दरअसल, बातचीत के दौरान एक पल ऐसा आया, जब एंकर ने पूछा था- कृषि कानूनों पर कुछ तो रास्ता होगा? आप किसानों का नेतृत्व कर रहे हैं। टिकैत बोले- हमने तो सुझाया है कि कानून वापस ले लिए जाएं। एमएसपी पर कानून बना दिए जाए। 200 करोड़ रुपए का सिर्फ यूपी के रामपुर में घोटाला हुआ। जांच कर लो। किसान की लूट है…इसलिए एमएसपी पर कानून नहीं बना रहे हैं। टिकैत के मुताबिक, “सरकार कोई पट्टा लेकर थोड़ी न आई है। सरकार जब चाहेगी, तब हल निकलेगा। घर तो हमें भी नहीं जाना है।”
तंज कसते वह हुए बोले, “क्या सुधारे हैं…आधे रेट में फसल बेच दी, हालात सुधारे दिए? मंडियां बंद कर दीं…बिहार बर्बाद कर दिया। एक बाद बताओ कि आप तो ज्ञानी हो। पढ़े लिखे हो। देश में संसद बड़ी है या उद्योगपति? कौन बड़ा है?” एंकर ने जवाब दिया- यह आप अलग बहस में लेकर जा रहे हैं। हिंदुस्तान बड़ा है। सीधी सी बात है और इस देश में किसान की क्या अहमियत है, यह भी हम जानते हैं।
आगे टिकैत ने कहा, “न-न। ऐसे नहीं। आप स्पष्ट जवाब दें। आपको डर लगा रहा है। आप सारे ऐंकर बीजेपी के प्रवक्ता है।” एंकर ने दो टूक टोका- आप इस तरह के आरोप लगाकर खुद की बातों में खो जाते हैं। मैं सवाल पूछूंगी। सवाल पूछना मेरा फर्ज है।
वह टिकैत से बोलीं कि वह इधर-उधर की बात न करें। हालांकि, बाद में बहस के गर्माए माहौल के बीच टिकैत ने फोन काट दिया। एंकर बोलीं- इधर उधर की बात न करें। सीधे मुद्दे पर बात रखें। भड़कते हुए एक दो सवाल के जवाब देने के बाद टिकैत ने बाद में फोन काट दिया।