दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक अरविंद केजरीवाल हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले और सीएम ने उन्हें आम चुनाव में शानदार जनादेश मिलने को लेकर बधाई दी। शुक्रवार (21 जून, 2019) को केजरीवाल ने इसी बारे में ट्वीट किया तो सोशल मीडिया यूजर्स ने उन्हें ही निशाने पर ले लिया। कहा कि आज तो आप पीएम से मिल रहे हैं। उनकी तारीफ कर रहे हैं, पर आप कल फिर बदल जाएंगे और उन्हें गालियां देने लगेंगे। वहीं, एक यूजर ने तंज कसते हुए केजरीवाल से पूछा कि अब आपकी बीजेपी से गठबंधन करने की योजना है क्या?

दरअसल, सीएम ने शुक्रवार को कुछ सिलसिलेवार ट्वीट्स में न केवल पीएम से मिलने के बारे में लोगों को बताया, बल्कि इस बात पर भी जोर दिया कि दिल्ली के विकास के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार का साथ में काम करना जरूरी है।

पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा, “नरेंद्र मोदी जी से मिला और लोकसभा चुनाव में उन्हें मिली जीत पर बधाइयां दीं। 1- दिल्ली सरकार ने बरसात के मौसम में यमुना के पानी को एकत्रित करने की योजना बनाई है। इस मौसम का पानी साल भर में दिल्लीवासियों की पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए सक्षम होगा। हमने केंद्र से इस संबंध में मदद मांगी है। 2- हमने पीएम को मोहल्ला क्लीनिक और दिल्ली सरकार के स्कूल का दौरा करने के लिए भी बुलाया है।”

सीएम के अगले ट्वीट में कहा गया, “देश की राजधानी दिल्ली के विकास के लिए हमने हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है। पर दिल्ली सरकार और केंद्र का साथ में काम करना बेहद जरूरी है।”

वहीं, तीसरे और आखिरी ट्वीट में वह बोले- आयुष्मान भारत पर विस्तृत चर्चा हुई थी। माननीय पीएम को सूचित किया गया कि दिल्ली सरकार की दिल्ली स्वास्थ्य योजना काफी बड़ी और व्यापक स्तर की है। हालांकि, हमने उन्हें आश्वासन दिया है कि हम इस मसले पर समीक्षा करेंगे और देखेंगे कि क्या आयुष्मान भारत योजना को दिल्ली की योजना में एकीकृत किया जा सकता है या नहीं।

दरअसल, केजरीवाल और आप लंबे समय से पीएम मोदी और बीजेपी की कटु आलोचक रही है। पर पीएम से दिल्ली सीएम की भेंट, उनकी तारीफ और दिल्ली-केंद्र के साथ आने की ओर इशारा करने पर लोगों ने उन्हें आड़े हाथों ले लिया। एक टि्वटर यूजर ने लिखा कि केजरीवाल, आपको बहुत जल्दी केंद्र और राज्य के बीच का रिश्ता याद आ गया। नायडू के बाद आप ही का नंबर है। देखिए, अन्य लोगों की प्रतिक्रियाएं:

बता दें कि दिल्ली समेत चार राज्यों (ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल) ने आयुष्मान भारत योजना में शामलि होने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया था कि उनके राज्यों में पहले से ही पर्याप्त स्वास्थ्य योजनाएं चल रही हैं और उन्हें और कोई योजना की जरूरत नहीं है।