प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को 10.09 करोड़ किसानों को पीएम-किसान योजना के तहत वित्तीय सहायता के रूप 20,946 करोड़ रुपये की 10वीं किस्त जारी की। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में नवीन अन्वेषणों को बढ़ाने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत पात्र किसान परिवारों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपये का वित्तीय लाभ प्रदान किया जाता है, जो 2,000 रुपये की तीन समान किस्तों में देय होता है। पीएम-किसान योजना की घोषणा फरवरी, 2019 के बजट में की गई थी। पहली किस्त दिसंबर, 2018 से मार्च, 2019 की अवधि के लिए दी गई थी।
प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये आयोजित कार्यक्रम में लाभार्थियों को यह राशि जारी करते हुए कहा कि यह योजना किसानों के लिए एक बड़ा समर्थन है और केंद्र ने बिचौलियों की भागीदारी के बिना सभी किस्तों को समय पर सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित कर दिया है। उन्होंने कहा कि किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम आज के धन हस्तांतरण को शामिल करें, तो पीएम-किसान के तहत 1.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक सीधे किसानों के खातों में स्थानांतरित कर दिए गए हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस योजना से किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीज और उर्वरक खरीदने में मदद मिली है।
इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि लगभग 10.09 करोड़ लाभार्थियों को लगभग 20,900 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए जा रहे हैं। कार्यक्रम में नौ मुख्यमंत्री, विभिन्न राज्यों के कई मंत्री और कृषि संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल हुए। एक वर्चुअल कार्यक्रम में मोदी ने 351 कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को 14 करोड़ रुपये से अधिक का इक्विटी अनुदान भी जारी किया। इससे 1.24 लाख किसानों को फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि छोटे किसान एफपीओ की स्थापना के साथ सामूहिक ताकत की शक्ति का अहसास कर रहे हैं और उन्होंने छोटे किसानों के लिए एफपीओ के पांच लाभों को सूचीबद्ध किया – मोलभाव करने की ताकत में वृद्धि, व्यापक पैमाना, नवाचार, जोखिम प्रबंधन और बाजार स्थितियों के अनुरूप खुद को ढालना। एफपीओ के माध्यम से किसान अब थोक लागत सामग्रियों को खरीद सकते हैं और अपने कृषि उत्पाद को खुदरा बाजार में बेच सकते हैं।
सरकार एफपीओ को हर स्तर पर बढ़ावा दे रही है और उन्हें 15 लाख रुपये तक की मदद मिल रही है। नतीजतन जैविक एफपीओ, तिलहन एफपीओ, बांस क्लस्टर और हनी एफपीओ बन रहे हैं। मोदी ने कहा, ‘‘आज हमारे किसान ‘एक जिला एक उत्पाद’ जैसी योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं और देश और वैश्विक बाजार उनके लिए खुल रहे हैं।’’
उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया कि देश में अभी भी कई ऐसी वस्तुओं का आयात किया जा रहा है जिसे भारतीय किसान आसानी से पूरा कर सकते हैं। मोदी ने कहा कि खाद्य तेल भी ऐसा ही एक उदाहरण है जिसके लिए बहुत अधिक विदेशी मुद्रा खर्च की जाती है। मोदी ने बताया कि खाद्य तेलों के आयात को कम करने के उद्देश्य से 11,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ राष्ट्रीय पाम तेल मिशन शुरू किया गया है।
हाल के वर्षों में कृषि क्षेत्र में उपलब्धियों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि महामारी के बावजूद खाद्यान्न उत्पादन 30 करोड़ टन तक पहुंच गया है। बागवानी और फूलों की खेती का उत्पादन 33 करोड़ टन तक पहुंच गया है। दुग्ध उत्पादन भी पिछले 6-7 वर्षों में लगभग 45 प्रतिशत बढ़ा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खाद्यान्न की रिकॉर्ड खरीद स्तर भी हासिल किया है। लगभग 60 लाख हेक्टेयर भूमि को सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत लाया गया है।
उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना के तहत मुआवजे में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक दिए गए हैं, जबकि प्राप्त प्रीमियम सिर्फ 21,000 करोड़ रुपये था। मोदी ने कहा कि सरकार ने यह सुनिश्चित करने के प्रयास तेज कर दिए हैं कि किसान फसल के बचे अवशेषों से कमाई करें। फसल अवशेषों से जैव ईंधन के उत्पादन के लिए सैकड़ों इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। पिछले सात वर्षों में एथनॉल का उत्पादन 40 करोड़ लीटर से बढ़कर 340 करोड़ लीटर से अधिक हो गया है।
बायोगैस को बढ़ावा देने के लिए गोवर्धन योजना के बारे में उन्होंने कहा कि अगर गाय के गोबर का मूल्य होगा, तो दुधारू पशु किसानों पर बोझ नहीं होंगे। सरकार ने कामधेनु आयोग की स्थापना की है और डेयरी क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रही है। प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रसायन मुक्त खेती मिट्टी के स्वास्थ्य की रक्षा करने का एक प्रमुख तरीका है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और प्रत्येक किसान को प्राकृतिक खेती की प्रक्रियाओं और लाभों से जागरूक बनाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि रसायन मुक्त कृषि उत्पादों की भारी मांग है और इनकी उत्पादन लागत भी कम है। प्रधानमंत्री ने किसानों से खेती में नयी खोज करते रहने का आह्वान किया। ‘‘हमें कृषि में नई फसल और नए तरीके अपनाने में संकोच नहीं करना चाहिए।’’ उन्होंने किसानों से स्वच्छता के आंदोलन को मजबूत करने को भी कहा। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, गुजरात, तमिलनाडु और उत्तराखंड के एफपीओ से बातचीत की। उत्तराखंड के एफपीओ के साथ बातचीत करते हुए, मोदी ने उनके द्वारा जैविक खेती की पसंद और जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण के तरीकों के बारे में पूछताछ की।
उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास रहा है कि प्राकृतिक और जैविक खेती को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया जाए क्योंकि इससे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होती है और किसानों की आय में सुधार होता है। पंजाब के एक एफपीओ ने उन्हें पराली (फसल अवशेषों) को बिना जलाए निपटाने के तरीकों के बारे में बताया। राजस्थान के एक एफपीओ ने शहद उत्पादन के बारे में बात की, जबकि उत्तर प्रदेश के एफपीओ ने बताया कि वह कैसे बीज और जैविक उर्वरकों के साथ सदस्यों की मदद करता है। तमिलनाडु के एक एफपीओ ने कहा कि यह पूरी तरह से महिलाओं के स्वामित्व और संचालन में है। गुजरात के एफपीओ ने प्राकृतिक खेती के बारे में बात की और बताया कि कैसे गाय आधारित खेती से खर्च और मिट्टी पर दबाव कम हो सकता है।
ऐसे चेक करें कि लिस्ट में नाम है या नहीं: पीएम किसान की 10वीं किस्त आपको मिली है या नहीं? यह चीज लाभार्थियों की लिस्ट को चेक कर के पता की जा सकती है। आपको इसके लिए पीएम किसान की वेबसाइट (pmkisan.gov.in) पर जाना होगा। आगे होम पेज पर आपको “फॉर्मर्स कॉर्नर सेक्शन” में “बेनेफिश्यरी स्टेटस” का विकल्प मिलेगा, जहां क्लिक करने के बाद लोग लिस्ट में देखकर अपना स्टेटस जान सकते हैं। सूची में किसान का नाम और उसके खाते में भेजी गई रकम का ब्यौरा होता है।