पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में तृणमूल कांग्रेस के एक नेता की हत्या के बाद कुछ बंद घरों में आग लगा दी गई। इस आग में झुलस कर 8 लोगों की मौत हो गई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया गया है और कुल 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है।
सोशल मीडिया यूजर्स की प्रतिक्रिया : इस मामले पर कुछ लोगों का कहना है कि कुछ दिन बाद हमें ‘द कश्मीर फाइल्स’ की तरह ‘बंगाल फाइल्स’ भी देखने को मिलेगी। कुछ सोशल मीडिया यूजर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साध रहे हैं वहीं कुछ लोग केंद्र सरकार को भी सवाल कर रहें। सूरज नाम के एक यूजर लिखते हैं कि 10 से 15 साल बाद ‘द बंगाल फाइल्स भी देखने को मिलेगी।’
पत्रकार सुशांत सिन्हा ने कमेंट किया – बंगाल में हर बार जो हो रहा वो इतना भयावह है कि देश में वैसा कहीं नहीं हो रहा होता। अभी भी मुख्यमंत्री राज्यपाल के बयान को लेकर ज़्यादा चिंतित नजर आती हैं, क़ानून व्यवस्था को लेकर नहीं। सोचता हूं जाने वो घटना कितनी भयावह होगी जिसपर आख़िरकार एजेंडाधारी भी ममता बनर्जी का इस्तीफ़ा मांगेंगे। मंजू नाम की एक यूजर लिखते हैं कि ममता बनर्जी से लोग उम्मीद लगा कर बैठे हैं कि वह लोकतंत्र बचाने आएंगी।
आरके पंडित नाम के ट्विटर हैंडल से कमेंट आया – आज से 10 से 15 साल बाद जब ‘द बंगाल फाइल्स’ बनेगी तब यह पूछा जाएगा कि केंद्र में भाजपा की भारी बहुमत की सरकार क्या कर रही थी? दीपक शर्मा ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए लिखा कि अगर केंद्र में मोदी सरकार होती और गृह मंत्री अमित शाह होते तो ऐसा कभी नहीं होता। कभी बंगाल फाइल्स भी बनेगी।
विकास भदौरिया लिखते हैं कि बंगाल में जिंदा जला दिए गए लोगों की रूह कंपा देने वाली तस्वीरें हैं, लेकिन मुख्यमंत्री मौन हैं। इनसे कोई सवाल नहीं पूछेगा क्योंकि एजेंडा गड़बड़ा जाएगा। चित्रा त्रिपाठी ने कहा कि बेहद वीभत्स तस्वीरें हैं। ये बेहद शर्मनाक है कि एक राज्य में तांडव हो रहा है और कार्रवाई के नाम पर लीपापोती। पंकज झा लिखते हैं कि बंगाल में हिंसा का तांडव जारी है। लोगों को जिंदा जला देने की ये घटना तो नरसंहार है। ममता बनर्जी के राज में ये कैसी कानून व्यवस्था है।