बिहार में जारी राजनीतिक संकट के बीच पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने 130 समर्थक विधायकों के साथ मंगलवार रात दिल्ली पहुंच गए। इन विधायकों को वो राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के समक्ष पेश करना चाहते हैं ताकि दिखा सकें कि उन्हें बहुमत हासिल है। राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी की ओर से राजनीतिक संकट को दूर करने में विलंब के बाद मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की जगह जद (एकी) विधायक दल के नेता चुने गए नीतीश ने यह कदम उठाया।
कुमार और उनका समर्थन करने वाले विधायक दो व्यावसायिक विमानों से दिल्ली पहुंचे। राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने कहा कि नीतीश के आग्रह पर राष्ट्रपति बुधवार को निर्णय करेंगे। नीतीश चाहते हैं कि बिहार विधानसभा में अपना बहुमत दिखाने के लिए वह विधायकों को राष्ट्रपति के समक्ष पेश करें। नीतीश ने कहा कि वह विधायकों को राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति के समक्ष पेश करने को बाध्य हो रहे हैं क्योंकि त्रिपाठी ने कोई निर्णय नहीं किया।
नीतीश कुमार ने पटना हवाई अड्डे पर कहा,‘24 घंटे से अधिक का समय बीत चुका है और सरकार बनाने के हमारे दावे के संबंध में बिहार के राज्यपाल की ओर से कोई निर्णय नहीं किया गया है। बहुमत हमारे पक्ष में है। हम इस बारे में भारत के राष्ट्रपति को सूचित करेंगे। हम अपने विधायकों को लेकर कल उनसे दोपहर करीब सवा दो बजे मिलने जाएंगे।’ उन्होंने कहा,‘हम अपने समर्थक सभी 130 विधायकों को लेकर राजभवन गए थे, उन सभी का समर्थन पत्र आठ फरवरी को ही दे दिया था। तब उसमें अध्ययन करने के लिए क्या है….मुझे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का निर्णय विलंबित करने का कोई औचित्य नहीं है।’
वहीं मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने त्यागपत्र देने से इनकार करते हुए दावा किया है कि उन्हें अब भी अधिकतर विधायकों का समर्थन हासिल है, जबकि नीतीश कुमार ने मांग की है कि राज्यपाल बहुमत साबित करने के लिए उन्हें या मांझी को बुलाएं। मांझी ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण गुप्त मतदान से कराने की मांग की है। जद (एकी) ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए पार्टी से निष्कासित कर उन्हें असंबद्ध विधायक घोषित कर दिया है।\
जद (एकी) के करीब 99 विधायकों के साथ ही कुमार के साथ समर्थक राजद, कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी और निर्दलीय विधायक भी हैं। कुमार ने सरकार बनाने के दावे के लिए सोमवार को त्रिपाठी से मुलाकात की थी जबकि मांझी ने भी बाद में राज्यपाल से मुलाकात की और कुमार के दावे का खंडन किया। कुमार 2005 से 2014 के मध्य तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे और कुमार को फिर से जद (एकी) विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल की ओर से हो रही देरी से माहौल बिगड़ रहा है। इससे खरीद फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा,‘देरी नहीं होनी चाहिए। हमने सरकार बनाने के लिए अपना दावा पेश कर दिया है। राज्यपाल को सब कुछ लिखित में दे दिया गया है। हम चाहते हैं कि संवैधानिक मूल्य बरकरार रहें और सरकार गठन के लिए कुछ भी गलत कदम नहीं उठाए जाने चाहिए।’