सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका के तहत केंद्र और आधार कार्ड जारी करने वाली संस्था UIDAI को नोटिस भेजा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश भी दिए हैं कि 27 लाख लोगों का आधार कार्ड जल्द से जल्द जारी किया जाएं। ये वे लोग हैं, जिन्हें अगस्त 2019 में जारी असम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) की सूची में जोड़ा गया था।
अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव द्वारा दायर की गई याचिका के दौरान जस्टिस यूयू ललित, एस रवींद्र भट और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने केंद्र सरकार और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को नोटिस जारी किया। जिसके तहत असम राज्य में 27 लाख लोगों के आधार कार्ड अभी तक जारी न करने के संबंध में जवाब भी मांगा गया।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विश्वजीत देब के अनुसार, सवाल पूछा गया था कि क्या जिन लोगों का नाम दूसरी एनआरसी सूची में शामिल है, उन्हें आधार कार्ड से वंचित किया जाएगा और ऐसे लोगों की संख्या असम राज्य में 27.43 लाख है। अधिवक्ता ने कहा कि दिसंबर 2017 में प्रकाशित पहली एनआरसी सूची में शामिल लोगों के आधार कार्ड जारी किए जा चुके हैं जबकि दूसरी सूची में शामिल लोगों को आधार कार्ड नहीं मिल पाया है।
याचिका में कहा गया है कि आधार कार्ड न होने से लोगों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है। वहीं आधार अधिनियम के तहत प्रत्येक भारत के निवासी आधार कार्ड के हकदार हैं। पीठ ने नोटिस जारी करने और मामले की सुनवाई के लिए मई में तारीख तय करने पर सहमति जताई।
तुलिका मुखर्जी के अनुसार, जिनके नाम अंतिम सूची में शामिल थे, उन्होंने आधार कार्ड के लिए आवेदन करने का प्रयास किया, लेकिन उनके आवेदनों को यूआईडीएआई ने अस्वीकार कर दिया। याचिका में कहा गया है कि आधार कार्ड जारी नहीं किया जाना, यह समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
