
भारत अपने वैशिष्ट्य को कभी छोड़ता नहीं है। स्वाध्याय, सत्संग और शास्त्रार्थ की परंपरा इतनी गहरी और प्राचीन है कि…
कई बार अधिक से अधिक संभावना वाले लोग भी ऐसी गलतियां कर जाते हैं कि उनकी नीयत और उनका असली…
महर्षि चरक बोले, ‘शिष्यों, नैतिक जीवन तथा राजाज्ञा में कोई साम्य नहीं है। यदि राजा अपनी प्रजा की संपत्ति अपनी…
आज राजनीति हो, सामाजिक व्यवस्था हो, शैक्षिक संस्थाएं हो, धार्मिक संस्थान हो या आर्थिक व्यवस्था। या चाहे पिता द्वारा अपने…
आधुनिकता की अंधी होड़ में हमारे उच्चस्तरीय नैतिक संस्कारों का विलोपन गहन चिंता का विषय है। आए दिन होने वाली…