Opposition Parties and Modi Government: प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जीतने के बाद नरेंद्र मोदी ने खड़गे को बधाई दी। एक प्रधानमंत्री का विपक्षी दल के अध्यक्ष को बधाई देना असाधारण है। इसी से समझ सकते हैं कि प्रधानमंत्री किस तरह लोगों तक पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि आज के दौर में विपक्ष हर तरह के विमर्श से भाग रहा है। बिहार के संदर्भ में उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा का दरवाजा पूरी तरह से बंद हो चुका है और वहां भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनाएगी। जनसत्ता बारादरी की इस बातचीत का संचालन कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज ने किया।
पंकज रोहिला : बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव साथ हैं। इनका भविष्य आप किस तरह देखते हैं?
रविशंकर प्रसाद : यह भविष्य तो उन्हें और जनता को तय करना है। नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में कहा था कि मैं मर जाऊंगा, लेकिन तेजस्वी के साथ गठबंधन नहीं करूंगा। अब उन्होंने कहा कि मैं राजनीति छोड़ दूंगा लेकिन भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करूंगा। नीतीश कुमार भाजपा के साथ आए लालू के भ्रष्टाचार के खिलाफ। मेरा एक और परिचय लालू के खिलाफ चारा घोटाले में जनहित याचिका की बहस करने के वकील के रूप में है। नीतीश कुमार रेल मंत्री बने, कृषि मंत्री बने। 17 साल हमारे कंधे पर मुख्यमंत्री रहे। अब वे कितना तेजस्वी को संभालेंगे और तेजस्वी और लालू प्रसाद कितना उन्हें संभालेंगे देखते हैं।
महेश केजरीवाल : लेकिन राजनीति में कुछ भी संभव है। तो क्या बिहार में आप लोग फिर साथ आ सकते हैं?
रविशंकर प्रसाद : अमित शाह जी पूर्णिया की रैली में सार्वजनिक घोषणा कर चुके हैं। वे हमारे वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता हैं। यह सुविचारित है। देखिए, लोकनीति लोकलाज से भी चलती है। यह भी जेपी का उसूल था। नीतीश बाबू लोकलाज भूल गए हैं, हम नहीं भूले हैं। इससे ज्यादा कुछ नहीं बोलना है मुझे।
सुशील राघव : प्रशांत किशोर ने कहा है कि नीतीश कुमार भाजपा के संपर्क में हैं। तो क्या उनके भाजपा में आने की संभावना बन सकती है?
रविशंकर प्रसाद : ये इसके संपर्क में तो वो उसके संपर्क में, प्रशांत किशोर की ऐसी टिप्पणी रोज ही चलती है। नीतीश कुमार का सवाल है तो दरवाजा हमेशा के लिए बंद हो चुका है। नीतीश खुद ही कह चुके हैं। बिहार में भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनाएगी।
मृणाल वल्लरी : बिहार में इन दिनों हर कोई जेपी का नाम ले रहा है। आपकी नजर में जेपी का असली वारिस कौन है?
रविशंकर प्रसाद : एक बात समझिए कि जेपी क्या थे। मेरा सौभाग्य था कि जेपी आंदोलन से जुड़ा। जेपी ने इस देश में विकल्प की राजनीति की नींव रखी थी। कांग्रेस को कोई हरा नहीं सकता था। जेपी का सबसे बड़ा योगदान राजनीति में यही है कि अब कोई नेता देश में आपातकाल नहीं लगाएगा। जेपी ने देश की जनता को यह बता दिया और सिखा दिया कि तुम वोट की ताकत से किसी को भी हरा सकते हो। इंदिरा गांधी हों, संजय गांधी हों, लालू प्रसाद हों। बाद का हो या पहले का। उन्होंने भारत के लोकतंत्र को मजबूत किया। इसकी पीड़ा है कि उनकी विरासत कुर्सी की लड़ाई में बिखर गई। वारिस की बात है तो जेपी के दो सिद्धांत प्रमुख थे। गैर कांग्रेसवाद पहला और दूसरा भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी सख्ती। इस दो बिंदु पर कौन कहां खड़ा है यह आपके विवेक पर है। लेकिन नीतीश बाबू पांच-पांच बार पाला बदलें और दावा करें जेपी की विरासत का? जेपी की विरासत और सोनिया गांधी को नमस्ते साथ नहीं चल सकते हैं।
मुकेश भारद्वाज : लेकिन विपक्ष के नेता और बुद्धिजीवियों का एक खेमा लंबे समय से अघोषित आपातकाल का आरोप लगा रहा है। इस पर आपका क्या कहना है?
रविशंकर प्रसाद : मेरा जवाब साफ है। कुछ लोग मोदी जी को पसंद नहीं करते हैं तो नहीं करते हैं। इन्हीं बुद्धिजीवियों ने देश से अपील की थी कि मोदी जी को वोट नहीं दो। 1977 के चुनाव में भी इन लोगों ने ऐसी अपील नहीं की थी कि इंदिरा गांधी को वोट नहीं दो, जबकि कुलदीप नैयर जेल गए थे और प्रेस पर पहरा था। लोकतंत्र में जनता को कैसे नकारेंगे आप? आप यह नहीं कह सकते कि जनता ठीक से मतदान नहीं करती। अगर कुछ लोगों को यह परेशानी होती है कि भाजपा मोदी जी की अगुआई में क्यों जीत जाती है तो इसका मेरे पास कोई जवाब नहीं है। हर उचित आपत्ति का निराकरण किया गया है। जहां तक मोदी जी के अपने व्यक्तित्व का सवाल है तो संसद में बैठते हैं और राहुल गांधी की झप्पी भी झेलते हैं। उनकी जीत पर सोनिया गांधी ने बधाई दी क्या? मैं आपसे दूसरा सवाल करता हूं। राजनीतिक मुहिम होती है तो हम दुश्मन तो नहीं मानते हैं। मोदी जी के लिए कैसे शब्द इस्तेमाल किए गए थे। आपको पूर्णता में देखना चाहिए। नरेंद्र मोदी आज भी जिस तरह लोगों तक पहुंच बनाते हैं वह अद्भुत है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद जीतने पर खड़गे जी को बधाई दी जो असाधारण चीज है। एक प्रधानमंत्री कांग्रेस पार्टी के नेता को बधाई दे रहे हैं। आज हमें इस बात का गर्व है कि देश ने हमें शासन करने का अवसर दिया है। हम यह काम ठीक से करेंगे। प्रधानमंत्री सहित हम सभी इस देश में प्रेस की आजादी के प्रामाणिक समर्थक हैं।
दीपक रस्तोगी : कालीजियम व्यवस्था पर खींचतान चल रही है। किरण रिजीजू के हाल के बयान से लगता है कि सरकार न्यायपालिका में बदलाव की जरूरत महसूस कर रही है।
रविशंकर प्रसाद : हम न्यायपालिका का पूरा सम्मान करते हैं। न्यायपालिका की आजादी लोकतंत्र के लिए आवश्यक है। विषय है जजों की नियुक्ति का तो दोनों का अंतर समझिए आप। कालीजियम व्यवस्था में सबसे अधिक आवाज जज ही उठाते हैं। सुधार क्या और कैसे करना है, यह तो बात उठती रहती है। मैं एक अहम बात कहना चाहता हूं। प्रधानमंत्री सरकार के नेता होते हैं। भारत के सारे राजनीतिक दल उन्हें सहयोग करते हैं। भारत का प्रधानमंत्री देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को चुनने में सबसे प्रभावी भूमिका निभाते हैं। चुनाव आयोग, संघ लोक सेवा आयोग जैसे संवैधानिक पदों के अध्यक्ष की नियुक्ति करते हैं। कौन वित्त मंत्री बनेगा, कौन रक्षा मंत्री बनेगा वे तय करते हैं। देश के परमाणु बम का बटन उनके पास होता है। भारत का प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों के सहयोग से इतने बड़े काम कर सकता है लेकिन वे एक अच्छा जज नियुक्त नहीं करेंगे ये बेतुकी बात है। मैं फिर कहूंगा कि हमने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को स्वीकार किया है, कालीजियम व्यवस्था को स्वीकार किया है। लेकिन, इसमें सुधार की गुंजाइश तो स्वयं माननीय न्यायमूर्तियों के स्वर से ही उठता रहा है।
पंकज रोहिला : केंद्र सरकार महंगाई पर चौतरफा घिरी है। आपका इस पर क्या कहना है?
रविशंकर प्रसाद : महंगाई आज सच्चाई है। देखना यह है कि हमारे पास उस पर नियंत्रण पाने की कितनी क्षमता है। कुदरत ने हमारे भूगोल को तेल नहीं दिया है। उसे बाहर से लाना पड़ता है। लेकिन फिर भी भारत में आज महंगाई का स्तर दुनिया के कई देशों से कम है। हम महंगाई पर नियंत्रण करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव भी पड़ा है। लेकिन हमने कई जगह पर कर कम किए हैं और संशोधित किए हैं। महंगाई पर नियंत्रण पर आप कांग्रेस, अन्य दलों व भाजपा का अंतर देखिए। इनके शासित राज्यों ने क्या कदम उठाए। महंगाई के कारणों को जनता समझ रही है। यह तात्कालिक समय जल्द खत्म होगा।
सूर्यनाथ सिंह : कुछ ऐसे कानून हैं जिनका दुरुपयोग साफ दिखाई दे रहा है। जैसे 124-ए जिसके दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है। 66-ए जिसे सुप्रीम कोर्ट ने हटा भी दिया था तो करीब 1307 मामले उसके बाद भी दर्ज हुए। इन दोनों कानून के जरिए अघोषित आपातकाल सा नहीं हो रहा है।
रविशंकर प्रसाद : 66-ए के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट का संज्ञान लेना बिलकुल सही था। जहां तक 124-ए का सवाल है, 124-ए कब उपयोग में लाया जाए इसे सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि आपके काम से हिंसा होती है तब। मैं इसके दुरुपयोग के पक्ष में कभी नहीं हूं। एक विचार यह है कि अंग्रेजों का कानून है तो भारत में इसकी क्या जरूरत है। इसके दूसरे पक्ष पर बात करें तो देश को तोड़ने का काम हो रहा है। अभी आपने 66-ए की बात कही। नागरिकता कानून विरोधी दंगे में यह सच्चाई है कि काफी प्रायोजित वाट्सऐप संदेश सरहद पार से आए, जिनकी कोई पहचान व निशान नहीं थे।

क्या यह सच्चाई नहीं है कि जज ही कहते हैं कि हमें ट्रोल किया जाता है। तो कई बार नए उपकरण जो नए अवसर देते हैं वे नई चुनौतियां भी बढ़ाते हैं। बतौर सूचना तकनीक मंत्री मेरे सामने ऐसी बहुत सी शिकायतें आती थीं जो व्यथित करती थीं। किसी महिला की फोटो के साथ छेड़खानी कर वायरल कर दिया गया तो किसी की निजी चीजों को नेट पर डाल दिया गया। ऐसे विषय को अलग तरह से देखने की जरूरत है। यह सिर्फ स्याह और सफेद में नहीं हो सकता, इसमें काफी धूसर क्षेत्र भी है। अगर 124-ए का दुरुपयोग हुआ है तो सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
मुकेश भारद्वाज : भारतीय जनता पार्टी की रणनीति में थोड़ा परिवर्तन हुआ है। कांग्रेस पर होने वाला एकल हमला अब आम आदमी पार्टी की ओर मुड़ गया है। क्या आपको लगता है कि आम आदमी पार्टी भाजपा के लिए चुनौती बन रही है?
रविशंकर प्रसाद : भारत में अपनी पीठ थपथपाने वालों की गणना होगी तो केजरीवाल अव्वल रहेंगे। अब आप गोवा गए तो पिट गए, उत्तराखंड गए तो पिट गए। गुजरात में बोलेंगे कि हमारा सर्वेक्षण कह रहा कि हम जीतने जा रहे हैं। अब खुद ही सर्वेक्षण कराओ, खुद ही प्रमाणपत्र लो तो फिर क्या कहना। अब देखिए, ‘क्या शिक्षा क्या एक्साइज सब में है सरप्राइज’।
महेश केजरीवाल : कांग्रेस की पदयात्रा चल रही है और खड़गे अध्यक्ष बन चुके हैं। आपको लगता है कि गुजरात और हिमाचल में इसका कुछ असर पड़ेगा?
रविशंकर प्रसाद : कांग्रेस की राजनीतिक सेहत को चुनाव से मत जोड़िए। कांग्रेस देश की बड़ी पार्टी रही है तो बड़ी बने। तदर्थता से आप कांग्रेस के स्वास्थ्य को ठीक नहीं कर सकते हैं। राहुल, अखिलेश के साथ आए तो कितनी सीटें मिलीं? प्रियंका उत्तर प्रदेश में आईं तो कितनी सीट लाईं? खड़गे को मेरी शुभकामना है। परिवार आलाकमान की आला प्रस्तुति है उनकी जीत। कांग्रेस आज तक नहीं समझ पाई कि नरेंद्र मोदी-परिघटना क्या है, उनकी कार्यशैली क्या है। हमें गर्व है कि आज देश का पिछड़ा, अति पिछड़ा नरेंद्र मोदी को अपना नेता मानता है। देश उन्हें अपने नेता के रूप में महसूस कर रहा है।
मृणाल वल्लरी : आज किसी भी तरह का राजनीतिक विमर्श बदतर रूप अख्तियार कर लेता है। जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे को ही देखें।
रविशंकर प्रसाद : विमर्श तभी सार्थक होगा जब विमर्श करने का मन होगा। विपक्ष हर विमर्श से भागता है। जनसंख्या नियंत्रण पर चर्चा क्यों नहीं होनी चाहिए? भारत के भविष्य, संसाधन बनाम आबादी पर बात क्यों न हो? पहले इसी तरह अनुच्छेद-370 के मामले में होता था कि उसकी चर्चा के नाम से ही भूचाल आ जाता था। आज देखिए कश्मीर में क्या सुखद और ऐतिहासिक बदलाव हुआ है।
सुशील राघव : 2024 के चुनाव में आपकी भूमिका क्या रहेगी?
रविशंकर प्रसाद : जो पार्टी कहेगी।
मुकेश भारद्वाज : आजकल चुनाव चेहरे पर लड़ा जाता है, बिहार में पार्टी का चेहरा कौन होगा?
रविशंकर प्रसाद : उचित समय पर इसका जवाब मिल जाएगा।