शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Avimukteshwarananda Saraswati) ने फिल्मों की समीक्षा के लिए धार्मिक सेंसर बोर्ड (Dharma Sansad Board) के गठन का ऐलान कर दिया है। प्रेस रिलीज जारी कर शंकराचार्य की तरफ से बोर्ड के सदस्य, कार्य और कार्यालय के बारे में जानकारी दी गई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जनता को आराम देने के लिए मनोरंजन अस्तित्व में आया, लेकिन कुछ नकारात्मक शक्तियां इसका दुरुपयोग कर रही हैं। इस माध्यम से जानबूझकर लोगों के मन में किसी व्यक्ति, धर्म संस्था के प्रति अनास्था उत्पन्न कर रहे हैं, इसीलिए धर्म संसद बोर्ड (Dharma Sansad Board) के गठन की ज़रूरत महसूस हुई है।

धर्म सेंसर बोर्ड के गठन की प्रक्रिया लगभग पूरी

प्रेस रिलीज को शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand) ने अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया है, जिसके अनुसार धर्म-शोधन-सेवालय (धर्म सेन्सर बोर्ड) के गठन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। बोर्ड के दस सदस्यों के नाम का ऐलान भी हो गया है। धर्म सेंसर बोर्ड केवल सिनेमा, टीवी, धारावाहिक आदि चलचित्रों की समीक्षा नहीं करेगा बल्कि यह तो स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम, नाटक और विविध धार्मिक लीलाओं के मंचनों की समीक्षा करेगा। फिल्मों, धारावाहिकों और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर गलत मन्त्रोचार किए जाते हैं तो कार्रवाई भी करेगा।

यूजर्स की प्रतिक्रियाएं

सोशल मीडिया पर धर्म सेंसर बोर्ड के गठन पर एक यूजर ने लिखा, ‘इसकी बहुत आवश्यकता थी। अब किसी की धार्मिक भावनाएं आहत होने पर धर्म सेंसर बोर्ड कार्रवाई करेगा और ऐसे लोगों को सबक सिखाएगा।’ राहुल नाम के सोशल मीडिया यूजर ने लिखा कि ऐसे तो हर धर्म के लोग अपना अपना सेंसर बोर्ड बना लेंगे तो फिल्म बनाने वाले परेशान हो जायेंगे। हां, बॉलीवुड के लोगों को सबक सिखाने की जरूरत है लेकिन वहां काम कर रहे हैं लोगों को बेरोजगार नहीं करना चाहिए।

एक यूजर ने लिखा कि बार-बार हिन्दू धर्म के मान चिन्हों और संस्कृति को बदनाम करने वाली फिल्में आ रही हैं, इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती तो धर्म सेंसर बोर्ड का गठन जरूरी ही था। @Shersin38662764 यूजर ने लिखा कि जगद्गुरु श्री शंकराचार्य जी ने कहा है कि सेंसर बोर्ड की तर्ज पर ही अब “धर्म सेंसर बोर्ड” बनाया जाएगा तो क्यों नहीं पाकिस्तान के “ईशनिंदा कानून” की तर्ज पर सनातन बहुल भारत में भी “सनातन धर्म निंदा” कानून बनाया जाए।

सिर्फ कार्रवाई नहीं बल्कि मदद भी करेगा बोर्ड

बता दें कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Avimukteshwaranand Saraswati) की तरफ से जारी किये गए प्रेस रिलीज में बताया गया है कि केवल गलत दृश्यों, संवादों, कथानकों के ऊपर कार्यवाही ही नहीं, बल्कि निर्माताओं द्वारा मांगे जाने पर उनका अकादमिक बौद्धिक सहयोग करेगा। धर्म शोधन सेवालय (धर्म सेंसर बोर्ड) का केंद्रीय कार्यालय दिल्ली एनसीआर में रहेगा। केंद्रीय कार्यालय का उद्घाटन 15 जनवरी 2023 को किया जाने वाला है।