
आज भी अनेकानेक मनुष्यों को हम देखते हैं कि अहंकार के चलते वे स्वयं ही कब्र खोदकर नष्ट हो रहे…
अहंकारी मनुष्य की जन्म जन्मांतरों की आदतें उसे बदलने का अवसर प्रदान नहीं करतीं।
अहंकारी मन सच्चाई स्वीकार नहीं कर पाता और हमारी आंखों पर एक ऐसा चश्मा चढ़ा देता है जिससे वहीं दिखाई…
जब अंदर अंहकार पैदा हो जाता है तो स्वयं को सर्वशक्तिमान मानने की प्रवृत्ति आती है। ऐसा महसूस होने लगता…
तृप्त जानवर होने से बेहतर है अतृप्त इनसान बन कर रहना। दरअसल, इनसान और जानवर के बीच मूल फर्क यही…