मैदान का नायक

विवेकानंद सिंह भारतीय क्रिकेट इतिहास में तीस दिसंबर 2014 को एक ऐसे कप्तान के लिए याद किया जाएगा, जो हमेशा…

गांव की सूरत

अरविंद दास की टिप्पणी ‘कहां है गांव’ (समांतर, 25 दिसंबर) पढ़ी। पी. साईनाथ की ‘तीसरी फसल’ पढ़ी, बेचैन कर देने…

हताशा के बोल

मुशर्रफ करगिल युद्ध को बांग्लादेश बनाने में भारत की भूमिका का जवाब मानते हैं। हर मोर्चे पर ‘जैसे को तैसा’…

बीजी वर्गीज

आज पत्रकारिता की दुनिया में संजीदगी, संतुलन और निर्भीकता जैसे गुण विरल मालूम पड़ते हैं। लेकिन बीजी वर्गीज इन्हीं मूल्यों…

अंत और अनंत

अंकित मुत्त्रीजा केंद्र में भाजपा सरकार के आने के बाद से जिस तरह गांधीजी को परोक्ष रूप से निशाना बनाया…

बाल साहित्य की जगह

प्राथमिक और विश्वविद्यालयी उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय भाषाओं का बाल साहित्य, विशेषकर हिंदी बालसाहित्य किस तरह उपेक्षा का…

आभासी का असर

सिनेमा एक बड़ा जनमाध्यम है और समाज का आईना भी। पर आज का सिनेमा व्यवसायीकरण की ऐसी अंधी दौड़ में…

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