राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने दशहरा के दिन नागपुर के RSS कार्यालय में अपने वार्षिक संबोधन के दौरान रोजगार, महिला सशक्तिकरण, जनसंख्या नीति और दलितों के साथ होने वाले भेदभाव का जिक्र किया। जिस पर राष्ट्रीय जनता दल के टि्वटर हैंडल से मोहन भागवत पर तंज कसा गया। RSS प्रमुख के बयान पर सोशल मीडिया यूजर्स ने भी कई तरह की प्रतिक्रियाएं दी हैं।
मोहन भागवत ने दलितों को लेकर दिया ऐसा बयान
मोहन भागवत ने सामाजिक समरसता की बात करते हुए कहा कि संविधान के कारण राजनीतिक और आर्थिक क्षमता का पद तो बन गया है लेकिन सामाजिक समता को लाए बिना वास्तविक और टिकाऊ बदलाव नहीं आएगा। डॉ भीमराव अंबेडकर का जिक्र कर उन्होंने कहा कि हमें राजनीतिक स्वतंत्रता तो मिल गई है लेकिन सामाजिक आजादी नहीं मिली है।
मंदिर, पानी और शमशान पर कही ऐसी बात
अपने संबोधन के दौरान मोहन भागवत ने कहा कि, ‘ जाति के आधार पर विवेद करना अधर्म है। मंदिर, पानी और श्मशान सबके लिए एक होने चाहिए। इसकी व्यवस्था तो सुनिश्चित करनी ही होगी। ये घोड़ी चढ़ सकता है, वो घोड़ी नहीं चढ़ सकता। ऐसी मूर्खता पूर्ण बातें तो हमें खत्म करनी होगी। सब को एक दूसरे का सम्मान करना होगा। इसके बारे में स्वयं को ही नहीं बल्कि समाज को भी सोचना होगा।’
आरजेडी ने यूं बोला हमला
राष्ट्रीय जनता दल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से मोहन भागवत के बयान पर कमेंट किया गया, ‘अरे भागवत जी, घोड़ी,पानी और मंदिर की समानता दलितों-पिछड़ों ने लड़कर हासिल कर ली अब ये लड़ाई तो सरकारी नौकरियों में आनुपातिक प्रतिनिधित्व व कॉलेजियम सिस्टम ख़त्म कर जज बनने की लड़ रहे है।उस पर बात करो उस पर। हंस अब तुम्हारे कहने से कौआ नहीं बनेंगे,समझे चितपावन भागवत जी?’
लोगों के रिएक्शन
दिलीप मंडल नाम के ट्विटर हैंडल से भागवत के बयान पर लिखा गया, ‘जब SC, ST, OBC ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हमारे लोग जज क्यों नहीं हैं, कोलिजियम सिस्टम क्यों है तो भागवत जी कह रहे हैं कि चलो तुमको साथ बैठाकर खाना खिला देते हैं। ज़्यादा नाराज़गी है तो एक ही श्मशान में सबकी लाशों के जलने का बंदोबस्त कर देते हैं। चलो मंदिर भी ले चलेंगे। ख़ुश?’ अरुण नाम के ट्विटर यूजर द्वारा लिखा गया कि संघ की मानसिकता के लोगों ने एक दलित को भारत का राष्ट्रपति बनाया और अब आदिवासी को भारत का राष्ट्रपति बनाया। ऐसे ही बदलाव होते रहेंगे तो समाज अपने आप सुधर जाएगा।