सीधी बात कहने से भाषा में शक्ति नहीं आती, लेकिन जब भाषा के तेवर पैने व आक्रामक हों तो वे…
सीधी बात कहने से भाषा में शक्ति नहीं आती, लेकिन जब भाषा के तेवर पैने व आक्रामक हों तो वे…
अनेक छोटे कारीगर, जो अपना काम खुद चलाते हैं, उन्हें बाजार का पता नहीं है। वे नहीं जानते कि वे…
दलित-कला समकालीन कला आंदोलन के भाग रूप में चली भी, कुछ चित्रकारों ने आंचलिकता के नाम पर उसे संयोजित भी…
जो लोग समसामयिक कला को अपनाए हुए हैं, वे कारोबारी होते जा रहे हैं और बिना काम किए ही समकालीन…
धूप का चश्मा आंखों को बचाने का सुरक्षित उपाय है, बशर्ते कि चश्मा समुचित रूप से जांचा-परखा गया हो। इससे…
जयपुर में पली-बढ़ी बीसियों हस्तकलाएं इस समय संकट के दौर से गुजर रही हैं।
एक ही शैली में रंग-रेखाओं का संयोजन, जहां कला जीवन की त्रासदी बन रहा है, वहीं वह मानव जीवन से…
नील नदी के पानी में ‘मोरमरूम’ नामक मछली पाई जाती है, जिसे पकड़ना बहुत कठिन है।
आज देश में भाषा, क्षेत्र तथा जाति के नाम पर टकराव की प्रवृत्तियां पनप रही हैं। सांप्रदायिक शक्तियां सिर उठा…
ऊंट-पालन के लिए लोगों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और मेलों आदि में इनके गलत उपयोग पर प्रतिबन्ध लगना चाहिए।
कैसे एक बेहतरीन कला और उसकी परंपरा सबके देखते-देखते दम तोड़ने लगती है, सांगानेरी दस्तकारी इसका एक बड़ा उदाहरण है!
गुलाबी नगर जयपुर की मूर्तिकला लंबे समय से सारी दुनिया में जानी जाती रही है तो इसकी वजहें भी रही…