IPS Anurag Arya Viral Video: उत्तर प्रदेश पुलिस के अफसरों में एक नाम इन दिनों खूब चर्चा में है — IPS अनुराग आर्य। हाल ही में उनका घुड़सवारी करते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसे देखकर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लेकिन आखिर कौन हैं अनुराग आर्य, और क्यों उनका वीडियो इतनी तेजी से वायरल हो रहा है? आइए जानते हैं।

शांति बहाल करने के लिए किया लाठीचार्ज

दरअसल, जिले में शुक्रवार की नमाज के बाद सिविल लाइंस इलाके में “आई लव मुहम्मद” के बैनर लगाने को लेकर विवाद के बाद तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई थी। यह विवाद जल्द ही पथराव और दो समूहों के बीच हिंसक झड़पों में बदल गया। ऐसे में 2013 बैच के आईपीएस अधिकारी और पुलिस अधीक्षक (एसपी) अनुराग आर्य के नेतृत्व में पुलिस ने बेकाबू भीड़ को तितर-बितर करने और शांति बहाल करने के लिए लाठीचार्ज किया।

घटना के बाद कई लोगों को हिरासत में लिया गया और पुलिस ने झड़प स्थल के पास 200 मीटर के दायरे में बिखरे पत्थर, चप्पल और जूते बरामद किए। कम से कम दस पुलिसकर्मियों को छर्रे लगने सहित कई चोटें आईं, और घटना को कवर कर रहे मीडियाकर्मी भी घायल हुए। लगभग बारह लोगों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया, और पुलिस द्वारा इकट्ठा किए गए वीडियो साक्ष्यों के आधार पर और लोगों को हिरासत में लेने की आशंका है।

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तनावपूर्ण स्थिति को कंट्रोल करने में एसपी अनुराग आर्य का त्वरित हस्तक्षेप महत्वपूर्ण रहा। अपने सक्रिय और स्पष्ट दृष्टिकोण के लिए जाने जाने वाले, आर्य ने उत्तर प्रदेश के सबसे डायनैमिक पुलिस अधिकारियों में से एक के रूप में ख्याति प्राप्त की है। बरेली में स्थिति को उनके दृढ़ संचालन ने एक बार फिर उनके लीडरशिप क्वालिटी को उजागर किया है। आइये जानते हैं कि वह इतनी प्रसिद्धि कैसे प्राप्त कर पाए?

डॉक्टर परिवार से आते हैं अनुराग

रिपोर्ट्स के मुताबित 10 दिसंबर, 1987 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के छपरौली गांव में जन्मे अनुराग आर्य एक डॉक्टर परिवार से थे। उनके पिता अनिल आर्य एक जनरल फिजिशियन थे और उनकी मां सरिता आर्य एक स्त्री रोग विशेषज्ञ थीं। गांव के स्कूल में पले-बढ़े अनुराग को अंग्रेजी भाषा में दिक्कत होती थी और अक्सर उन्हें शहरी बच्चों के सामने पिछड़ापन महसूस होता था। हालांकि, उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और इससे पार पाने का संकल्प लिया।

2008 में, उन्होंने देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में प्रवेश लिया, जहां उन्होंने अपनी भाषा कौशल में सुधार किया और घुड़सवारी और राफ्टिंग सहित विभिन्न खेलों में शानदार प्रदर्शन किया। अकादमी ने उनमें अनुशासन और आत्मविश्वास का संचार किया।

बाद में अनुराग ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से फिजिक्स में बी.एससी. (ऑनर्स) की डिग्री हासिल की, जिससे विज्ञान के प्रति उनके शुरुआती जुनून का पता चलता है। हालांकि, उनकी शैक्षणिक यात्रा में उस समय एक बड़ा झटका लगा जब वे दिल्ली के हिंदू कॉलेज में एमएससी के दौरान दो विषयों में फेल हो गए। असफलता के आगे झुकने के बजाय, उन्होंने इसे एक नई शुरुआत के रूप में देखा।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास करने से पहले, उन्होंने कुछ समय के लिए कानपुर स्थित भारतीय रिजर्व बैंक में मैनेजर के रूप में काम किया। 2013 में, व्यापक प्रभाव डालने के दृढ़ संकल्प के साथ, उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में UPSC परीक्षा पास की, 163वीं रैंक हासिल की और भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हो गए।

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उन्होंने हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (NPA) में ट्रेनिंग प्राप्त किया और गाजियाबाद में तैनात रहे। इन वर्षों में, उन्होंने अमेठी, बलरामपुर, मऊ और प्रतापगढ़ में सेवा की। आपराधिक तत्वों, विशेष रूप से कुख्यात मुख्तार अंसारी गिरोह पर उनकी आक्रामक कार्रवाई ने उन्हें खूब तारीफ दिलवाई।

मुख्तार अंसारी के गढ़ को तोड़ना

मऊ में अपनी तैनाती (2019-2020) के दौरान, एसपी आर्य ने मुख्तार अंसारी गिरोह द्वारा संचालित अवैध गतिविधियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की। उन्होंने अवैध बूचड़खानों में शामिल 26 सदस्यों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट लागू किया और मुख्तार के प्रमुख शूटरों में से एक अनुज कनौजिया के घर पर बुलडोजर भी चलवाया।

2013 से लंबे अंतराल के बाद, 2020 में, आर्य ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ पहला मामला दर्ज किया और माफिया गतिविधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई, जिससे आपराधिक जगत में हड़कंप मच गया। अनुराग आर्य फिलहाल में बरेली में पुलिस अधीक्षक (खुफिया) के पद पर हैं। उन्हें उनकी सेवाओं के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है।

आईपीएस आर्य की पत्नी, वनिका आर्य, भी एक पीसीएस अधिकारी हैं, जो एक ऐसे परिवार को दर्शाती हैं जिसकी जनसेवा में गहरी जड़ें हैं। अपने कठिन पेशेवर जीवन के बावजूद, आर्य अपनी दृढ़ता और समर्पण की कहानी से कई युवा उम्मीदवारों को प्रेरित करते रहते हैं।