हेल्थ इंश्योरेंस करवाना हमें उस वक्त फायदा पहुंचाता है जब अस्पताल में इलाज के बाद लाखों रुपये का बिल थमा दिया जाए। इस परिस्थिति में इंश्योरेंस कंपनियां अपने पॉलिसीधारक का यह खर्चा कवर करती हैं। पॉलिसीधारक को अपनी जेब से पैसा लगाने की जरूरत नहीं होती और बिल के भुगतान की टेंशन नहीं होती। हालांकि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर की लिमिट होती है।
अक्सर ऐसा होता है कि इलाज के दौरान ज्यादा खर्च हो जाता है जबकि अमूमन हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी बेचने वाली कंपनियां पॉलिसीधारक को तीन से पांच लाख रुपये का कवर मुहैया करवाती है। ऐसे में इस विपरीत परिस्थिति में आपके काम हेल्थ इंश्योंरेंस टॉप-अप पॉलिसी आ सकती है।
यह एक एड-ऑन प्लान है होता है जो कि आपकी पॉलिसी के साथ जुड़ा होता है। इसके तहत आपकी हेल्थ पॉलिसी में जो सम एश्योर्ड की वैल्यू होती है उससे ज्यादा के खर्च को कवर किया जाता है। हेल्थ इंश्योंरेंस टॉप-अप पॉलिसी में अमूमन 15 लाख रुपये तक कवर मुहैया करवाया जाता है।
खास बात यह है कि इसको लेने के लिए आवेदक को मेडिकल स्क्रीनिंग भी नहीं करवानी होती है। हालांकि कई इंश्योरेंस कंपनी 45 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों को मेडिकल टेस्ट कराने के लिए कहती हैं। एक और खास बात यह है कि इसमें फ्लोटर कवर का फायदा भी मिलता है।
यानी एक व्यक्ति हेल्थ इंश्योंरेंस टॉप-अप पॉलिसी लेते हुए अपनी पत्नी, बच्चों समेत कुल 6 लोगों को इसके तहत कवर कर सकता है।टॉप-अप पॉलिसी मौजूदा बीमा कंपनी या दूसरी किसी कंपनी से खरीदी जा सकती है। हर कंपनी के अलग-अलग रेट होते हैं।