नई गाड़ी खरीदने में कभी भी जल्दी नहीं करनी चाहिए। कार चुनने और लेने से पहले कुछ महीन बातें होती हैं, जिन पर हमेशा गौर करना चाहिए। वरना हो सकता है कि आप उसे घर लाने के बाद पछताएं कि फलां बात के बारे में तो सोचा ही नहीं था। आइए जानते हैं कार के चुनाव से जुड़े अहम प्वॉइंट्स:

फर्म: गाड़ी किसकी है?…आपके जहन में भी यह सवाल कार लेने से पहले उठना चाहिए। इंडियन मार्केट में Maruti Suzuki, Hyundai, Tata Motors, Mahindra, Kia, Nissan, Honda, Toyota और Renault सरीखी कई कंपनियां हैं, जिनमें मारुति सर्वाधिक कार सेल करने वाली कंपनी है। कंपनी के मामले में आप अपने यार-दोस्तों, मिलनेवालों और आसपास के उन लोगों और कुछ एक्सपर्ट्स से पूछें, सलाह-मशविरा करें, जो अलग-अलग कंपनियों की कार रखते हों या चला चुके हैं। आपको इससे एक मोटा-मोटी आइडिया मिल जाएगा कि किस कंपनी की गाड़ी में क्या चीजें ठीक हैं और किसमें क्या कमजोर है।

यूटीलिटीः फर्म चुनने के बाद आपको उस गाड़ी की असल यूटीलिटी समझनी होगी। मतलब आप उसे किस वजह से ले रहे हैं और अधिकतर किसलिए यूज करेंगे। दरअसल, गाड़ियां भी कई सेगमेंट्स में आती हैं, जिनमें छोटी गाड़ियां, हैचबैक, एमपीवी (मल्टी परपज व्हीकल – कई कामों के लिए इस्तेमाल में आने वाली), सेडान, कॉम्पैक्ट एसयूवी, मिड एसयूवी और एसयूवी (स्पोर्ट्स यूटीलिटी व्हीकल) आदि होती हैं।

किसके लिए कौन सी बेहतर?
हैचबैक: चार से पांच लोगों की फैमिली के लिए।
एमपीवीः सात लोगों का परिवार है तब।
सेडानः सामान लेकर आने-जाने वाले लोगों के लिए।
एसयूवीः रोमांच के शौकीन लोगों के लिए। ये दुर्गम रास्तों पर चलाने के लिए बढ़िया रहेगी।

प्राइस रेंजः आगे यह भी मायने रखता है कि आपका बजट क्या है और आप गाड़ी पर कितना खर्च कर सकते हैं। यहां पर आपको एक और चीज भी ध्यान रखनी होगी कि कार खरीदने के बाद उसमें होने वाले खर्च किस हिसाब से होंगे। मसलन सर्विसिंग आदि। अगर लोन पर लेंगे, तब उसमें आपको ब्याज भी चुकाना पड़ेगा।

एवरेजः चूंकि, आज के दौर में तेल के दाम आसमान छू रहे हैं। इस लिहाज से अधिकतर लोगों के लिए यह भी बड़ा मुद्दा हो जाता है कि आखिरकार “गाड़ी माइलेज कितना देती है?” वैसे, पेट्रोल गाड़ियों के मुकाबले डीजल और सीएनजी का एवरेज अधिक होता है। हालांकि, डीजल गाड़ियों का रख-रखाव पेट्रोल वाली की तुलना में अधिक होता है, इसलिए कई लोग उसे (डीजल वाली) खरीदना समझदारी नहीं मानते।