बाइडन प्रशासन ने एक और आव्रजन अनुकूल कदम उठाया है और एच-1बी वीजा धारकों के जीवनसाथियों को काम करने के अधिकार संबंधी मंजूरी स्वत: मिलने पर सहमति जताई है। इस कदम का लाभ हजारों भारतीय-अमेरिकी महिलाओं को मिलेगा। एच-1बी वीजा धारकों में बड़ी संख्या भारतीय आईटी पेशेवरों की है।

एच-4 वीजा, अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवाओं द्वारा एच-1बी वीजा धारकों के निकटतम परिजनों (जीवनसाथी और 21 साल से कम उम्र के बच्चे) को जारी किया जाता है। यह वीजा सामान्य तौर पर उन लोगों को जारी किया जाता है जो अमेरिका में रोजगार आधारित वैधानिक स्थायी निवासी दर्जे की प्रक्रिया पहले ही आरंभ कर चुके हैं।

एच-1बी वीजा गैर-आव्रजन वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को रोजगार देने की इजाजत देता है। इनके बूते प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर वर्ष हजारों लोगों को नौकरी पर रखती हैं। आव्रजकों के जीवनसाथियों की ओर से कुछ महीने पहले ‘अमेरिकन इमीग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन’ ने मुकदमा दायर किया था जिसके बाद गृहसुरक्षा विभाग इस समझौते पर पहुंचा।

मौजूदा अमेरिकी प्रशासन के इस फैसले के बाद अब एच-1बी और एल-2 वीजा धारकों की पत्नियों को वर्क ऑथराइजेशन के लिए अलग से आवेदन नहीं देना होगा। यूएस में उन्हें काम करने के लिए सबूत के तौर पर एक रोजगार प्राधिकरण दस्तावेज की जरूरत पड़ेगी। समझौते के अंतर्गत एच-4 वीजा धारकों की पत्नियों के पास वहां (यूएस) रहने का कानूनी अधिकार है और उन्हें सिर्फ रोजगार प्राधिकरण को रिन्यू कराना होगा।

रोजगार प्राधिकरण की वैधता खत्म होने पर अगर एजेंसी उनकी आवदेन प्रक्रिया करने में नाकाम रही, तब भी वे 180 दिनों के लिए ऑथराइजेशन परमिट का लाभ पा सकेंगी।

इससे पहले, ओबामा प्रशासन ने एच-1बी वीजा धारकों के जीवनसाथियों को कुछ श्रेणियों में काम करने का अधिकार दिया था। बता दें कि अब तक 90,000 से अधिक एच-4 वीजा धारकों (इनमें महत्वपूर्ण बहुमत भारतीय-अमेरिकी महिलाएं) को वर्क ऑथराइजेशन परमिट मिला है। (समाचार एजेंसी भाषा-पीटीआई इनपुट्स के साथ)