68 साल की उम्र में तमिलनाडु की मुख्‍यमंत्री जे जयललिता का सोमवार रात निधन हो गया। पार्टी दफ्तार और हॉस्पिटल दोनों ने इस खबर की पुष्टि कर दी है। जयललिता को रविवार को अचानक दिल का दौरा पड़ा था। उन्होंने रात 11.30 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली। उनकी देहांत की खबर से पूरे राज्य में शोक की खबर फैल गई। तीन दिन के लिए राज्य के सारे स्कूलों को बंद रखा गया है। लोगों के दुख और गुस्से को देखते हुए पुलिस अलर्ट पर है। पांच बार की मुख्यमंत्री और पिछले दो दशकों से लंबे समय से तमिलनाडु की राजनीति के केंद्र में रही जयललिता के देहांत पर तमाम प्रमुख हस्तियों ने दुख जताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत तमाम बड़े नेताओं ने उनके निधन पर दुख जताया।

इससे पहले बुखार एवं निर्जलीकरण की शिकायत के चलते जयललिता को 22 सितंबर को अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुछ दिन पहले अपोलो हॉस्पिटल्स के चेयरमैन प्रताप सी रेड्डी ने कहा था कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता ‘‘पूरी तरह स्वस्थ हो गई हैं।’’ अस्‍पताल की ओर से चार दिसंबर को जारी बुलेटिन में कहा गया, ”कार्डियोलॉजिस्‍ट, पल्‍मोनोलॉजिस्‍ट और क्रिटिकल केयर स्‍पेशलिस्‍ट्स उनका ट्रीटमेंट और मॉनिटरिंग कर रहे हैं। वह एक्‍स्‍ट्राकार्पोरियल मेमब्रेन हर्ट असिस्‍ट डिवाइस पर हैं। लंदन से डॉक्‍टर रिचर्ड बैली से भी परामर्श लिया गया है।” लेकिन इसके बाद पांच तारीख को दिल का दौरा पड़ने से उनकी स्थिति फिर नाजुक हो गई और देर रात उन्होंने दम तोड़ दिया।

जयललिता ने 1982 में एआईएडीएमके की सदस्य बनकर राजनीति में आ गईं। 1983 में उन्हें पार्टी के प्रचार विभाग का सचिव बनाया गया। 1984 में एमजीआर ने उन्हें राज्य सभा का सांसद बनाया। 1987 में एमजीआर का देहांत हुआ तो पार्टी में विरासत की जंग छिड़ गई। पार्टी का एक धड़ा एमजीआर की पत्नी जानकी रामचंद्रन के साथ था तो दूसरा धड़ा जयललिता के साथ। इसके बाद धीरे धीरे जयललिता ने पार्टी समेत पूरे राज्य में अपनी पकड़ मजबूत की और वो लोकप्रिय नेता बनकर उभरी। साल 2016 में लगातार दूसरा विधान सभा चुनाव जीतकर उन्होंने रामचन्द्र के करिश्मे को दोबारे दोहराया।