीएसटी को आप कैसे देखते हैं?
सुशील मोदी : भारत अकेला ऐसा देश है जहां जीएसटी लागू करने के बाद महंगाई नहीं बढ़ी। अभी जो जीएसटी दर बढ़ने का विवाद है, उस पर बात करें तो यह केंद्र सरकार का निर्णय नहीं था। यह सभी राज्यों का सर्वसम्मत निर्णय था। अगर आपका विरोध था तो जीएसटी काउंसिल में करते। एक भी राज्य विरोध करता तो यह लागू नहीं होता। राज्यों का निर्णय आ गया कि इसे पास कीजिए, दूसरी चीज पर आगे बढ़िए। अगर आपको लग रहा है कि गलत हो गया तो अगली बैठक में उसे वापस ले लीजिएगा। मैं जीएसटी लगाने के सही-गलत पर नहीं आ रहा हूं। अगर आपको लग रहा कि यह गलत हो गया तो इसे वापस ले लीजिए। जब सारे राज्य सहमत हैं तो केंद्र कौन होता है विरोध करने वाला।
सुशील राघव : लालू यादव के राजनीतिक स्वर्णकाल के बाद बिहार में नीतीश कुमार की मदद से भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग की। भाजपा की वहां जमीन बन चुकी है। अब अचानक आए राजनीतिक बदलाव के बाद जो कमंडल बनाम मंडल का दृश्य दिख रहा, उसे आप 2024 के लोकसभा चुनाव के तौर पर कैसे देख रहे?
सुशील मोदी : सिर्फ दो दल के मिलने से वोट हस्तांतरित नहीं होता है। बिहार में हमारा लक्ष्य लोकसभा का है। हम लोकसभा जीतेंगे तो विधानसभा भी जीत लेंगे। एक आदमी पंचायत में सात तरह के वोट डालता है और जरा भी असमंजस का शिकार नहीं होता है। उसका वोट अमान्य नहीं होता। 2014 में नीतीश कुमार को गुमान था, लेकिन वे दो सीट पर सिमटे और सारा पिछड़ा वोट भाजपा को मिला। आज कमंडल भी हमारे साथ है और मंडल भी। 2014 और 2022 की भाजपा में बहुत अंतर है। जिस वोट को नीतीश अपना मानते हैं उसका बड़ा तबका 2014 में ही भाजपा में आ गया था।
गजेंद्र सिंह : जीएसटी के नए ढांचे के बाद आरोप लगे कि इसमें आम आदमी पर ज्यादा मार पड़ी है। पैकेटबंद दही, अस्पतालों के बिस्तर से लेकर होटलों के कमरे तक महंगे हो गए हैं। जबकि हीरे जैसी चीज पर जीएसटी की दर कम है।
सुशील मोदी : आप कोई अन्य उदाहरण दें तो हो सकता है गलत हो, लेकिन आप जो उदाहरण दे रहे हैं उसमें ऐसा नहीं है कि आम आदमी परेशान हो रहा है। जो व्यक्ति निजी अस्पताल में 5000 के बिस्तर को वहन कर सकता है तो फिर वह उस पर टैक्स भी दे सकता है। निजी अस्पतालों में सर्जरी का शुल्क इससे तय होता है कि आपके बिस्तर का शुल्क क्या है। महंगा बिस्तर तो महंगी सर्जरी। निजी अस्पतालों में वही लोग महंगे बिस्तर लेते हैं जिनका स्वास्थ्य-बीमा होता है और उन्हें शुल्क की वापसी हो जाती है। कोई गरीब आदमी वहां नहीं जाता। सोने-हीरे की तुलना में आम उपभोग की चीजों पर ज्यादा कर हमेशा रहता है। एक हजार रुपए से ज्यादा के मूल्य वाले होटल के कमरे लेने वाले भी उस पर टैक्स दे सकते हैं। पैकेटबंद खाद्यान्न की बढ़ी कीमतों को लेकर विपक्षी राजनीतिक दलों ने ज्यादा हल्ला किया संसद में।
पंकज रोहिला : इन दिनों सीबीआइ और ईडी के राजनीतिक इस्तेमाल पर बड़े सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि केंद्र सरकार इनका बेजा इस्तेमाल कर रही है।
सुशील मोदी : आप मामले की योग्यता पर जाइए। पार्थ चटर्जी के यहां छापा पड़ा और पैसों का ढेर पाया गया तो वो गलत था क्या? बिहार में कोई पहली बार छापा पड़ा है क्या? जब देवगौड़ा प्रधानमंत्री थे तो उस समय भाजपा की सरकार तो नहीं थी। लालू यादव खुद ही मुख्यमंत्री थे और उन्हें जेल जाना पड़ा। आज नीतीश कुमार, ललन सिंह जैसे नेता हैं कल तक इन्हीं लोगों ने सीबीआइ को लालू यादव के खिलाफ कागज मुहैया करवाए थे। याचिका दाखिल करनेवाले यही लोग हैं। या तो ललन सिंह, नीतीश कुमार कह दें कि हमलोगों ने जो कागज दिया सीबीआइ को या ईडी को वो गलत था या फर्जी था, फर्जी कागजों के आधार पर कार्रवाई हुई। वे बोल दें कि हम बिहार की जनता से क्षमा मांगते हैं, लालू जी निर्दोष हैं। ये रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लिखवाना, एक दर्जन दस्तावेजी सबूतों के साथ इन लोगों ने सीबीआइ को मुहैया कराया। अभी तेजस्वी यादव पर जो आइआरसीटीसी का मामला चल रहा है 2017 में नीतीश कुमार ने इसी आधार पर गठबंधन तोड़ दिया। नीतीश कुमार ने कहा कि तेजस्वी यादव आरोपों का जवाब दे नहीं पाए, इसलिए मैं गठबंधन तोड़ रहा हूं। आप भाजपा के नेताओं के खिलाफ दस्तावेज मुहैया कराइए और कहिए कि ये आरोप हैं कार्रवाई कीजिए। कार्रवाई नहीं होती है तो अदालत जाइए। लालू यादव के खिलाफ हम भी हाईकोर्ट गए थे।
मुकेश भारद्वाज : आज भाजपा क्या यह सोचती है कि उस समय नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला गलत था?
सुशील मोदी : हमने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर घोषित किया था। 2020 में यह गठबंधन नीतीश कुमार ही चला सकते थे। राजनीतिक अनुशासन के तकाजे से उस समय वह फैसला सही था। हमारा आज भी मानना है कि उस समय नीतीश कुमार की अगुआई सही थी।
महेश केजरीवाल : नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में भाजपा को 50 सीटों पर समेट देंगे। आपका क्या कहना है?
सुशील मोदी : ललन सिंह ने कहा, 150 तो नीतीश ने कह दिया 50 सीट। आप एक मिनट में 50 पर आ गए। भाजपा की 17 राज्यों में सरकार है। 2014 में भाजपा के पक्ष में वायदे का वोट था, अब भरोसे का है। 2024 का चुनाव भरोसे का होगा। प्रधानमंत्री को लोग देख रहे हैं कि यह इंसान ईमानदारी से काम कर रहा है। देश गठबंधन के दौर में दोबारा नहीं जाना चाहता। लोग चाहते हैं कि एक दल का प्रचंड बहुमत वाला और मजबूत निर्णय लेने वाला प्रधानमंत्री हो। मनमोहन सिंह पर सहयोगी दलों के दबाव का असर देश पर पड़ा।
मुकेश भारद्वाज : बिहार में आपके पास मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा नहीं है। क्या यह भाजपा के खिलाफ जाएगा?
सुशील मोदी : हरियाणा में कोई चेहरा नहीं था और महाराष्ट्र में भी नहीं था। उत्तर प्रदेश में भी कोई चेहरा नहीं था। दोनों तरह के उदाहरण हैं। चेहरा आगे रखने से अन्य तरह के ध्रुवीकरण शुरू हो जाते हैं।
सुशील राघव : क्या आप राज्य की राजनीति में लौटने को तैयार हैं?
सुशील मोदी : मैं राज्य से बाहर कहां गया हूं। डेढ़ साल से महीने के दस दिन दिल्ली तो बीस दिन पटना में होता हूं। राज्य की राजनीति में रहने के लिए आपका विधायक होना जरूरी नहीं होता है। राज्य की राजनीति करते हुए मैं राज्यसभा में हूं। 2005 में मेरे प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए ही बिहार में भाजपा की सरकार बनी। जब मैं अध्यक्ष बना तो लोकसभा में था। फिर मैं इस्तीफा देकर राज्य की राजनीति में गया।
महेश केजरीवाल : कहा जा रहा है कि सुशील मोदी चाहते तो बिहार में गठबंधन और लंबा चल सकता था। आपका क्या कहना है?
सुशील मोदी : नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षा को मैं नहीं संभाल सकता था। धर्मेंद्र प्रधान बिहार गए थे तो उन्हें नीतीश कुमार ने कुछ नहीं बताया। नरेंद्र मोदी और अमित शाह लगातार उनके संपर्क में थे लेकिन कोई शिकायत नहीं की थी।
(प्रस्तुति- मृणाल वल्लरी)