Indian Railways IRCTC News in Hindi: कोरोना के बीच देश अब लगभग पूरी तरह से अनलॉक हो चुका है, पर भारतीय रेल की ट्रेनों और उनमें मिलने वाली यात्री सुविधाओं की बहाली (सामान्य) संपूर्ण रूप से नहीं हो पाई है। ऊपर से पैसेंजर ट्रेनों की संख्या भी कम कर दी गई है, जिससे यात्री रेलगाड़ियों में गेट पर लटक कर सफर को मजबूर हैं। यात्रा इस स्थिति में उनके लिए न सिर्फ मुश्किलदेह बल्कि बेहद जोखिमभरी भी बन रही है। इतना ही नहीं नहीं, रेलयात्रियों से ज्यादा किराया वसूली भी जारी है।

फिलहाल दौड़ रहीं 80 गाड़ियां, पहले थीं 325: उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान से दिल्ली आने वाले रूट के लिए मौजूदा समय में फिलहाल 80 गाड़ियां दौड़ रही हैं, जबकि यही संख्या कोरोना वायरस महामारी के आने से पहले पिछले साल 325 हुआ करती थी। रोचक बात है कि गाड़ियां की संख्या तभी भी नहीं बढ़ाई गई, जबकि दफ्तर और अन्य चीजें खुल चुकी हैं और लोगों का आवागमन भी पहले के मुकाबले काफी बढ़ चुका है।

कई जगह नाम मात्र की हैं पैसेंजर ट्रेन!: कम ट्रेनों और टाइमिंग (गाड़ी का वक्त लोगों के ऑफिस, काम धंधे से न मैच करना) के असर की वजह से लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। कभी उन्हें बाहर लटक कर चलना पड़ता है, तो कुछ जगहों पर पैसेंजर गाड़ियां चलाई जा रही हैं, वे बस नाम मात्र की हैं। कायदे से उन्हें रुकना छोटे स्टेशंस पर चाहिए, पर वे बड़े स्टेशंस पर ही रुक कर चल रही हैं। हिंदी अखबार “नभाटा” को इस बारे में एक रेल यात्री ने बताया, “हरियाणा एक्सप्रेस नाम से चलने वाली गाड़ी रेवाड़ी के बाद गुड़गांव रोकी जा रही है।” समझा जा सकता है कि बीच में जो स्टेशंस पड़ते होंगे, वहां के लोग उसमें बैठ ही नहीं पाते होंगे।

‘MST लागू, पर गाड़ियों की संख्या में इजाफा नहीं’: अखबार ने दैनिक यात्री संघ (पालम) के महासचिव बालकृष्ण अमरसरिया के हवाले से बताया कि हरियाणा एक्सप्रेस (दिल्ली-रेवाड़ी रूट) का सदर बाजार स्टेशन पर स्टॉप न होने से सदर बाजार, चांदनी चौक और नजदीकी बाजारों में कार्यरत सैकड़ों लोगों को खासा समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिए, क्योंति वहां अधिकतर काम करने वाले ट्रेनों के जरिए ही आवागमन करते हैं। रेलवे एमएसटी तो लागू कर चुका है, पर गाड़ियों की संख्या नहीं बढ़ा रहा है।

गेट पर लटक, छत पर बैठ व कपलिंक में खड़े हो जोखिमभरा सफर: कम ट्रेनें होने की वजह से भीड़ होती है और उस स्थिति में लोग गेट पर लकटने के अलावा कपलिंक के बीच वाली जगह में खड़े होकर सफर करने पर मजबूर हो जाते हैं। ऐसे ही कुछ तस्वीरें और वीडियो मंगलवार को सामने आए थे, जिसमें कुरुक्षेत्र (हरियाणा) से हजरत निजामुद्दीन (दिल्ली) आने वाले MEMU ट्रेन के गेट पर सैकड़ों लोग लटके थे। यही नहीं, दिल्ली से सटे लोनी, बागपत और सहारनपुर (तीनों यूपी में) समेत आसपास के स्टेशंस पर चलने वाली गाड़ियों की छतों पर लोग सफर करने को विवश हो जाते हैं।

इस कदर हो रही अधिक किराया वसूलीः हैरत की बात यह है कि कोरोना के आने के बाद रेलगाड़ियों में जो सुविधाएं बंद कर दी गई थीं, उन्हें भी हर जगह पूरी तरह से बहाल नहीं किया गया है. मसलन पैंट्री और अन्य चीजें। फिर भी ट्रेनों में स्पेशल वाला टैग लगा और किराया भी अधिक है। बिहार में ट्रेनों के सिर्फ नाम और नंबर बदलकर यात्रियों से 29 फीसदी तक ज्यादा किराया वसूली की जा रही है। 67 गाड़ियों को फेस्टिवल ऐक्सप्रेस का नाम देकर स्पेशल ट्रेन बना दिया गया, जबकि 42 सवारी ट्रेनों में तो मेल एक्सप्रेस का दर्जा दे टिकट की रकम बढ़ा दी गई। बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, वैशाली एक्सप्रेस, स्वतंत्रता सेनानी ऐक्सप्रेस, मगध एक्सप्रेस, यशवंतपुर एक्सप्रेस, संघमित्रा आदि उन गाड़ियों में से हैं, जिनका किराया बढ़ा है।

अधिक किराए पर क्या कहता है रेलवे?: यात्रियों से कुछ जगह 500 किमी से अधिक दूरी पर भी फेस्टिवल ऐक्सप्रेस ट्रेनों का किराया लिया जा रहा है। करीब 16 महीने से ट्रेनों में स्पेशल और अन्य टैग के नाम पर अधिक किराए की उगाही पर जब एक अन्य अखबार “दैनिक भास्कर” ने पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ राजेश कुमार से बात की तो उन्होंने बताया- कोरोना के बाद किसी ट्रेन का किराया नहीं बढ़ा। जिनका अधिक है, वे स्पेशल और फेस्टिवल स्पेशल हैं। पहले की तुलना में अब स्टॉपेज भी कम हैं। हालांकि, रनिंग टाइम सुधरा है।