किसान नेता राकेश टिकैत से इंटरव्यू के बीच कुत्ते आए तो पत्रकार सुरेश चव्हाणके ने आपत्तिजनक बात कही। उन्होंने कहा कि जहां भी जाते हैं ओवैसी बीच में आ जाता है। इंटरव्यू के बीच में आलू का जिक्र करते हुए टिकैत के मुंह से अल्ला निकला तो पत्रकार ने किसान नेता से कहा- आलू बोलते हुए भी मुंह से अल्ला निकलता है।

चलते-चलते कार्यक्रम में पत्रकार सुरेश चव्हाणके ने टिकैत को याद दिलाया कि मुजफ्फनगर के दंगों में उन्हें किस तरह से उनकी सहायता की थी। पत्रकार ने टिकैत से पूछा कि ये आंदोलन कब तक चलेगा। उनका कहना था कि पिछले नौ माह से आंदोलन चल रहा है। आखिर किसान सरकार की बात क्यों नहीं मान रहे हैं। उनका कहना था कि किसानों को भी अपनी जिद छोड़नी चाहिए। तभी कोई हल निकलेगा।

टिकैत ने एमएसपी पर सवाल उठाकर कहा कि उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर किसानों से नहीं व्यापारियों से खरीद होती है। उनका कहना है कि इस खरीद घोटाले में व्यापारी अधिकारी और जनप्रतिनिधि शामिल हैं। उनकी मांग है कि इस तरह के हो रहे घोटाले की जांच सीबीआइ से कराई जाए। टिकैत ने कहा कि पहले तीन क्विंटल गेंहू में एक तोला सोना आ जाता था। आप हमें दिला दो। उन्होंने स्वामीनाथन रिपोर्ट के जिक्र कर कहा कि सरकार मुकर रही है।

मध्य प्रदेश और बिहार में मंडियों के बंद होने का जिक्र कर राकेश टिकैत ने तंज कसते हुए कहा कि सरकार को कंपनियां चला रही हैं। कृषि कानून बाद में बनते हैं, लेकिन बड़े व्यापारियों के गोदाम पहले बन जाते हैं। देश को बचाने का रास्ता आंदोलन है। राजनीतिक पार्टियां देश को नहीं बचा सकती। आंदोलन से देश बचेगा। देश की आजादी की लड़ाई गरीबों ने लड़ी थी।

टिकैत ने कहा कि कृषि कानूनों के मसले पर सरकार को पीछे हटना होगा। किसान पीछे हटने वाला नहीं है। सरकार बड़े घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि कानून लाई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कह रही है कि किसान बातचीत नहीं करना चाहते, इस पर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सरकार को वार्ता का पत्र भेजा गया है, लेकिन वार्ता बंद कमरे में नहीं होगी। उनका कहना था कि केंद्र सरकार बार-बार बयान देती है कि कानून वापस नहीं होंगे। ऐसे में वार्ता का क्या मतलब है।