यह विडंबना ही है कि एक ओर हम मंगल मिशन जैसे अंतरिक्ष अभियानों पर गर्व कर रहे हैं, दूसरी ओर…
उमाशंकर सिंह का ‘ध्यान भटकाने का मंत्र’ (4 अक्तूबर) और ब्रजेश कानूनगो का ‘सुनो कहानी’ (4 नवंबर), ये दोनों लेख…
बीरेंद्र सिंह रावत की टिप्पणी ‘आस्था की मुसीबत’ (समांतर, 7 नवंबर) पढ़ा। दिल्ली महानगर में लगता है कि आस्था जी…
विकेश कुमार बडोला कई बार ऐसा लगता है कि देश का सामूहिक जीवन बहुत अधिक कुंठाओं का शिकार है। इसके…
निवेदिता पच्चीस साल पहले भागलपुर जख्मों से भर गया था। एक बार फिर उसके जख्म हरे हो गए। स्मृति भी…
गिरिराज किशोर फेसबुक पर मैंने ग्यारह नवंबर को एक पोस्ट मतदान अनिवार्य बनाने के विरोध में डाली थी। उसके पक्ष…
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-20 की शिखर बैठक के लिए ऑस्ट्रेलिया गए, पर उनकी यह यात्रा दोनों देशों के आपसी…
हमारे देश में योजनाएं बड़े उत्साह से बनाई और घोषित की जाती हैं, पर उनके कारगर क्रियान्वयन की परवाह नहीं…
जब भी सरकारें बदलती हैं तब नई सरकारें यह दिखाने की कोशिश करती हैं कि वे जो करेंगी वह एकदम…
हिंदी प्रचार-प्रसार संबंधी कई राष्ट्रीय संगोष्ठियों में मुझे शामिल होने का सुअवसर मिला है। इन संगोष्ठियों में अक्सर यह सवाल…
प्रशांत कुमार किसी जमाने में कहा जाता था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। शहरों से नहीं, गांवों…
विश्वंभर शिक्षा में बदलाव के प्रति राज्य सरकारों के सरोकारों और गंभीरता को उनके फैसलों के संदर्भ में देखा-समझा जाना…