वाहन ईंधन कीमतों में रविवार (31 अक्टूबर, 2021) को लगातार चौथे दिन बढ़ोतरी हुई। पेट्रोल और डीजल दोनों के दाम 35-35 पैसे प्रति लीटर और बढ़ाए गए हैं। इससे देशभर में पेट्रोल और डीजल के दाम अब नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। वहीं वाहन ईंधन पर ऊंचा स्थानीय कर वसूलने वाले मध्य प्रदेश में पेट्रोल का दाम 120 रुपये प्रति लीटर को पार कर गया है।

सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलयम विपणन कंपनियों द्वारा जारी मूल्य अधिसूचना के अनुसार, पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमतों में 35 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि की गई है। दिल्ली में अब पेट्रोल 109.34 रुपये प्रति लीटर के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया है। मुंबई में यह अब 115.15 रुपये प्रति लीटर हो गया है। मुंबई में डीजल 106.23 रुपये प्रति लीटर और दिल्ली में 98.07 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है।

वाहन ईंधन कीमतों में लगातार चौथे दिन बढ़ोतरी हुई है। 25 अक्टूबर से 27 अक्टूबर के दौरान कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ था। उसके बाद से पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार 35 पैसे प्रति लीटर के हिसाब से बढ़ रहे हैं। देश के सभी प्रमुख शहरों में पेट्रोल पहले ही 100 रुपये प्रति लीटर के पार हो गया है। वहीं पंजाब के जालंधर से लेकर सिक्किम के गंगटोक तक करीब डेढ़ दर्जन राज्यों में डीजल शतक को पार कर गया है।

स्थानीय करों की वजह से विभिन्न राज्यों में वाहन ईंधन के दामों में अंतर होता है। मध्य प्रदेश के पन्ना, सतना, रीवा, शहडोल, छिंदवाड़ा और बालाघाट में अब पेट्रोल 120 रुपये प्रति लीटर के पार हो गया है। इसके अलावा राजस्थान के गंगानगर और हनुमानगढ़ में भी यह इसी स्तर पर पहुंच गया है। गंगानगर में पेट्रोल 121.52 रुपये प्रति लीटर और डीजल 112.44 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। देश में वाहन ईंधन के सबसे ऊंचे दाम यहीं पर हैं।पेट्रोल के दाम 28 सितंबर से 25 बार बढ़े हैं। उसके बाद से पेट्रोल 8.15 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है। वहीं 24 सितंबर से 28 बार में डीजल कीमतों में 9.45 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।

उधर, पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क संग्रह चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 33 प्रतिशत बढ़ा है। आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। अगर कोविड-पूर्व के आंकड़ों से तुलना की जाए, तो पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क संग्रह में 79 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि हुई है। वित्त मंत्रालय में लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के पहले छह माह में पेट्रोलियम उत्पादों पर सरकार का उत्पाद शुल्क संग्रह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 33 प्रतिशत बढ़कर 1.71 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। पिछले साल की समान अवधि में यह 1.28 लाख करोड़ रुपये रहा था।

यह अप्रैल-सितंबर, 2019 के 95,930 करोड़ रुपये के आंकड़े से 79 प्रतिशत अधिक है। पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम उत्पादों से सरकार का उत्पाद शुल्क संग्रह 3.89 लाख करोड़ रुपये रहा था। 2019-20 में यह 2.39 लाख करोड़ रुपये था। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली लागू होने के बाद सिर्फ पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन और प्राकृतिक गैस पर ही उत्पाद शुल्क लगता है। अन्य उत्पादों और सेवाओं पर जीएसटी लगता है। सीजीए के अनुसार, 2018-19 में कुल उत्पाद शुल्क संग्रह 2.3 लाख करोड़ रुपये रहा था। इसमें से 35,874 करोड़ रुपये राज्यों को वितरित किए गए थे। इससे पिछले 2017-18 के वित्त वर्ष में 2.58 लाख करोड़ रुपये में से 71,759 करोड़ रुपये राज्यों को दिए गए थे।

वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में पेट्रोलियम उत्पादों पर बढ़ा हुआ (इंक्रीमेंटल) उत्पाद शुल्क संग्रह 42,931 करोड़ रुपये रहा था। यह सरकार की पूरे साल के लिए बांड देनदारी 10,000 करोड़ रुपये का चार गुना है। ये तेल बांड पूर्ववर्ती कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में जारी किए गए थे। ज्यादातर उत्पाद शुल्क संग्रह पेट्रोल और डीजल की बिक्री से हासिल हुआ है। अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार के साथ वाहन ईंधन की मांग बढ़ रही है। उद्योग सूत्रों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में बढ़ा हुआ उत्पाद शुल्क संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रह सकता है।