हिंदुस्तान में कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के एक साल पूरा करने से कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने ऐसा कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया है जो सहमति के बगैर टीकाकरण की परिकल्पना करता है या किसी भी उद्देश्य के लिए टीकाकरण प्रमाण पत्र को अनिवार्य बनाता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 13 जनवरी, 2022 को दायर एक हलफनामे में कहा, “किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के खिलाफ कोरोना वायरस से जुड़ा टीका लगाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।”
अफेडेविड में आगे बताया गया कि “भारत सरकार ने कोई एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी नहीं किया है, जो किसी भी उद्देश्य के लिए टीकाकरण प्रमाण पत्र ले जाना अनिवार्य बनाता है।”
मंत्रालय के मुताबिक, “यह विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि भारत सरकार और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश, संबंधित व्यक्ति की सहमति प्राप्त किए बिना किसी भी जबरन टीकाकरण की परिकल्पना नहीं करते हैं।”
यह रेखांकित करते हुए कि “कोविड -19 के लिए टीकाकरण चल रही महामारी की स्थिति को देखते हुए बड़े सार्वजनिक हित में है”…सरकार ने आगे कहा, “विभिन्न प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से यह सलाह दी जाती है, विज्ञापित की जाती है और पहुंचाई जाती है कि सभी नागरिकों को टीका लगवाना चाहिए। सिस्टम और इसे सुगम बनाने के लिए प्रक्रियाओं को डिजाइन किया गया है। हालांकि, किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध टीकाकरण के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।”
केंद्र के हलफनामे के अनुसार, सरकार ने कोविड-19 टीकाकरण के लिए परिचालन दिशानिर्देश तैयार किए हैं, जिसके अनुसार “सभी लाभार्थियों को प्रतिकूल घटनाओं के बारे में सूचित किया जाना है जो कोविड -19 वैक्सीन के बाद हो सकते हैं।”
दरअसल, कुछ राज्यों ने नागरिकों की ओर से टीकाकरण से इन्कार पर हतोत्साहित करने के आदेश जारी किए हैं। महाराष्ट्र ने कहा था कि लोकल ट्रेनों में केवल पूरी तरह से टीकाकरण वाले व्यक्तियों को ही अनुमति दी जाएगी और केरल सरकार ने कहा था कि राज्य बिना टीकाकरण वाले व्यक्तियों के लिए कोविड-19 उपचार की लागत वहन नहीं करेगा।
बता दें कि केंद्र का यह हलफनामा उस केस में दायर किया गया था, जिसमें कोर्ट ने याचिकाकर्ता (एलुरु फाउंडेशन) को दिव्यागों के टीकाकरण की सुविधा के लिए मौजूदा ढांचे को मजबूत करने के लिए कोई ठोस कदम उठाने की अनुमति दी थी और यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनकी प्रक्रिया तक उचित पहुंच है।
