7th Pay Commission Latest News in Hindi: केंद्र सरकार ने रेलवे कर्मचारियों के लिए पीएलबी (प्रोडक्टिविटी लिंक्ड बोनस) का ऐलान किया है, जो कि वित्त वर्ष 2020-21 में 78 दिनों की दिहाड़ी के बराबर होगा। यह बोनस सभी योग्य नॉन-गजेटेड रेलवे कर्मचारियों के लिए होगा। हालांकि, इसका लाभ आरपीएफ या फिर आरपीएसएफ कर्मचारियों को नहीं मिलेगा।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएलबी को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक बयान में कहा कि इस फैसले से लगभग 11.56 लाख नॉन-गजेटेड रेल कर्मचारियों को लाभ मिलने की संभावना है। केंद्रीय कैबिनेट के एक बयान के मुताबिक, “पात्र रेलवे कर्मचारियों को पीएलबी का भुगतान हर साल दशहरा या पूजा की छुट्टियों से पहले किया जाता है।”
कैबिनेट के बयान के अनुसार, रेलवे कर्मचारियों को 78 दिनों के पीएलबी के भुगतान का फाइनैंशियल इंप्लिकेशन (वित्तीय निहितार्थ) 1984.73 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पात्र अराजपत्रित रेल कर्मचारियों को पीएलबी के भुगतान के लिए 7,000 रुपए प्रति माह वेतन गणना की सीमा निर्धारित की है। कैबिनेट ने एक बयान में कहा कि प्रति पात्र रेल कर्मचारी को 78 दिनों के लिए अधिकतम देय राशि 17,951 रुपए है।
उधर, जिन केंद्रीय कर्मचारियों ने सीईए यानी चिल्ड्रेन एजुकेशन अलाउंस के लिए क्लेम नहीं किया है, वह अभी भी उसके लिए क्लेम कर सकते हैं। उन्हें इसके लिए आधिकारिक दस्तावेजों की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। बता दें कि सातवें वेतन आयोग के तहत केंद्रीय कर्मचारियों के हर महीने अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए 2,250 रुपए का भत्ता मिलता है। पर कोरोना के चलते जब स्कूल बंद थे, तब वे इसे क्लेम नहीं कर पाए। डीओपीटी की ओर से जुलाई में एक एमओयू जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि बच्चों की ऑनलाइन फीस जमा करने के बाद भी केंद्रीय कर्मचारी सीईए क्लेम करने में दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। हालांकि, वे अब स्कूल की एडमिशन स्लिप दिखाकर इस भत्ते को क्लेम कर सकते हैं।
वहीं, बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने सरकारी विभागों में सेवानिवृत्ति के बाद खाली होने वाले पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं। इस बाबत अपर मुख्य सचिव कार्मिक देवेश चतुर्वेदी ने सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश भेज दिया है, जिसमें कहा गया है कि जरूरत हो तो उच्च स्तर से तत्काल अनुमोदन ले लिया जाए। यही नहीं, सूबे के राज्य विश्वविद्यालयों और सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में तृतीय श्रेणी के रिक्त पदों पर भर्ती के संबंध में जल्द फैसला होने की संभावना है।